Etawah News : गेहूं क्रय केन्द्र तो खुले लेकिन पहले दिन नहीं पहुंचे किसान

मनोज कुमार राजौरिया : इटावा गेंहू मूल्य समर्थन योजना के तहत गेहूं खरीद केन्द्र बुधवार से खुल गए हैं। लेकिन पहले दिन किसी भी केन्द्र पर किसान नहीं पहुंचे और केन्द्र प्रभारी पूरे दिन सन्नाटे में ही बैठे रहे। हालांकि कई केन्द्रों पर अभी व्यवस्थाएं भी पूरी नहीं हुई हैं। एसडीएम सदर सिद्धार्थ व जिला खाद्य विपणन अधिकारी संतोष पटेल ने नवीन मंडी स्थित चार केन्द्रों का दौरा किया और व्यवस्थाओं को दुरुस्त रखने के निर्देश दिए। माना जा रहा है कि गुरुवार से कुछ केन्द्रों पर खरीद शुरु हो सकती है।
जिले में 64 गेंहू क्रय केन्द्र खोले गए हैं। इन केन्द्रों को 56 हजार 500 मीट्रिक टन खरीद का लक्ष्य दिया गया है और इस लक्ष्य को 15 जून तक सभी को पूरा करना है। कोरोना वायरस के संक्रमण से किसानों को बचाने के लिए इस बार टोकन सिस्टम भी लागू किया गया है। जिसका पालन प्रत्येक किसान को करना होगा। शहर की नवीन मंडी में पीसीएफ, खाद्य विभाग, यूपीएसएस व एफसीआई के केन्द्र खुले हैं। इनमें से तीन केन्द्रों पर तो स्टॉफ मौजूद था और व्यवस्था दुरुस्त थी लेकिन एफसीआई के केन्द्र पर सिर्फ बैनर लगा हुआ था और यहां पर न तो कोई सामान उपलब्ध था और न ही कोई कर्मचारी। जबकि खाद्य विभाग के केन्द्र पर प्रभारी अजय कुमार गौतम मौजूद थे। यहां से दो किसान टोकन भी ले गए। केन्द्र पर सैनेटाइजर की व्यवस्था थी लेकिन उसे बंदर उठा ले गए थे। बाद में साबुन मंगाकर रखा गया। पीसीएफ केन्द्र पर प्रभारी सहजादे व यूपी एसएस केन्द्र पर प्रभारी गुरु प्रसाद मौजूद मिले और यहां सभी व्यवस्था दुरुस्त थी।
बलरई क्षेत्र में एक ही परिसर में तीन केन्द्र खोले गए हैं। इन केन्द्रों पर दो-दो किसानों ने रजिस्टे्रशन कराए थे। किसी भी केन्द्र पर वारदाना नहीं था। साथ ही पीने के पानी की भी कोई व्यवस्था नहीं थी। साधन सहकारी समिति तिजौरा व एफएसएस केन्द्र की प्रभारी प्रियंका ने बताया कि हाथ धुलवाने के लिए साबुन की व्यवस्था की गई है। वहीं सहकारी साधन संघ के प्रभारी दुर्विजय सिंह ने बताया कि उन्होने सैनेटाइजर की व्यवस्था की है। छाया के लिए सिर्फ पेड़ों का ही सहारा है। जिला खाद्य एवं विपणन अधिकारी संतोष कुमार पटेल का कहना है कि उन्होंने इटावा व जसवंतनगर मंडी में केन्द्रों का निरीक्षण किया। अधिकतर केन्द्र खुले मिले। सभी को हिदायत दी गई कि समय से केन्द्र खोले जाएं और किसानों को किसी तरह की परेशानी न होने दी जाए।