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Etawah News: जनपद के पचनदा पर रेत स्नान, पंचकर्म और आयुर्वेदिक उपचार की मिलेगी सुविधा

रेत स्नान, पंचकर्म और आयुर्वेदिक उपचार

ब्यूरो संवाददाता

इटावा: प्राचीन काल से ही रेत स्नान शरीर के लिए मुफीद माना जाता रहा है। इसीलिए यूपी के जनपद इटावा की सीमा पर पांच नदियों के संगम ‘पंचनदा’ पर रेत स्नान व पंचकर्मा जैसी आयुर्वेदिक सेवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। यह कहना है क्षेत्रीय आयुर्वेदिक अधिकारी डॉ मनोज दीक्षित का, उन्होंने बताया कि अभी कुछ समय पहले आयुष मंत्रालय की बैठक में तय हुआ कि आयुर्वेदिक पर्यटन के रूप में इटावा को विकसित किया जाए। इससे रेत स्नान, पंचकर्म और आयुर्वेदिक इलाज की सुविधा लोगों तक पहुंच सकेगी। डॉ दीक्षित ने बताया कि आयुर्वेद पर्यटन के लिए आयुष विभाग के डॉ कमल को नोडल अधिकारी के रूप में नियुक्त कर दिया गया है। उन्होंने बताया पंचनदा के आस-पास विभिन्न रेतीले स्थानों को भी चिन्हित किया जा रहा है, जहां रेत स्नान और पंच कर्मा जैसी आयुर्वेदिक सुविधाएं लोगों तक पहुंचाई जाएगी। उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में कोई भी जानकारी यदि किसी को चाहिए हो तो आयुर्वेदिक चिकित्सा कार्यालय आकर संपर्क कर सकता है।

Etawah News: Facility of sand bath, Panchakarma and Ayurvedic treatment will be available at Pachnada of the district

रेत स्नान क्या है?

आयुर्वेदिक पर्यटन के नोडल अधिकारी डॉ कमल ने बताया कि विशेष रेतीले चिन्हित स्थानों पर शरीर को एक से दो घंटे के लिए रेत के ढेर में दबाकर रखा जाता है, जिससे शरीर को आराम मिलता है और शरीर से टॉक्सिन बाहर निकल आते हैं | इसके अलावा रेत में बहुत सारे गुण पाए जाते हैं जो शरीर में मौजूद क्षारीयता को खींच लेते हैं साथ ही शरीर में मौजूद खनिजों के बैलेंस को पूरा करते हैं। डॉ कमल ने बताया की रेत स्नान दो प्रकार के होते हैं-गर्म रेत स्नान जो शरीर के प्रत्यक्ष रूप से रोगों और दर्द को दूर करता है और ठंडा रेत स्नान मानसिक तनाव को दूर करता है। डॉ कमल ने बताया कि मेरी जानकारी के अनुसार विश्वभर में पंचनदा का जो रेतीला स्थान है वह गर्म रेत स्नान और ठंडा रेत स्नान दोनों के लिए अनुकूल और उत्कृष्ट है। इसीलिए यह आयुर्वेदिक पर्यटन के रूप में बेहतर तरीके से विकसित हो सकता है।

जनपद के लिए लाभकारी सिद्ध होगा आयुर्वेद पर्यटन

डॉ कमल ने बताया कि आयुर्वेदिक पर्यटन की इस विश्व व्यापी पहल से जहां एक और स्थानीय जन सामान्य के लिए प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति अपने ही जनपद में आसानी से सर्व सुलभ होगी, वहीं दूसरी ओर नेचुरोपैथी एवं आयुष के स्नातकों के लिए सरकारी व गैर सरकारी रोजगार के साधन उपलब्ध होंगे। पर्यटको की संख्या में वृद्धि होने से कई अन्य सेवा क्षेत्रों में वृद्धि होने से स्थानीय नागरिकों के लिए रोजगार के नए अवसर प्राप्त होंगे। उन्होंने बताया पिछले माह आयुष विभाग के माध्यम से 70 लोगों ने रेत स्नान किया।

 

जनवाद टाइम्स इटावा

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