आगरा न्यूज़ : एस एन हॉस्पिटल में भर्ती हुए मरीज को गर्मी से बचाना है, तो परिवारी जनों को बाहर से पंखा लाना है

संवाददाता प्रताप सिंह आजाद
आगरा— अक्सर आपने देखा होगा हर जगह शहर में प्राइवेट हॉस्पिटल हो या फिर सरकारी हर हॉस्पिटल में भर्ती हुए, मरीज के लिए सारी सुविधाएं दी जाती हैं। पीने को पानी गर्मी में पंखे एवं कूलर की हवा यहां तक कि कुछ हॉस्पिटलों में तो ऐसी भी चलता है ।गर्मी में लेकिन बात करें एसएन हॉस्पिटल की तो आज सूत्रों के अनुसार जानकारी में पता चला है। कि एसएन हॉस्पिटल में काफी दूर-दूर से बीमारी ठीक कराने के लिए अपने मरीज को लेकर आते हैं ।जिससे वह यहां से ठीक होकर जाएं मरीज के तीमारदारों को पूरा विश्वास होता है ।कि सरकारी हॉस्पिटल एस एन में कोई भी किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं होगी ।चाहे वह कहीं से भी आए और कितनी भी दूर से आए हर रोज सुना जाता है। कि सरकार मरीजों के लिए हर सुविधा उपलब्ध कर रही है ।हॉस्पिटलों में लेकिन मरीज के तीमारदारों को दुख तो जब हुआ ।जब उन्हें भर्ती हुए अपने मरीज के लिए पंखे की हवा तक नसीब नहीं हुई। और यह कोई एक मरीज के साथ नहीं हुआ ।ऐसे rकई मरीज है ।जिन्हें पंखे की हवा नसीब नहीं हुई ।इस गर्मी में कूलर की तो बात अलग है ।
मरीज को गर्मी में तड़पना पड़ता है ।इसको देखते हुए मरीज के तीमारदारों को बाहर से पंखा खरीद कर लाना पड़ा । फिर अपने मरीज को पंखे की हवा में रखा तब जाकर मरीज को सुकून और शांति मिली ,एवं उनके तीमारदारों को भी शांति मिली आंखिर यह समझ नहीं आता कि जब सरकार सारी सुविधाएं मरीजों के लिए हॉस्पिटल में दे रही है ,और सरकार द्वारा काफी पैसा भी आता है ।तो सरकारी हॉस्पिटल में किसी भी प्रकार की मरीज को तकलीफ ना हो, लेकिन यहां तो जनाब सरकारी हॉस्पिटल एस एन में एक पंखा भी नहीं मिला ।तीमारदारो की तो बात अलग है ।उनके मरीज जो भर्ती हुए हैं उनको भी अपने ही पैसे से पंखा लाकर हवा खानी पड़ी है ।ऊपर दिए गए चित्र में आप साफ़ देख रहे होंगे ।कि मरीज के पलंग के पास नए-नए पंखे लगे हुए हैं ।अब सवाल यह उठता है। कि मरीज दवा में पैसा खर्चा करें या फिर पंखे में आखिर सरकारी पैसा आता है तो फिर वह कहां चला गया ना जाने ऐसे कितने सवाल उठ रहे हैं ।मरीज के साथ आने वाले तीमारदारों के दिमाग में अब तो बस उनकी सोच यही है अपने मरीज को एसएन हॉस्पिटल में भर्ती कराना होगा , तो बाहर से स्वयं अपना पंखा खरीद कर लगाना होगा। तभी अपने मरीज को ऐसी गर्मी में राहत मिलेगी ।
अब देखना होगा कि आखिर गर्मी से तड़पते हुए मरीजों को पंखे एवं कूलर की हवा कब तक नसीब होगी यानी फिर बीमारी के साथ-साथ गर्मी से भी तड़पना पड़ेगा। इसका एहसास तो अधिकारियों को जब होगा ,जब शायद उनके ऑफिस में कूलर एवं पंखा भी ना हो ,एसी की तो बात अलग है तब शायद आंख खुलेगी, कोई तड़पता हुआ इंसान गर्मी में किस प्रकार रहता है।