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Bihar news धान बीज प्रोडक्शन के क्षेत्र में जिले को बनायें आत्मनिर्भर : जिलाधिकारी

संवाददाता मोहन सिंह बेतिया

जिलाधिकारी, कुंदन कुमार की अध्यक्षता में आज कृषि टास्क फोर्स की बैठक सम्पन्न हुयी। कृषि टास्क फोर्स की बैठक में जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम, फसल अवशेष प्रबंधन, सूक्ष्म सिंचाई, बीज उपलब्धता एवं वितरण, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (दलहन) फसल आच्छादन, उर्वरक उपलब्धता एवं खपत, कृषि यांत्रिकरण, फसल प्रत्यक्षण, जल संचयन योजना, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना, राष्ट्रीय बागवानी मिशन, मुख्यमंत्री बागवानी मिशन, आत्मा, मिट्टी जांच आदि की गहन समीक्षा जिलाधिकारी द्वारा की गयी।

समीक्षा के क्रम में जिला कृषि पदाधिकारी द्वारा बताया गया कि आवेदन करने वाले कृषकों को ससमय 3848.16 क्विंटल धान बीज उपलब्ध करा दिया गया है, जिसमें स्वर्णा सबवन, एमटीयू, 7029, सबौरश्री, राजेन्द्र स्वेता आदि प्रभेद शामिल हैं। उन्होंने बताया कि किसानों को 10 वर्ष से अधिक के धान प्रभेदों पर 15 रूपया प्रतिकिलो एवं 10 वर्ष से कम के धान प्रभेदों पर 20 रूपया प्रतिकिलो अनुदान दिया जाता है। साथ ही मुख्यमंत्री तीव्र बीज विकास योजना के तहत एक राजस्व ग्राम के पांच किसानों को 06-06 किलो धान बीज 90 प्रतिशत अनुदान पर दिया जाता है।

जिलाधिकारी के पृच्छा पर जिला कृषि पदाधिकारी द्वारा बताया गया कि बिहार राज्य बीज निगम द्वारा कृषि कार्यालय को बीज उपलब्ध कराया जाता है। जिले में प्रतिवर्ष लगभग 40 हजार क्विंटल धान बीज की आवश्यकता होती है, जो बाहर से ही आता है। उन्होंने बताया कि धान की फसल में किसानों को प्रति एकड़ लगभग 15 हजार का लाभ प्राप्त होता है वहीं धान बीज का प्रोडक्शन करने पर यह लाभ सीधे दोगुना हो जायेगा।

जिलाधिकारी ने कहा कि पश्चिम चम्पारण जिले को धान बीज प्रोडक्शन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की आवश्यकता है। जिले के इच्छुक किसान जिन धान बीजों की ज्यादा डिमांड करते हैं, वैसे बीजों का प्रोडक्शन पश्चिमी चम्पारण जिले में कैसे हो, इस दिशा में तेजी के साथ कार्य करें। ऐसा प्रयास करें कि जिले के किसान इसी जिले के उत्पादित बीज से धान की रोपनी करें। उन्होंने कहा कि धान बीज का उत्पादन इसी जिले में करने हेतु किसानों को जागरूक एवं प्रेरित करें।

जिलाधिकारी ने निदेश दिया कि अन्य जगहों पर जहां धान बीज का उत्पादन किया जाता है, वहां का अच्छे तरीके से अध्ययन करें और पश्चिमी चम्पारण जिले में बीज उत्पादन कराने के लिए सार्थक प्रयास करें। साथ ही फसल पैदावार को बढ़ाने की दिशा में भी कारगर कार्रवाई करें। जिले में धान पैदावार अन्य जगहों की तुलना में कम हो रहा है तो, इसकी सूक्ष्मता से बिन्दुवार अध्ययन करें। जिन जगहों पर फसल की पैदावार ज्यादा हो रही है, वहां के बारे में विस्तृत जानकारी इकट्ठा करें और पश्चिमी चम्पारण जिले में धान पैदावार को बढ़ाना सुनिश्चित करें।

जिलाधिकारी ने कहा कि धान की रोपनी जिले में प्रारंभ हो गयी है। सिंचाई की समस्या को लेकर कई मामले प्रकाश में आयें हैं, इसे दूर किया जाना अतिआवश्यक है। कैनाल डिविजन और कृषि विभाग आपसी समन्वय स्थापित कर पर्याप्त मात्रा में पानी छोड़ना सुनिश्चित करेंगे ताकि किसानों को परेशानियों का सामना नहीं करना पड़े।

