Bihar News भू-माफियाओं के साथ मिलकर एक पक्षीय कार्यवाही करने का बेतिया मुफ्फसिल थाना पर ग्रामीणों का आरोप

मोहन सिंह बेतिया
बेतिया नगर निगम के मुफ्फसिल थाना क्षेत्र अंतर्गत वार्ड संख्या 37, बरवत पसरैन के सतेन्द्र तिवारी के पुस्तैनी जमीन पर कार्य कराने को लेकर गांव के कतिपय भू माफियाओं के द्वारा जबरन दावेदारी दिखाकर कब्जा करने का प्रयास किया जा रहा था, जिसको लेकर थाना से लेकर अंचल तक आवेदन देकर पूरे मामले की जानकारी दी गई, परन्तु भू माफियाओं ने अपने प्रभाव से पुलिस पदाधिकारियों को अपने प्रभाव में लेकर अपना कब्जा करने का प्रयास जारी रखा। जिसको लेकर दीपावली के पूर्व 10 नवम्बर को डायल 112 के पुलिस के सामने दोनों पक्षों में मारपीट तक हुई। जिसमें कुछ लोग घायल भी हुए थे। उसमें भी ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि पुलिस को पहले बुलाकर उनकी उपस्थिति में जमीन पर कब्जा करने का प्रयास किया जा रहा था, जिसके पश्चात मारपीट हुई।
इसके बाद भी मुफ्फसिल थाना की पुलिस ने भू माफियाओं के साथ मिलकर जमीन को विवादित बनाकर धारा 144 लगवा दिया । उसके नोटिस को लेकर 13 नवम्बर के रात्रि लगभग 11 बजे आकर भूमि मालिक सतेन्द्र तिवारी को नोटिस दिखाकर जमीन पर कार्य नहीं कराने की बात कही गई तथा इस बीच बहस हो गई। जिसके पश्चात पुलिस के अधिकारी सतेन्द्र तिवारी को जबरन गिरफ्तार कर थाना ले गये। जब घर के लोग और ग्रामीण थाना पहुंचे तो इधर भू माफियाओं के गुडों ने जमीन पर पहुंच कर निर्माणाधीन दिवालों और पिलरों को तोड़ना शुरू कर दिया। सतेन्द्र तिवारी को पुलिस द्वारा गिरफ्तार करने और गुंडों द्वारा जमीन पर तोड़ फोड़ और ध्वस्त किए जाने की घटना पास में लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई। बेतिया पुलिस बेखौफ खेल रही है भूमि की खेल।
इस घटना के बाद स्थानीय ग्रामीणों का गुस्सा फुट पड़ा और मुफ्फसिल थाना की पुलिस पर जबरन कब्जा करवाने के लिए सतेन्द्र तिवारी को गिरफ्तार करने का लगाया आरोप।
ग्रामीणों और परिवार वालों ने मोटी रकम लेकर पुलिस द्वारा बरवत पसरैन की जमीनों पर कब्जा करवाए जाने का गंभीर आरोप भी लगाया गया। गुंडों को तोड़ फोड़ करवाने की छूट देने के लिए जानबूझकर बिना कोई मामला दर्ज किये भूमि मालिक को गिरफ्तार किया गया। ताकी भू माफिया अपने गलत मंसूबों में कामयाब हो सकें।
सीसीटीवी में कैद दोनों घटनाओं का फुटेज बेतिया मुफ्फसिल थाना के ऊपर कई सवालों को जन्म देता है। साथ ही भूमि कब्जा करवाने के आरोपों से घिरी मुफस्सिल पुलिस की कार्यवाही संदेहास्पद बनी हुई है। जिस तरह से स्थानीय ग्रामीण थाना का विरोध कर रहे हैं वैसी स्थिति में थाना की एक पक्षीय संलिप्तता से इंकार भी नहीं किया जा सकता । रात्रि 11 बजे जाकर धारा 144 की नोटिस दिखाने और तामिला कराने की बात स्थानीय लोगों को एक पक्षीय प्रभाव प्रतीत हो रहा है। बहरहाल पूरा मामला एक गंभीर जांच का विषय बना हुआ है । ग्रामीण दोषी पुलिस पदाधिकारी के खिलाफ अपना आवेदन एसपी, डीआईजी, डीजीपी को दे रहे हैं ताकि निष्पक्ष जांच व कार्यवाही हो सकें।