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Etawah News: शीतऋतु के आगमन पर प्रवासी पक्षियों का यमुना नदी पर आगमन शुरू

संवाददाता: मनोज कुमार
इटावा/जसवंतनगर: भारत में प्रवासी पक्षियों का यमुना नदी पर आगमन का हैप्पी सीजन शुरू हो गया है और विभिन्न पक्षी अपने अपने देशों से आना शुरू हो गए हैं। बीहड़ी क्षेत्र में यमुना की तलहटी में दक्षिणी यूरोप मंगोलिया तथा चीन से पक्षी रेडीसन डक शीत ऋतु आरम्भ होने के साथ प्रवास पर आने लगती हैं। बसंत ऋतु यानी फरवरी मध्य तक ठंड का मौसम खत्म होते ही अपने देश लौट जाते हैं। साधारण भाषा में रेडिसन डक को चकवा-चकवी कहते हैं। चकवा या चक्रवाक एक सुनहरे रंग का पक्षी है। यह साहित्य का चिरपरिचित पक्षी है जैसे बुलबुल। लेकिन गाँवों में ये ‘चकवा-चकई’ के नाम से प्रसिद्ध है। यह पक्षी वर्ग के हंस कुल का मझोले कद का प्राणी है जो प्रतिवर्ष जाड़ों के प्रारंभ में हमारे देश में उत्तर की ओर से आकर जाड़ा समाप्त होते होते फिर उसी ओर लौट जाता है।

Etawah News: Migratory birds started arriving on Yamuna river in winter season

इन दिनों यमुना नदी मेें विभिन्न स्थानों पर चक्रवाक पक्षी दर्जनों की संख्या में सुबह-शाम नदी किनारे धूप सेंकते या फिर नदी में जलीय वनस्पति घास-पूस को अपना भोजन बनाते दिखाई दे जाएंगे। चकवी की विशेषता है कि सूरज उगने से शाम को सूरज ढलने तक यह जोड़े में रहता है। सूर्यास्त होते ही यह अलग-अलग हो जाते हैं। जाखन, घुरा, पूंछरी, कछपुरा, कीरतपुर, कचौरा घाट, खंदियां गाँव के किनारे यमुना नदी पर यह आम तौर पर देखे जाते हैं। जानकारों की मानें तो लद्दाख में पाए जाने वाला यह पक्षी जून-जुलाई में प्रजनन करता है। अक्टूबर माह तक प्रवासी पक्षी बन कर देश में कम ठंड होने वाले मैदानी क्षेत्रों में आ जाता हैं। प्रवास पर आए पक्षियों में पहला पक्षी होता हैं। इसके बाद साइबेरिया से पिनटेल डक, शोवलर, डक, कामनटील, डेल चिक, मेलर्ड, पेचर्ड, गारगेनी टेल तो उत्तर-पूर्व और मध्य एशिया से पोचर्ड, कामन सैंड पाइपर के साथ-साथ फ्लेमिंगो भी आते हैं। भारतीय पक्षियों में शिकरा, हरियल कबूतर, दर्जिन चिड़िया, पिट्टा, स्टॉप बिल डक आदि पक्षी प्रमुख हैं जो प्रतिवर्ष यहां आ जाते हैं।

पक्षी बायोलॉजिकली रडी शेल्डक नाम से और हिंदी में चक्रवाक नाम से जानी जाती और यह वाटर डक फेमिली की होती है। इसका 1 से लेकर 2 किलोग्राम तक वजन होता है और लम्बाई में 70 सेंटीमीटर और इसके पंख 110 से 135 सेंटीमीटर तक लम्बे होते हैं। यह सुनहले रंग की चिड़िया होती है। यह जून जुलाई में बच्चे पैदा करती। लद्दाख और चीन में बहुतायत से पायी जाती है बताते है मादा को नर चकवा रात में अकेला छोड़कर गायब हो जाता है। ये नदियों नहरों के किनारे खड़े ऊंचे ऊंचे वृक्षों प्रायः यूकेलिप्टस पर ठहरना ज्यादा पसंद करते हैं।

जनवाद टाइम्स इटावा

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