Bihar News बड़े चाव से सुन रहा था जमाना, तुम्हीं सो गए दास्ताँ कहते कहते: सनील कुमार राव

संवाददाता मोहन सिंह बैतिया
चंपारण के पत्रकारिता जगत के भीष्म पितामह के नाम से चर्चित निडर पत्रकार तिर्थराज कुशवाहा का निधन का मतलब निडर पत्रकारिता के सबसे मजबूत किला का ढहना।
वह आमजन के आवाज को अपने पत्रकारिता का आधार बनाते थे।उनके निधन ने उन तमाम लोगों को झकझोर दिया है जो अपराध, दमन,भष्ट्राचार, सामाजिक न्याय और लोकतंत्र की लड़ाई को लड़ते हैं। आज उन तमाम लोगों को उनकी कमी बहुत खल रही है और वे मर्माहत है।
चंपारण जब मीनी चंबल के रूप में कुख्यात था या जब लाल कार्ड घोटाला हुआ था उस खौफनाक दौर में भी जब अच्छे अच्छे लोग अपराधियो और दबंगों के समक्ष घुटने टेक दिए थे उस दौर में भी तिर्थराज कुशवाहा बिना खौफ पत्रकारिता के अपने कर्तव्य पथ पर चलते रहे। पत्रकारिता के भिष्म पितामह को अश्रुपूरित नैनों से विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए हम उनके बारे में अंतिम यही कहेंगे
बड़े चाव से सुन रहा था जमाना तुम्ही सो गए दास्ताँ कहते कहते।