Ambedkar Nagar : जमाने को बदलने की तमन्ना लेकर निकले शरद यादव
जमाने को बदलने की तमन्ना लेकर निकले शरद यादव
पंकज कुमार अम्बेडकरनगर । लोग कहते हैं बदलता है जमाना सबको, मर्द वो है जो जमाने को बदल देते हैं। अकबर इलाहाबादी का यह शेर जिले के युवा वरिष्ठ समाजसेवी शरद यादव पर पूरी तरह सटीक बैठ रहा है। जिनके द्वारा दूसरों की पीड़ा को अपनी पीड़ा समझते हुए पीड़ित मानवता की सेवा का बीड़ा उठाकर अब तक हजारों लोगों को भोजन के लिए राशन सामग्री व वस्त्र के साथ-साथ पर्यावरण के संरक्षण के लिए पौधा भी उपलब्ध कराया जा रहा है।
कोविड-19 से पैदा हुई वैश्विक महामारी के चलते शासन के निर्देश पर लगाए गए लॉक डाउन का पूरी तरीके से पालन करते हुए इस युवा समाजसेवी ने लॉकडाउन के दौरान कई जिले के लोगों को राशन किट वितरित कर एक नई मिसाल भी पेश की है।
युवा समाजसेवी शरद यादव बताते हैं कि समाज के गरीब, असहाय पीड़ितों व मानवता का प्रवक्ता बनने की प्रेरणा उन्हें उनके माता-पिता से मिली है। जिन्होंने कभी भी किसी पड़ोसी को भूखे नहीं सोने दिया। 25 जुलाई 1988 को बसखारी में कैलाश नाथ यादव और प्रभावती देवी के होनहार पुत्र के रूप में जन्मे शरद यादव ने इतिहास विषय में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की है।
इनकी मां एक साधारण गृहणी और पिता समाजसेवी के रूप में जाने गए हैं। छात्र जीवन में ही लोगों के सहयोग की भावना इनके मन में बिरवा के रूप में अंकुरित हुई ।जिसे इनके माता-पिता ने उर्वरता प्रदान की। जो आज विशाल वटवृक्ष का रूप लेकर सामाजिक कार्यों में जुटा हुआ है।
अगर इस युवा के राजनीतिक एवं सामाजिक पृष्ठभूमि की बात करें तो बहुजन समाज पार्टी जैसे सियासी संगठन से प्रभावित इस युवा समाजसेवी ने समाज सेवा का बीड़ा अब से 6 वर्ष पूर्व 2014 से उठा रखा है। इस दौरान उन्होंने अब तक हजारों गरीबों को खाद्य सामग्री, वस्त्र, जरूरत की अन्य मूलभूत वस्तुओं के साथ ब्यावर संरक्षण के लिए एक पौधा उपलब्ध कराए हैं। इतना ही नहीं इस समाजसेवी ने तमाम गरीब प्रतिभावान छात्र छात्राओं को पाठ्य सामग्री के साथ साथ खिलाड़ियों को खेल सामग्री भी दी है। शायद यही वजह है कि पिछले पंचायत चुनाव में क्षेत्र की जनता ने उन्हें निर्विरोध क्षेत्र पंचायत सदस्य चुना है ।दूसरी तरफ जब से लाकडाउन लगा है।तब से शरद यादव व उनकी टीम के द्वारा लोगों की मदद करने का सिलसिला आज भी जारी है। जो बसखारी से शुरू होकर आसपास के जनपदों से होते हुए लखनऊ तक चला है।
अपनी सामाजिक गतिविधियों को सुचारू रूप से निरंतर चलाने के लिए शरद यादव के द्वारा अभी 2 दिन पहले प्रभावती कैलाश चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना भी की गई है। जिस के बैनर तले और तमाम कार्य करने का संकल्प लिया है।
शरद यादव को इस कार्य के बदले सरकार अथवा अन्य कहीं कोई संधान मिलता है ऐसा भी नहीं है शरद यादव बताते हैं कि इस दिशा में किया जाने वाले सामाजिक कार्यों पर खर्च होने वाले धन उनका अपना निजी होता है।
शरद यादव वास्तव में लोगों की पीड़ा को अपनी पीड़ा समझते हैं।वह बुद्धिज्म से प्रभावित हैं वा ढोंग पाखंड और अंधविश्वास से ना सिर्फ खुद को दूर रखते हैं। बल्कि लोगों को इसके प्रति जागरूक भी करते हैं। यही कारण है कि उनकी टीम में विभिन्न धर्मों और समुदाय के लोग बड़ी संख्या में शामिल हैं।सभी मिलजुल कर उनकी एक आवाज पर तैयार रहकर सामाजिक कार्यों के दायित्व को निभाते।
शरद यादव के ताल्लुक के विभिन्न राजनीतिक दलों के बड़े नेताओं से हैं। शरद यादव बताते हैं उनका यही संकल्प है कि उनकी जानकारी में कोई भी व्यक्ति भूखा और नंगा ना रह पाए। अत्यंत मिलनसार और मृदुभाषी शरद यादव के इस सराहनीय कार्य पर साहिर लुधियानवी का यह शेर सटीक बैठ रहा है कि हजार बर्फ गिरे, लाख धुआं उठे वह फूल खिल के रहेंगे जो खिलने वाले हैं।