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Prayagraj News: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की सौवीं जयंती पर मुक्त विश्वविद्यालय आज करेगा अटल प्रतिमा की स्थापना

लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए तत्पर रहे अटल जी- मिथिलेश नारायण

रिपोर्ट विजय कुमार

उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय, प्रयागराज में अटल सुशासन सप्ताह के अंतर्गत अटल बिहारी बाजपेई की सौवीं जयंती के अवसर पर मंगलवार को लोकमान्य तिलक शास्त्रार्थ सभागार में लोकतंत्र में नैतिक मूल्य विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया । जिसके मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता श्री मिथिलेश नारायण, क्षेत्र बौद्धिक शिक्षण प्रमुख, पूर्वी उत्तर प्रदेश, लखनऊ ने कहा कि अटल बिहारी बाजपेई लोकतांत्रिक मूल्य की रक्षा करते हुए सभी कार्य करते थे। वह सत्य के साथ कभी समझौता नहीं करते थे। उन्होंने कहा कि अटल जी की कविताएं रोटी कपड़ा मकान के लिए सीमित नहीं थीं। उनकी कविताएं भारतीय जीवन मूल्यों से ओतप्रोत थी। अटल जी कहते थे विश्व के लिए सबसे बड़ी चुनौती पर्यावरण है यदि यह सुरक्षित ना रहा तो जीवन अस्त व्यस्त हो जाएगा। इसलिए आज पर्यावरण को संरक्षित करना हम सब की जिम्मेदारी है। अटल जी ने अनेक कीर्तिमान स्थापित किए जिनमें स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना आज फलीभूत हो रही है। उन्होंने कहा कि अटल जी का मानना था कि भारत केवल एक नक्शा नहीं है बल्कि हम सभी भारत हैं।


विशिष्ट अतिथि श्री राधाकांत ओझा, वरिष्ठ अधिवक्ता, उच्च न्यायालय, उत्तर प्रदेश, प्रयागराज ने कहा कि आज अटल जी को मानने वाले बहुत हैं लेकिन उनकी विचारधारा पर लोगों को चल कर दिखाना पड़ेगा। समाज में जिस प्रकार नैतिक मूल्यों का ह्रास हो रहा है, उसको बचाने के लिए हमें अटल जी के जीवन दर्शन को आत्मसात करना आवश्यक हो गया है। भारतीय परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो अटल जी एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने न केवल नैतिक मूल्यों की स्थापना की बल्कि नैतिक मूल्यों के साथ जिए भी। उन्होंने कहा कि समाज में ऊंचे पद पर बैठे हुए लोगों का मूल्यांकन किया जा रहा है इसलिए हमें अपने नैतिक मूल्यों के प्रति वफादार रहना होगा।


संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए प्रोफेसर सत्यकाम, कुलपति, उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय ने कहा कि अटल जी नैतिकता की प्रतिमूर्ति के साथ ही नैतिकता की अवधारणा थे। जहां अहिंसा और शांति है, वहीं अटल जी हैं। भारत को शक्तिशाली बनाने के लिए अटल जी ने पोखरण में परमाणु परीक्षण किया। उन्होंने पूरे भारत को नई दिशा दी। उन्होंने भारतीय संस्कृति को केंद्र में रखा। धर्म और अधर्म का जो संवाद गीता में है, वही संवाद अटल बिहारी करते हैं। प्रोफेसर सत्यकाम ने कहा कि अटल जी के अंदर भारत को शक्तिशाली बनाने के लिए बड़ी उदारता तथा हृदय की विशालता थी। आज भी कोई व्यक्ति अटल जी की आलोचना नहीं करता।

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इससे पूर्व अतिथियों का स्वागत अटल सुशासन पीठ के निदेशक प्रोफेसर पीके पांडेय ने तथा विषय प्रवर्तन समाज विज्ञान विद्या शाखा के निदेशक प्रोफेसर एस कुमार ने किया। संचालन डॉ आनंदानंद त्रिपाठी एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ त्रिविक्रम तिवारी ने किया। प्रारंभ में कुलपति प्रोफेसर सत्यकाम ने अतिथियों का अंगवस्त्र, स्मृति चिन्ह एवं पौधा देकर सम्मान किया।
जनसंपर्क अधिकारी डॉ प्रभात चन्द्र मिश्र ने बताया कि 25 दिसंबर को विश्वविद्यालय के सरस्वती परिसर में भारत रत्न पंडित अटल बिहारी बाजपेई के जन्मदिन पर उनकी प्रतिमा की स्थापना की जाएगी एवं अटल जी द्वारा रचित चुनी हुई कविताएं नामक पुस्तक का वितरण किया जाएगा। इसके साथ ही विश्वविद्यालय परिवार के स्वास्थ्य कल्याणार्थ प्राची अस्पताल से समझौता ज्ञापन होगा तथा कुम्भ अध्ययन में प्रमाण पत्र कार्यक्रम के संचालन संबंधी घोषणा कुलपति प्रोफेसर सत्यकाम करेंगे।

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जनवाद टाइम्स