संभल से भूपेंद्र सिंह संभल। वृन्दावन से पधारीं श्रीजी वशिष्ठ द्बारा कथा में सुदामा चरित्र का वर्णन किया गया।उन्होंने प्रवचन करते कहा कि सुदामा की पत्नी ने सुदामा को श्री कृष्ण के पास जाने का आग्रह किया और कहा, श्रीकृष्ण बहुत दयावान हैं, इसलिए वे हमारी सहायता अवश्य करेंगे।
सुदामा ने संकोच-भरे स्वर में कहा, श्रीकृष्ण एक पराक्रमी राजा हैं और मैं एक गरीब ब्राह्मण हूं। मैं कैसे उनके पास जाकर सहायता मांग सकता हूं उसकी पत्नी ने तुरंत उत्तर दिया “तो क्या हुआ मित्रता में किसी प्रकार का भेद-भाव नहीं होता।” आप उनसे अवश्य सहायता मांगें। अंततः सुदामा श्रीकृष्ण के पास जाने को राजी हो गये। उनकी पत्नी पड़ोसियों से थोड़े-से चावल मांगकर ले आई तथा सुदामा को वे चावल अपने मित्र को भेंट करने के लिए दे दिए।और सुदामा द्वारका के लिए रवाना हो गये।वेद व्यास का प्रसंग भी सुनाया। उसके पश्चात भगवान श्री कृष्ण के सोलह हजार रूपों में विवाह करने का वर्णन करते हुए बताया कि श्री कृष्ण ने उन सभी 16,000 स्त्रियों को एक-एक घर दिया और उन सबको सौ-सौ दासियां भी दी. कहते हैं भगवान श्री कृष्ण रात के समय स्वयं को कई रूपों में बांट लेते थे और अपनी सभी पत्नियों के साथ समय बिताते थे. सुबह होने पर उनके सभी रुप एक होकर कृष्ण बन जाते थे.।
अन्त में आरती करके श्रद्धालुओ को प्रसाद वितरण किया गया।
इस दौरान सुशील कुमार भोलेनाथ,बीना वार्ष्णेय,डॉ टीएस पाल,प्रतीक वार्ष्णेय,महिमा वार्ष्णेय,सुधीर वार्ष्णेय,अपूर्वा वार्ष्णेय,रवि वार्ष्णेय,प्रीति वार्ष्णेय,विनीत बंटी,सुभाष गुप्ता,नम्रता गुप्ता,सीता वार्ष्णेय,रेनुकुमारी,हरीश कठेरिया,सीता वार्ष्णेय,राधिका,सुधीर वार्ष्णेय,मोनिका वार्ष्णेय,दुर्गेश्वरी,विशाल वार्ष्णेय,हरीश,मुनीश वार्ष्णेय,मेघा वार्ष्णेय,गुलशन कुमार,सुनीता,उषा वार्ष्णेय,रमाशंकर गौड़ अशोक वार्ष्णेय,केजी गुप्ता,आहान,परी उपस्थित रहे।