Bihar news: मोदी शासन काल के सात साल देश के लिए हादसा-विधायक वीरेंद्र प्रसाद गुप्ता

संवाददाता मोहन सिंह
बेतिया भाकपा माले विधायक वीरेंद्र प्रसाद गुप्ता ने मोदी शासन के सात साल को देश के लिए एक हदसा करार देते हुए कहा कि मोदी शासन को दो भागों में बाट कर देखना होगा, तभी समझ आयेगा, पहले 14 साल गुजरात शासन तो दूसरा 2014 के बाद का शासन! जिसको माले विधायक वीरेंद्र प्रसाद गुप्ता ने आगे विधिवत चर्चा किया है,
मोदी और उनके शासन के दो दशक पुरे हो रहे हैं, गुजरात स्टेट का माडल या शासन जो था, वह एक राज्य में या एक सीमित क्षेत्र में था, वही माडल पुरे देश में चल रहा है, जिसका विनाशकारी परिणाम, आत्मघाती परिणाम, दुष्परिणाम पुरे देश में देख रहे हैं,
2019 का लोकसभा चुनाव जीतने के बाद हासिल बहुमत के ताकत पर मोदी सरकार ने भाजपा के असली एजेण्डा को लागू करना सुरू कर दिया है, सुप्रीम कोर्ट, केन्द्रीय चुनाव आयोग, ईडी,सीबीआई, मिडिया घरानों आदि पर कब्जा कर संविधान पर हमला, राज्यों के अधिकारों पर हमला ( पहले 370 धारा हटा कर जम्मू कश्मीर पर हमला, उस समय दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने मोदी सरकार के पक्ष में खड़ा थी, चुनी हुईं दिल्ली सरकार के अधिकारों पर हमला, लक्ष्य दीप के अधिकारों पर हमला, बंगाल में चुनाव हारने के बाद आशंका जताई जा रहीं हैं कि…..) सीएए,एनआरसी, एनपीआर के जरिये नागरिकता के अधिकार पर हमला किया, उस आंदोलन में जो छात्र नौजवान नेतृत्व कर रहे थे उन्हें गिरफ्तार कर जेल में बंद कर दिया गया,
आज कोरोना काल में मोदी जी ने कहा कि आपदा में अवसर खोजों, और इसी संकट काल में मोदी जी ने कारपोरेटों के लिए अवसर खोज लिया, तीन काला कृषि कानून पास कर खेती को, मंडी को खुदरा बाजार को कारपोरेटों को देने के हवाले कर दिया है, इस प्रकार हमरे गरीबों के भोजन पर हमला हुआ है, भूमि अधिकार पर हमला, वन अधिकार पर हमला, इसी कोरोना काल में मजदूरों ने अग्रेजो से संघर्ष कर जो श्रम कानून हासिल किया था, उस श्रमिकों के श्रम कानून को खत्म कर संविधानिक अधिकारों पर हमला, महिला अधिकारों पर हमला, शिक्षा- रोजगार पर हमला, अभिव्यक्ति के अधिकार पर हमला और तमाम विपक्ष पर हमला सुरू कर दिया है,
एक ऐसा जनसमुदाय जो नोटबंदी, लाॅक डाउन के दौरान हजारों मिल पैदल चलते हुए, दम तोड़ हुए गरीबों- मजदूरों कि पीड़ा को देखा तो था मगर गहराई से समझा नही पाया था, आज मोदी सरकार की आपराधिक लापरवाही ने कोरोना की दूसरी लहर ने गरीब हो या अमीर सबको रूलाया, जो आर्थिक रूप से राजनीतिक रूप से यानी सभी तरह से मज़बूत थे, लचर व्यवस्था ने सबको इस कोरोना काल में आक्सीजन के लिए, बेड़ के लिए, दवाई के लिए लम्बी- लम्बी लाइनों में खड़ा होना पड़ा, जानें गवानी पडीं है, यहां तक लाशें दफनाने के लिए पैसे के अभाव में गंगा में बहानी पडीं, गंगा शववाहनी बन गयी,
अब कोरोना वैक्सीन के लिए लम्बी लम्बी लाइन लग रही है, जितना देश को वैक्सीन चाहिए नहीं है, मोदी सरकार इस वैक्सीन को भी कारपोरेटों के लिए लूट का दरवाजे खोल दिया है, एक देश एक कानून की बात करने वाले केन्द्र के लिए अलग राज्य के लिए अलग दाम तय कर रहे हैं, यानि वैक्सीन उत्सव मनाने वाली भाजपा सरकार देश के सभी देशवासियों को फ्री वैक्सीन भी नहीं दे सकतीं,
देश के हर कोना मे हर समुदाय में मोदी सरकार के खिलाफ गुस्सा दिखाई दे रहा है, ऐसे में देश में चल रहें सभी आंदोलनों के साथ मिलकर आंदोलन को और तेज़ करने और देश बेचूँ आदमखोर शाह मोदी गद्दी छोड़ का नारा के साथ जन आंदोलन चलाने का आह्वान किया।