Breaking Newsबिहार: बेतिया

Bihar News 50 वर्षों तक अंग्रेजों से लड़ने वाली देश की इकलौती वीरांगना महारानी जानकी कुंवर के जीवन चरित्र उकेरने की दरकार:गरिमा

संवाददाता मोहन सिंह बेतिया

महापौर गरिमा देवी सिकारिया ने बेतिया की वीरांगना महारानी जानकी कुंवर की 70वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित किया है। महारानी जानकी कुंवर के जीवंत जीवन को एक अद्भुत वीरांगना चरित्र करार देते हुए श्रीमती सिकारिया ने कहा कि 1897 में अंग्रेजों द्वारा एक षड्यंत के तहत बेतिया की अंतिम महारानी को विक्षिप्त करार देकर बेतिया राज को कोर्ट ऑफ वार्ड्स घोषित कर दिया गया। उसके बाद से 1947 तक हमारी वीरांगना महारानी अंग्रेजों के अत्याचार से पूरे 50 साल तक लड़तीं रहीं। ऐसा इतिहास रचने वाली महारानी जानकी कुंवर देश भर में ऐसी इकलौती वीरांगना महारानी रहीं हैं। महापौर श्रीमती सिकारिया ने कहा कि 27 नवंबर 1954 को अंतिम सांस लेने वाली महारानी के वीरांगना चरित्र वाली स्मृतियों को आज आजादी के 77 साल बाद भी उपेक्षा से मुक्ति की दरकार है।


उन्होंने बताया कि देश भर के राजा रजवाड़ों के इतिहास में महारानी जानकी कुंवर इकलौती वीरांगना महारानी हैं, जिनकी धवल कृति और संघर्षपूर्ण के साथ विकासशील इतिहास एवं जन मानस से ओझल होते इतिहास को आज आजादी 77 साल से उपेक्षा से उबारने की दरकार है। महापौर ने बताया कि बेतिया राज के स्वर्णिम इतिहास को जीवंत बनाने का बीड़ा अब बेतिया नगर निगम ने उठाया है। राज ड्योढी परिसर को स्मृति पार्क के रूप में विकसित करने की हमारी महत्वाकांक्षी योजना को राजस्व पर्षद बिहार से अनुमति मिल चुकी है। इसको मूर्त रूप देने में जिलाधिकारी महोदय से मार्गदर्शन और सहयोग प्राप्त करने का निर्देश राजस्व पर्षद अध्यक्ष माननीय के के पाठक से मिला है।


श्रीमति सिकारिया ने बताया कि नगर निगम बोर्ड से स्वीकृत कार्ययोजना को कार्य रूप देने के लिए वे शीघ्र ही जिलाधिकारी से मिलेंगी। श्रीमति सिकारिया ने बताया कि महारानी जानकी कुंवर स्मृति पार्क में बेतिया के अंतिम महाराजा महारानी की आदमकद प्रतिमा स्थापित करने के साथ शिलापट के माध्यम से महारानी जानकी कुंवर के वीरांगना चरित्र का संक्षिप्त जीवन गाथा को भी प्रदर्शित किया जाएगा। जिसमें मार्च 1870 ई.में जन्मी बेतिया की महारानी जानकी कुंवर का विवाह 23 वर्ष आयु में बेतिया राज के अंतिम महाराजा हरेंद्र किशोर से 02 मार्च 1893 ई. होने के मात्र 22 दिन में ही उनका सुहाग छीन जाने के बाद स्वर्गीय महाराजा हरेंद्र किशोर सिंह की पहली पत्नी, महारानी शिव रतन कुंवर की मृत्यु 1896 में ही हो जाने के बाद महारानी जानकी कुंवर 1896 ई.में के बाद जानकी कुंवर के महारानी की पदभार ग्रहण करने के बावजूद महारानी जानकी कुंवर के द्वारा प्रजा के सुख सुविधा विस्तार का इतिहास रचने का संक्षिप्त उल्लेख होगा। महापौर ने बताया कि महारानी के द्वारा जनता के सुख सुविधा विकास का इतिहास बनाने के साथ ही अफगानिस्तान से एक बहुमूल्य हीरा मंगा कर भारत के तत्कालीन राजा रजवाड़ों के साथ अंग्रेज शासन की आंख का कांटा बन गईं। उनकी प्रजा सेवा बेतिया राज के बेहतर संचालन से नाराज अंग्रेज सरकार एक षड्यंत्र के तहत 1897 ई. को महारानी जानकी कुंवर को मानसिक रूप से बीमार और विछिप्त घोषित करते हुए बेतिया राज कोर्ट ऑफ वार्ड्स के हवाले कर दिया गया। वही तब से करीब 127 साल बाद अब राज्य सरकार द्वारा बेतिया राज की संपतियों का अधिग्रहण कर लिया गया है।

Bihar News There is a need to portray the life story of the country's only brave woman Maharani Janaki Kunwar who fought the British for 50 years: Garima
महापौर ने बताया कि महारानी जानकी कुंवर के ऐतिहासिक चरित्र के बहुमूल्य इतिहास को स्मृति पार्क के शिलापट्ट पर उकेरने का कार्य जिलाधिकारी के निर्देशन और मार्गदर्शन में किया जाएगा।

Related Articles

Back to top button
जनवाद टाइम्स
%d bloggers like this: