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Prayagraj News: पारि-पुनर्स्थापन वन अनुसंधान केंद्र के माघमेला स्थित शिविर में एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का किया गया आयोजन

रामजी विश्वकर्मा

पारि-पुनर्स्थापन वन अनुसंधान केंद्र के माघमेला स्थित वन चेतना शिविर में गुरूवार को विश्व आयुर्वेद मिशन के संयुक्त तत्वावधान में रोग प्रतिरोधक क्षमता वर्धक प्रमुख वनौषधियाँ-उत्पादन, संरक्षण एवं चिकित्सीय प्रयोग (वर्तमान परिदृश्य में) विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन श्री धन्वन्तरि हर्बल्स के सौजन्य से माघ मेला में वन अनुसंधान केन्द्र, त्रिवेणी मार्ग, परेड ग्राउण्ड, प्रयागराज स्थित शिविर में गुरुवार दिनांकः 18.02.2021 को आयोजित हुआ। जिसमें आयुर्वेद चिकित्सा विशेषज्ञों के साथ साथ वन अनुसंधान केन्द्र के वैज्ञानिक एवं प्रगतिशील किसानों ने भी भाग लिया । कार्यक्रम के प्रारम्भ में वन अनुसंधान केंद्र के प्रमुख डॉ संजय सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया एवं अपने उद्वोधन में उन्होंने भारत को अमूल्य वन सम्पदा का भण्डार बताया । डॉ सिंह ने स्पष्ट किया कि हमारे देश में रोग प्रतिरोधक क्षमता वर्धक अनेकों वनौषधियाँ उपलब्ध हैं यदि इनका समुचित उत्पादन, भण्डारण एवं संरक्षण किया जाये तो न केवल अपने देश में अपितु वैश्विक स्तर पर इनकी आपूर्ति की जा सकती है । इसके बाद विश्व आयुर्वेद मिशन के अध्यक्ष प्रो (डॉ) जी एस तोमर ने कार्यशाला का विषय प्रवर्तन करते हुए वर्तमान परिदृश्य में इम्युनिटी को बढ़ाने वाली हर्बल औषधियों की आवश्यकता एवं उपयोगिता पर विशेष प्रकाश डाला।

डॉ तोमर ने बताया कि कोरोना कालखण्ड में गिलोय, तुलसी, असगंध, शतावर, मुलहठी, अदरख एवं आँवला आदि के रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले गुणों से हमारे देश के ही नहीं सम्पूर्ण विश्व के लोग काफी परिचित हो चुके हैं । इस तथ्य को नकारा नहीं जा सकता कि आने वाले समय में इसी प्रकार के अन्य वायरस पुनरू हमारे लिए संकट पैदा कर सकते हैं । ऐसी स्थिति में हमारी इम्युनिटी ही हमारे स्वास्थ्य की रक्षा कर सकती है। आयुर्वेद में इस प्रकार की औषधियों की भरमार है जो वर्तमान परिदृश्य में हमारे लिए संजीवनी सिद्ध हो सकती हैं । इसी उद्देश्य के दृष्टिगत वर्तमान कार्यशाला का आयोजन किया गया है। इसमें इन औषधियों के उत्पादन, संरक्षण एवं चिकित्सीय प्रयोग पर विस्तृत चर्चा की जा रही है। वतौर मुख्य अतिथि पूर्व आयुक्त श्री आर एस वर्मा ने आयुर्वेदीय वनौषधियों की कार्यकारिता पर अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हुए इन्हें आज के परिवेश हेतु अत्यंत आवश्यक एवं उपयोगी बताया । विशिष्ट अतिथि के रूप में अपने उद्बोधन में माघमेला प्रभारी डॉ विवेक चतुर्वेदी ने इम्युनिटी वर्धक हर्बल औषधियों की कोरोना महामारी के दौरान वैश्विक माँग को देखते हुए इनके गुणवत्ता पूर्ण उत्पादन, भण्डारण एवं औषधि निर्माण के द्वारा विश्व बाजार के माध्यम से अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान की जा सकती है । इस अवसर पर वनौषधि विशेषज्ञ एवं प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ अवनीश पाण्डेय ने महत्वपूर्ण रोग प्रतिरोधक क्षमता वर्धक औषधियों के गुण कर्मों की विस्तृत चर्चा की ।

कार्यशाला में अपने उद्वोधन में डॉ कुमुद दुबे ने एण्टीआॉक्सीडेन्ट न्यूट्रास्युटिकल्स पर विशेष प्रकाश डाला। डॉ अनीता तोमर ने रोग प्रतिरोधक क्षमता वर्धक वनौषधियों के उत्पादन एवं संरक्षण विधि को विस्तार से बताया एवं डॉ अनुभा श्रीवास्तव ने सहजन के रोग प्रतिरोधक क्षमता वर्धक गुणों पर चर्चा की। विश्व आयुर्वेद परिषद काशी प्रांत के अध्यक्ष डॉ पी एस पाण्डेय ने पोस्ट कोरोना पीरियड में आयुर्वेदीय औषधियों की आवश्यकता एवं महत्व पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर डॉ बी एस रघुवंशी, डॉ सुधांशु उपाध्याय एवं डॉ एम डी दुबे ने भी अपने अनुभव साझा किए।

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