Breaking Newsउतरप्रदेशप्रतापगढ़

Pratapgirh News :धूमधाम से मनाई गई पंडित पारस नाथ त्रिपाठी की पुण्यतिथि

रिपोर्ट –आशुतोष तिवारी 

दुनिया में माता पिता की सेवा से बढ़कर कोई सेवा नहीं है। माता-पिता की सेवा करना हर पुत्र का धर्म है। इस दुनिया में माता-पिता से बढ़कर कोई नहीं है। जीवित रहने पर माता पिता की सेवा करना और मरणोपरांत माता पिता का श्रद्धा के साथ यथाशक्ति श्राद्ध करने से पितरों को तृप्ति मिलती है। और पितृदोष से मुक्ति मिल जाती है। और पुत्र का जन्म सफल हो जाता है। ऐसा करने से पित्र प्रसन्न होते हैं और परिवार में सुख शांति खुशहाली का वास होता है।उक्त बातें क्षेत्र के गोई गांव में मंगलवार को शिक्षा मनीषी पंडित पारस नाथ त्रिपाठी के पुण्यतिथि श्रद्धांजलि समारोह अवसर पर बोलते हुए मुख्य अतिथि पद के संस्कृत वैदिक विद्वान राजेश्वर प्रसाद दुबे आजाद ने कही।

संस्कृत वैदिक विद्वान राजेश्वर प्रसाद दुबे आजाद ने आगे कहा कि शिक्षक मनीषी विद्वान समाज का दर्पण होता है। वह समाज से कभी सेवानिवृत्त नहीं होता है। वह हमेशा अपने ज्ञान रूपी जल से समाज को सदैव सिंचित करने का कार्य करता है। संस्कृत विद्वान पंडित पारस नाथ त्रिपाठी जी मरणोपरांत समाज को एक नई दिशा देने का कार्य कर रहे हैं। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भाजपा के पूर्व जिले अध्यक्ष ओमप्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि संस्कृत मनीषियों विद्वानों की भाषा है। आज संस्कृत भाषा का क्षरण हो रहा है। संस्कृत भाषा के जीवित रहने से ही सभ्यता और संस्कार जीवित रह सकता है। विलुप्त हो रही संस्कृत को सजोने संवारने की जरूरत है। इसके लिए समाज के सभी लोगों को आगे आना चाहिए । श्री दुबे ने ऐसे भव्य कार्यक्रम के लिए आयोजक उमा कांत त्रिपाठी और कृष्णकांत त्रिपाठी की भूरि भूरि प्रशंसा किया।Pratapgirh News :धूमधाम से मनाई गई पंडित पारस नाथ त्रिपाठी की पुण्यतिथि

इस अवसर पर कार्यक्रम को डॉ संतोष कुमार ओझा, भागवताचार्य श्याम शंकर भोले महाराज, भागवताचार्य अरुण तिवारी, पूर्व प्राचार्य गंगेश शुक्ल, शिव पंकज मणि तिवारी, डॉ विनोद कुमार त्रिपाठी, घनश्याम दुबे, कमलेश दुबे, विजय दुबे, सुधाकर दत्त मिश्र,प्रेमजी मिश्र,संस्कृत वैदिक विद्वानों ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। आयोजक उमाकांत त्रिपाठी और कृष्णकांत त्रिपाठी के हाथों संस्कृत वैदिक विद्वानों मनीषियों को अंगवस्त्रम धार्मिक ग्रंथ नारियल भेंट कर सम्मानित किया गया। इस दौरान सम्मान पाकर विद्वान गदगद हो उठे। कार्यक्रम का कुशल संचालन आचार्य शिवेंद्र पांडेय ने किया। और अध्यक्षता रमेश चंद्र शुक्ल ने किया। और आयोजक उमाकांत त्रिपाठी, कृष्णकांत त्रिपाठी ने आए हुए अतिथियों के प्रति बहुत-बहुत आभार ज्ञापित किया। इस अवसर पर शिक्षा मनीषी, बुद्धिजीवी, समाजसेवी सहित सैकड़ों लोग मौजूद रहे।

Related Articles

Back to top button
जनवाद टाइम्स