Breaking News

भारत चीन को आर्थिक चोट देना जारी रखेगा

 

सुनील पांडेेय : कार्यकारी संपादक

हाल ही में भारत चीन के मध्य सीमा विवाद को लेकर जारी तनातनी के चलते दोनों देशों के संबंधों में काफी दूरियां बढ़ी है। आज स्थिति यह बन गई है की भारत विभिन्न तरीकों से चीन को सबक सिखाना चाहता है।

India China Issue

इनमें विशेषकर आर्थिक रूप से चीन को सबक सिखाना अत्यंत आवश्यक है ,क्योंकि चीन एक अवसरवादी देश है उसकी बातों पर आंख मूंदकर कर विश्वास नहीं किया जा सकता है। उसकी कथनी करनी में पर्याप्त विषमता दिखती है। एक तरफ चीन सैन्य स्तर पर सीमा विवाद को लेकर भारत से वार्ता कर रहा है तो वहीं दूसरी तरफ वह वास्तविक नियंत्रण रेखा पर लगभग 20,000 सैनिकों की तैनाती भी कर दी है । इतना ही नहीं चीन ने सीमा से करीब 1,000 किमी दूर शिंन जियांग प्रांत में सैन्य साजो सामान से लैस लगभग 12,000 सैनिक रिजर्व मैं तैयार रखे हैं ।इन्हें वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पहुंचने में लगभग 48 घंटे का समय लगेगा । चीन से पूर्व समय में मिले जख्मों से सबक लेते हुए भारत ने भी माउंटेन डिवीजन में अपनी भारी सेना तैनात कर दी है। सीमा पर भारतीय सैन्यबलों का मनोबल बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने कल लेह का अचानक दौरा करके चीन सहित दुनिया के सभी देशों को चौंका दिया है । यदि हम दोनों देश के इतिहास का अवलोकन व करें तो चीन को जब -जब मौका मिला है वह भारत को नुकसान ही पहुंचाया है। चाहे वह भौगोलिक रूप से हो या मानवीय रूप से अथवा आर्थिक रूप से हर स्तर पर वह भारत का अहित ही किया है । चीन को यह समझ लेना चाहिए 1962 के भारत और अब के भारत में जमीन आसमान का अंतर है। चीन जितनी जल्दी इस बात को समझ लेगा उसके लिए उतना ही अच्छा होगा। चीन की हर चाल का उसी की भाषा में जवाब देने की भारत रणनीति बना रहा है। चीन अपनी अवसरवादी मानसिकता एवं विस्तारवादी नीति के अंतर्गत पिछले कुछ महीनों से भारतीय सीमा पर अनावश्यक तनाव बढ़ा रहा है। इसके चलते विगत कुछ दिनों पूर्व सीमा पर भारतीय सैनिकों पर पूर्व हुई संधियों की अवहेलना करते हुए छल पूर्वक हमला किया ,जिसमें भारत के20 सैनिक शहीद हुए तथा चीन के भी लगभग 45 सैनिक हताहत हुए थे । उस समय भारतीय प्रधानमंत्री ने चीन के इस दुस्साहस की कठोर शब्दों में निंदा की तथा साथ ही यह भी कहा समय आने पर चीन को इसका हिसाब देना पड़ेगा।
चीन को आर्थिक चोट पहुंचाने के दृष्टिकोण से भारत ने पांच महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं । इनमें पहले कदम के अंतर्गत भारत ने राजमार्ग परियोजनाओं के निर्माण में चीनी कंपनियों को आवेदन पर तथा साथ ही साथ सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्योगों में चीन के निवेश करने पर रोक लगा दी है । दूसरे कदम के अंतर्गत टिक टॉक समेत 59 चीनी ऐप पर पाबंदी लगा दी है । इस रोक लगाने के पीछे भारत का तर्क है की यह ऐप देश की सुरक्षा के लिए नुकसानदेह थे । इतना ही नहीं टिक टॉक सहित 59 चीनी ऐप पर भारत का कोई बड़ा वकील केस लड़ने को तैयार नहीं है। तीसरे कदम के अंतर्गत भारत ने सरकारी दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल एवं एमटीएनएल की 4G टेंडर रद्द कर दिए हैं तथा साथ ही साथ इन दूर संचार कंपनियों को चीनी कंपनियों के सामान ना खरीदने का निर्देश भी दिया है । चौथे कदम के अंतर्गत दिल्ली सरकार परिवहन निगम की बसों में लगने वाले चीनी उपकरणों का प्रयोग ना करने का निर्देश दिया है।पांचवें एवं अंतिम कदम के अंतर्गत भारत की तर्ज पर अमेरिका में भी चीनी ऐप पर पाबंदी लगाने की मांग पुरजोर तरीके से उठ रही है। इसके अलावा चीन को आर्थिक मोर्चे पर और अधिक चोट पहुंचाने के रणनीति के तहत भारतीय रेलवे ने चीनी कंपनी को 471 करोड़ का ठेका भी रद्द कर दिया है तथा साथ ही साथ चीनी विद्युत उपकरणों को आयात पर भी पूरी तरह से रोक लगाने पर मंथन कर रहा है। चीन के दुस्साहस को देखते हुए भारत सरकार चीनी वस्तुओं के आयात पर प्रतिबंध लगाने पर विचार विमर्श कर रही है और बहुत ही जल्द अन्य वस्तुओं पर भी रोक लग सकती है। चीन के टिक टॉक सहित 59 ऐप पर भारत द्वारा प्रतिबंध लगाने से चीन पूरी तरह से तिलमिला गया है क्योंकि ऐसा करने से चीन को लगभग 6 अरब डॉलर का नुकसान होने का अनुमान व्यक्त किया गया है। चीन के समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स ने एक ट्वीट में इस बात की पुष्टि की है। चीन भारत द्वारा लगाए गए टिक टॉक सहित 59 पर प्रतिबंध लगाने के बाद भारत को गंभीर परिणाम भुगतने की गीदड़ धमकी दे रहा है। भारत अब उसकी इस धमकी में आने वाला नहीं है। इतना ही नहीं भारत अपने कठोर रुख पर अभी भी कायम है वह चीन पर आर्थिक नाकेबंदी के तहत सीमा शुल्क में भारी बढ़ोतरी करने का संकेत भी दे दिया है जो अगले सप्ताह तक अमल में आ सकता है।
चीन को आर्थिक मोर्चे पर नुकसान पहुंचाने की अपनी रणनीति पर भारत पूरी तरह अडिग है । भारत का चीन के साथ कारोबार खत्म करने पर चीन को लगभग 75 अरब डॉलर (5.7 लाख करोड़ रुपए )का नुकसान होगा जबकि भारत को यह नुकसान 18 अरब डॉलर (1.37 लाख करोड़ )का होगा। चीन को भारत की तुलना में 4 से 5 गुना नुकसान होने की उम्मीद है। चीन पर इस तरह के आर्थिक प्रतिबंध लगाने के पश्चात भारत आत्मनिर्भर बनने की दिशा में आगे बढ़ सकता है। इससे भारत में स्वदेशी उत्पाद को बढ़ावा मिलेगा और भविष्य में भारत की अर्थव्यवस्था भी सुदृढ़ होगी इसमें किंचित मात्र भी संदेह नहीं है।

जनवाद टाइम्स

जनवाद टाइम्स – हिंदी का प्रमुख समाचार माध्यम, UP , बिहार और दिल्ली-एनसीआर की ताज़ा और निष्पक्ष खबरें। राजनीति, समाज, खेल और अर्थव्यवस्था पर गहन कवरेज

Related Articles

Back to top button
जनवाद टाइम्स