
सुनील पांडेय : कार्यकारी संपादक
उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का जन्म 5 जून 1972 को उत्तराखंड जो तत्कालीन समय में उत्तर प्रदेश राज्य के अंतर्गत पौड़ी गढ़वाल जनपद के यम्केश्वर तहसील के पंचूर गांव में एक गढ़वाली . क्षत्रिय परिवार में हुआ था। इनका बचपन का नाम अजय सिंह बिष्ट था। यह बचपन से अत्यंत कुशाग्र बुद्धि के छात्र थे। इन्होंने उच्च शिक्षा उत्तराखंड के हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से गणित विषय से स्नातक करके पूरी की । इसके बाद अजय सिंह बिष्ट घर -बार छोड़कर गोरखपुर चले आए। जहां पर महंत अवैद्यनाथ के संरक्षण में गोरखनाथ मंदिर में रहने लगे। यहीं पर इन्होंने सन्यास धर्म की दीक्षा ली और बाद में इनका नाम योगी आदित्यनाथ हो गया। कालांतर में महंत अवैद्यनाथ के स्वर्गवास होने के बाद इन्हें गोरक्ष पीठ का पीठाधीश्वर नियुक्त किया गया । सन्यास परंपरा का पूर्णतया पालन करते हुए इन्होंने गृहस्थ आश्रम का पूरी तरह त्याग कर दिया। सन्यासी बनने के पश्चात बहुत ही कम बार यह अपने माता पिता एवं परिवारजनों से मिले हैं। सन्यासी बनना कोई सामान्य कार्य नहीं होता इसके लिए घर, परिवार इष्ट मित्र एवं अन्य सगे संबंधियों के माया मोह का त्यागना करना पड़ता है। योगी आदित्यनाथ ने इस धर्म का पूर्णतया पालन किया है। इनके पिता काफी दिनों से बीमार थे और दिल्ली में एम्स अस्पताल में भर्ती थे। भारत में कोरोना संक्रमण के चलते मार्च माह से लॉकडाउन लागू है।। उत्तर प्रदेश राज्य के मुख्यमंत्री होने के नाते अपनी जिम्मेदारी का पूर्णतया पालन करते हुए यह अपने पिता से भी नहीं मिल पाए। यह अपने पिता से मिलना चाहते थे लेकिन प्रदेश की जिम्मेदारियों को देखते हुए दिल्ली नहीं जा सके। आज इनके पिता का 89 वर्ष की अवस्था में देहावसान हो गया। यह देव संयोग है जिस समय इन्हें अपने पिता की के निधन का समाचार मिला ये कोरोना संक्रमण से संबंधित एक मीटिंग में व्यस्त थे। राजधर्म क्या होता है कोई योगी आदित्यनाथ से पूछे । पिता के देहावसान के बाद भी उनके अंतिम संस्कार में ना शामिल होने का निर्णय लेना कोई सामान्य बात नहीं है । एक पुत्र को अपने पिता के अंत्येष्टि में ना शामिल होना कितना कष्ट कर होता है ।राजधर्म का पालन करते हुए इन्होंने अपनी माता को एक भावुक पत्र लिखा और कहा पूज्य पिताजी की स्मृतियों को कोटि-कोटि नमन करते हुए मैं विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा हूं । अंतिम क्षणों में पिताजी के दर्शन की हार्दिक इच्छा थी परंतु वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के खिलाफ देश की लड़ाई को उत्तर प्रदेश की 23 करोड़ जनता के हित में आगे बढ़ाने की के कारण मैं दर्शन ना कर सका। पूज्य पिता के कैलाश वासी होने पर मुझे भारी दुख है। वह मेरे पूर्वाश्रम के जन्मदाता हैं ।जीवन में इमानदारी ,कठोर परिश्रम एवं निस्वार्थ भाव से लोकमंगल के लिए समर्पित भाव के साथ कार्य करने का संस्कार बचपन में उन्होंने मुझे दिया। पूजनीया माँं पूर्वाश्रम से जुड़े सभी सदस्यों से भीें अपील है कि लॉकडाउन का पालन करते हुए कम से कम लोग अंतिम संस्कार के कार्यक्रम में रहे । लॉकडाउन के बाद दर्शनाथ मैं आपसे मिलने आऊंगा। यह हमारी प्रदेश का सौभाग्य है ऐसा वितरागी संत हमें मिला है जो अपने राजधर्म को सबसे पहले महत्त्व देता है । उसके समक्ष उसके पिता की मृत्यु भी उसे तनिक भी विचलित ना कर सकी । सचमुच सन्यासी का ना कोई धर्म होता है ना कोई जाति उसके लिए उसका धर्म ही सर्वोपरि होता है। योगी जी धन्य हैं, आपके माता पिता जिन्होंने आप जैसे पुत्र को जन्म दिया । अंत में जनवाद टाइम्स टीम की ओर से आपके पिता को विनम्र श्रद्धांजलि।