Breaking Newsउतरप्रदेशप्रयागराज

नाम की महत्ता-भारत या इंडिया

 

-डॉ सुशांत चतुर्वेदी

नाम की महत्ता: भारत या इंडिया विलियम शेक्सपियर ने अपने नाटक रोमियो एंड जूलियट में कहा था कि “नाम में क्या रखा है”. वस्तुत: नाम में बहुत कुछ रखा होता है, नाम किसी स्थान,किसी जगह का द्योतक होने के साथ-साथ एक भाव, संस्कार व संस्कृति का ध्वजवाहक भी होता है. हम ऑस्ट्रेलिया या कनाडा नहीं है जो किसी समय इंग्लैंड की पुत्री होने में गौरवान्वित होते थे भारत तो स्वयं एक माता है इसीलिए हम भारत माता की जय कहते हैं, भारत भाग्य विधाता कहते हैं. हम राजा भरत की संतति हैं इसीलिए जय भारत, जय भारती! संविधान निर्माताओं ने संभवतः बीच का रास्ता निकलते हुए ‘इंडिया दैट इज भारत’ की बात कही। परन्तु समय के साथ अब भारत नाम को वरीयता मिलना अच्छी बात है।

हाल ही में यह चर्चा का विषय तब बन गया जब G-20 समिट के लिए विभिन्न राष्ट्र प्रमुखों को राष्ट्रपति की ओर से जो न्योता भेजा गया, उसमें ‘प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया’ की जगह ‘प्रेसिडेंट ऑफ भारत’ लिखा था। तब से यह चर्चा का विषय बन गया है. यदि यह मात्र सांकेतिक हो तब भी इसके मायने हैं। जब इंडिया शब्द का प्रयोग हमारे इर्द गिर्द होता है तो औपनिवेशिक दासता का कंटक भी चुभ रहा होता है। भारत शब्द को हेय और पिछड़ेपन की दृष्टि से देखा जाय यह सर्वथा अनुचित है। ऐसा करना अचेतन मन की गुलामी है जो आज़ादी के इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी जकड़ी हुई है। जब अंग्रेजी हुकूमत न रही तब फिर उनके द्वारा रखा गया नाम ही हर तरफ क्यों गुंजायमान रहे ? सदियों से इस देश का नाम भारत ही है, इंडिया नहीं।

नाम किसी व्यक्ति , वस्तु अथवा स्थान के बारे में कई बातें बताता है। नाम का अर्थ होता है। हमारा नाम हमारी पहचान का महत्वपूर्ण अंश होता है। नाम इतिहास बोध भी कराता है, मानव जगत में हमारे ( व्यक्तिगत तथा देश दोनों के) अस्तित्व को प्रतिबिंबित करता है तथा समुदाय के सांस्कृतिक तथा सामाजिक संबंधों से जुड़ाव को भी दर्शाता है। बहुत से भारतवंशी जो विदेशों में बस गए हैं या अधिकांश रूप से वंही रहते है अक्सर उनके मन में अपनी पहचान को लेकर पीड़ा रहती है। उनका नाम और उपनाम मिलकर एक मिश्रित अथवा जुदा जुदा पहचान को इंगित करता है जो आत्म-सम्मान को ठेस पंहुचाता है। प्रश्न यह की क्या हम किसी अपने प्रिय, सम्बन्धी या संतान का नामकरण करने में बीच का रास्ता निकलते हैं क्या? हमारा नाम हमारी कहानी, हमारी जीवन गाथा का अभिन्न हिस्सा होता है। नाम से कहानियों के तार जुड़े होते हैं।नाम की महत्ता-भारत या इंडिया

यह एक ऐतिहासिक तथ्य है कि हमारे देश को सदियों से भारत और भारतवर्ष कहा जाता रहा है। पौराणिक साहित्य और महाभारत में भी इसका उल्लेख है। प्राचीन काल से ही हमारे देश के अलग-अलग नाम रहे हैं लेकिन इनमें भारत नाम सबसे ज्यादा लोकप्रिय रहा है। महात्मा गांधी ने कहा था कि भारत गांवों में बसता है। लगभग, देश की अस्सी प्रतिशत जनसँख्या ग्रामीण क्षेत्र में निवास करती है। जब ‘आत्मनिर्भर भारत’ की संकल्पना संजोये देश के युवा हर दिशा में अपना योगदान देने को तत्पर है, ऐसे समय में यह आवश्यक है कि हमें अपनी राष्ट्रीयता का गौरव बोध हो तथा भारत नाम का प्रयोग अधिकाधिक हो।
तर्क यह दिया जाता है कि इंडिया नाम एक ब्रांड है, इसकी ब्रांड वैल्यू है, इमेज है लेकिन कुछ वर्ष पहले भी यही तर्क दिया गया जब बम्बई का नाम मुंबई , मद्रास का नाम चेन्नई और गुडगाँव का नाम गुरुग्राम कर दिया गया। कम्युनिस्ट शासन ने भी पश्चिम बंगाल में कलकत्ता नाम को बदला। लेकिन आज भी मुंबई हो या बेंगलुरु ब्रांडिंग आगे ही बढ़ी है , खराब नहीं हुई। भारत को ‘भारत’ कहने में कोई संवैधानिक आपत्ति नहीं हो सकती अतः प्राथमिकता इस नाम को मिलना शुभ होगा, श्रेयस्कर होगा ।

डॉ सुशांत चतुर्वेदी, असिस्टेंट प्रोफेसर राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज, अंबेडकर नगर, उत्तर प्रदेश.

Related Articles

Back to top button
जनवाद टाइम्स