Etawah News: सैफई स्पोर्ट्स कॉलेज के बच्चे भूख हड़ताल पर बैठे

ब्यूरो संवाददाता
इटावा/सैफई: मेजर ध्यान चंद स्पोर्ट्स कालेज के करीब 400 छात्र भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं। छात्रों ने सुबह से खाना नहीं खाया है। छात्रों को डाइट, खेलकूद की सुविधाओं के ना मिलने से परेशान थे। मामले की कई बार शिकायत करने के बावजूद भी छात्रों की सुनवाई नही हो रही थी। खेलकूद की सामग्री, शिक्षा में प्रयुक्त किताबें व अन्य सुविधाओं की कमी के कारण पूरे प्रदेश भर के छात्र स्पोर्ट्स कालेज में मौजूद है। एक छात्र को दोपहर में सैफई पुलिस ने हिरासत में लिया था जिसके बाद छात्रों में आक्रोश बढ़ गया और छात्र शाम को धरने पर बैठ गए।
सैफई के मेजर ध्यानचंद स्पोर्ट्स कालेज में उस वक्त हंगामा हो गया जब खाने पीने, साफ सफाई जैसी कई समस्याओं से जूझ रहे छात्रों का गुस्सा बाहर आगया। छात्रों की सुनवाई न होने से परेशान सैंकड़ों छात्रों ने सुबह से खाना नहीं खाया। छात्र अपनी मांगों को लेकर अड़ गए। लेकिन छात्रों का गुस्से को आग में घी डालने का काम सैफई एसडीएम और कालेज प्रभारी ने एक छात्र को विरोध करने के चलते सैफई थाने में पुलिस से पकड़वाकर भेज दिया। केंद्र और प्रदेश सरकार खेलों को बढ़ावा देने के लिए खेलो इंडिया, अभियान को जोर शोर से बढ़ा रहा है। लेकिन सैफई कॉलेज से निकलकर आए इस मामले पर सरकार के इस अभियान को पलीता सा लगता दिख रहा है। यहां पर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम, अंतर्राष्ट्रीय स्विमिंग पूल, अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स स्टेडियम के साथ ही सरकार द्वारा संचालित मेजर ध्यानचंद स्पोर्ट्स कॉलेज है। लेकिन बदहाली का यह आलम है कि स्पोर्ट्स कॉलेज में संचालित 8 खेलों के 468 बच्चों को बुनियादी सुविधाएं भी नहीं मिल पा रही हैं और ना ही सरकार के द्वारा दी जाने वाली खेल किट बच्चों को मिल पा रही है। बिजली की समस्या और गंदगी से जूझ रहे छोटे-छोटे बच्चे छात्रावास में जैसे-तैसे रहने को मजबूर हैं।
सभी समस्याओं को लेकर कक्षा 12 के छात्र हर्ष ने 15 दिन पूर्व एसडीएम सैफई से शिकायत की थी लेकिन उस पर कोई सुनवाई नहीं हुई थी, मामला इतना बढ़ा कि बच्चों ने खाना नही खाया विरोध कर दिया जिस पर उसको एक घंटे तक थाने में बंद किया। साथी छात्र की गिरफ्तारी होने पर गुस्साए मेजर ध्यान चंद स्पोर्ट्स कॉलेज के बच्चों ने गुरुबार की शाम सामूहिक रूप से खाना ना लेने से मना करते हुए धरने पर बैठ गए।यहां पर 468 बच्चे हैं। सभी बच्चों का कहना है कि विभिन्न बुनियादी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। यहां पर मेनू के हिसाब से ना तो खाना मिलता है। और ना ही यहां पर खेलने का कोई भी उपकरण दिया गया है। अर्धवार्षिक परीक्षा के पेपर से 10 से 15 दिन पहले ही किताबें उपलब्ध कराई गई है। अब चार दिन शेष है हमारे पेपर के उसमें हम लोग क्या पढ़ेंगे।