उर्वरक की समीक्षा के क्रम में जिला कृषि पदाधिकारी द्वारा बताया गया कि खरीफ मौसम 2022-23 में जिले में 16620.12 एमटी यूरिया, 5559.60 एमटी डीएपी, 2181.55 एमटी पोटाश, 2185.50 एमटी एनपीके मिक्सचर एवं 120 एमटी एसएसपी की उपलब्धता है, जिसे थोक विक्रेताओं को उपलब्ध करा दिया गया है। इसके अतिरिक्त इस माह में आइपीएल, किसान यूरिया एवं कृफको कंपनी के यूरिया का तीन रैक एक सप्ताह के अंदर जिले को उपलब्ध हो जायेगा। उन्होंने बताया कि भारत बंद एवं बिहार बंद को लेकर ट्रेनों के परिचालन अवरूद्ध होने के कारण शेष यूरिया पहुंचने में कुछ दिनों का विलंब हुआ है। यूरिया का रैक पहुंचते ही सभी थोक विक्रेताओं को उपलब्ध करा दिया जायेगा।

जिलाधिकारी ने कहा कि विभाग और उर्वरक कंपनी से समन्वय स्थापित कर तुरंत यूरिया का रैक की उपलब्धता जिले में सुनिश्चित की जाय ताकि किसानों को धान रोपनी में सहूलियत हो सके। उन्होंने निदेश दिया कि उर्वरक की कालाबाजारी करने वालों के विरूद्ध नियमानुकूल सख्त कार्रवाई की जाय। हर हाल में निर्धारित दर पर उर्वरक का वितरण कराना सुनिश्चित किया जाय।

जिला पशुपालन पदाधिकारी को जिले में प्रत्येक माह कितने अंडे का उत्पादन होता है, कितने अंडे की खपत है और कितने अंडे बाहर से मंगाये जाते हैं, का विस्तृत रिपोर्ट उपलब्ध कराने का निदेश दिया गया। साथ ही जिले के सभी पोल्ट्री वालों के साथ एक मिटिंग कराने को कहा गया ताकि अंडा उत्पादन के क्षेत्र में जिले को अग्रणी बनाया जा सके।

जिला पशुपालन पदाधिकारी को मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में जिला को अग्रणी बनाने हेतु ठोस कार्रवाई करने का निदेश जिलाधिकारी द्वारा दिया गया। साथ ही चौर विकास के तहत तालाब निर्माण का कार्य शत-प्रतिशत विभागीय दिशा-निर्देशों के अनुरूप कराने का कहा गया। जिलाधिकारी ने निदेश दिया कि मत्स्य पालन के साथ-साथ ज्यादा मात्रा में मखाना की खेती कराने हेतु मत्स्य पालको और मखाना उत्पादकों को जागरूक एवं प्रेरित किया जाय।

समीक्षा के क्रम में बताया गया कि फसल अवशेष प्रबंधन के तहत जिले में कुल-35 कम्बाईन हार्वेस्टर है। सूक्ष्म सिंचाई अंतर्गत ड्रीप एवं स्प्रींक्लर का अधिष्ठापन 14.56 हेक्टेयर में किया गया है। जल संचयन योजना अंतर्गत वर्ष 2022-23 में जल संरक्षण संरचना का निर्माण हेतु 144 कार्यादेश निर्गत किया गया है जिसमें से 55 में कार्य प्रारंभ कर दिया गया है तथा 48 निर्माण पूरा करा लिया गया है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना अंतर्गत 302891 आवेदन स्वीकृत किये गये हैं। सत्यापन हेतु 496 आवेदन कृषि समन्वयक स्तर पर तथा 864 आवेदन अंचलाधिकारी स्तर पर लंबित है, जिसे शीघ्र ही सत्यापित करा लिया जायेगा। जिलाधिकारी ने निदेश दिया कि कृषि समन्वयक एवं अंचलाधिकारी स्तर पर सत्यापन हेतु लंबित आवेदनों को तुरंत सत्यापित कराना सुनिश्चित किया जाय।

इस अवसर पर उप विकास आयुक्त, अनिल कुमार, अपर समाहर्ता, नंदकिशोर साह, जिला कृषि पदाधिकारी, विजय प्रकाश सहित जिला मत्स्य पदाधिकारी, जिला पशुपालन पदाधिकारी, सहायक निदेशक, उद्यान आदि उपस्थित रहे।

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