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रूस यूक्रेन विवाद पर बेवजह भारत की पोल खुल गई?

लेखक: डॉ धर्मेंद्र कुमार-असिस्टेंट प्रोफेसर

India's unnecessarily exposed on Russia Ukraine dispute?

सोवियत संघ विघटन के बाद यूक्रेन स्वतंत्र राष्ट्र बनकर महाशक्ति अमेरिका की गोदी में बैठ जाना चाहता है तथा रूस को नीचा दिखाना चाहता हैl यूक्रेन पूर्वी यूरोप में स्थित है जिस की पूर्वी सीमा रूस तथा उत्तरी सीमा पोलैंड ,स्लोवाकिया से लगती है l  पश्चिम में हंगरी दक्षिण पश्चिम में रोमानिया और मालदोव  तथा दक्षिण में काला सागर और अजोव सागर से इसकी सीमाएं मिलती है l 1922 में यूक्रेन सोवियत संघ का संस्थापक सदस्य बना l 1945 में यूक्रेनिया एस एस आर संयुक्त राष्ट्र का सह संस्थापक सदस्य बना l 1991 में सोवियत संघ विघटन के बाद संप्रभु राष्ट्र बन गया l यूक्रेन का डॉनबास रीजन रशियन मूल के निवासियों वाला क्षेत्र है जो रसिया में मिल जाना पसंद करते हैंl  क्रीमिया में नेचुरल गैस के कुएं जिसकी सप्लाई यूरोप में होती है इस कारण अमेरिका का लालच बढ़ गया और यूक्रेन को आश्वासन दिया कि वह यूक्रेन को नाटो का सदस्य बना देगा जो रूस के लिए असहज था l  रूस ने टर्की की सीमा पर काला सागर में यूक्रेन के जहाजी बेड़ों का विरोध किया किंतु यूक्रेन पर अमेरिका का नशा था उसने रूस की बात को कोई महत्व नहीं दिया l तब चीन के राष्ट्रपति शीजिनपिंग तथा रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने वार्ता कर यूक्रेन को खदेड़ना उचित समझा l  रूसी शक्ति प्रदर्शन के बाद यूक्रेन तो  तहस-नहस हुआ ही  साथ ही अमेरिका ने किसी भी प्रकार की मदद देने से साफ इनकार कर दिया l

India's unnecessarily exposed on Russia Ukraine dispute?

रूस यूक्रेन युद्ध में आए तमाम मोड़ यह साबित करते हैं कि हमें अर्थात प्रत्येक देश को अपनी विदेश नीति तथा गृह नीति को चाक-चौबंद रखने की आवश्यकता है ताकि युद्ध अर्थात संकटकाल में हम और हमारे मित्रों शत्रुओं के साथ संसाधनों का सही पता चल सकेl

भारतीय संदर्भ में हमें जानना अति आवश्यक है यूक्रेन के साथ हमारे क्या संबंध हैं ? हमने पासपोर्ट /वीजा देने के साथ दोनों देशों के नागरिकों को एक दूसरे देश में आवाजाही को कानूनी मान्यता प्रदान की है l भारतीय नागरिक  यूक्रेन युद्ध से पहले जब यूक्रेन जाते थे तब प्रत्येक नागरिक को हवाई सेवा का ₹20000 किराया भुगतान करना पड़ता था किंतु दौराने युद्ध भारतीय छात्रों/ नागरिकों को  वापस लाने के लिए 3 गुना अधिक अर्थात ₹60000 किराया वसूला जा रहा है l प्रश्न उठता है कि यह निजी करण की विशेषता कहीं जाए या सरकार की आपदा में अवसर की तलाश ?

India's unnecessarily exposed on Russia Ukraine dispute?

विषम परिस्थितियों में केंद्रीय सरकार के उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि हमारे पास विमान नहीं है l  हम यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को क्या अपनी पीठ पर बिठा कर  लाएं? हमारे पास उड्डयन मंत्रालय के नाम पर सिर्फ राजीव गांधी भवन है जो उड़ता नहीं ?  जैसे कथन से स्पष्ट है कि उड्डयन मंत्रालय बिना विमान का मंत्रालय रह गया है l क्योंकि उड्डयन मंत्रालय  के विमान अर्थात एयर इंडिया भारतीय प्रधानमंत्री ने पहले ही निजी हाथों में बेच दी है l  खैर परम सम्मानित उड्डयन मंत्री जी आप निराश ना हो अब तो बिना रेल के रेल मंत्री, बिना कृषि योग्य भूमि के कृषि मंत्री ,बिना शिक्षा विभाग के शिक्षा मंत्री, बिना पोस्ट ऑफिस के डाक मंत्री ,बिना पेट्रोल के पेट्रोलियम मंत्री, ही बनेंगे l हां मंत्री अलग-अलग योग्यता वाले जरूर होंगे जिसमें कुछ 12वीं पास के बाद इंटर करवाएंगे , कुछ बेटी बचाओ के साथ बेटी पटाओ  तथा कुछ साड़ों का गोबर बेचने के नारे के नारे बुलंद करते जगह-जगह नजर आएंगेl  चिन्मयानंद, कुलदीप सेंगर तथा अजय मिश्रा टेनि जैसे महान नेता अपने कार्यों से भारत भूमि को कृतार्थ करेंगे l यूक्रेन पर आए संकट काल में बहुसंख्यक लोग सुरक्षित बंकरो में निवास कर रहे हैं l क्या भारतीय गृह नीति में बकर निर्माण  व्यवस्था को शामिल किया गया है या नहीं ? क्या संकट काल में भारत के गृह एवं विदेश नीति संसाधनों के हिसाब से खरी उतरती है ?

प्रत्येक भारतीय ने मार्च 2019 में भारत सरकार द्वारा घोषित कोरोना काल अवश्य देखा होगा जब अपने देश के महानगरों में हजारों किलोमीटर दूर से आए  दिहाड़ी   श्रमिक वापस अपने घरों को लौटे तो उनकी संख्या करोड़ों में थी l  जो पैदल रोड तथा रेल की पटरियों पर चलकर, अपने बेटों की लाश कंधों से चिपका कर, वृद्ध मां बाप को पीठ पर बिठाकर ,सूटकेस  पर बच्चे लिटा कर, वृद्ध पिता को साइकिल पर बिठाकर बेटी ,हजारों किलोमीटर दूर चले l उनके जूते, चप्पल भी उनका साथ छोड़ गए l भूखे ,प्यासे, नंगे पैर चलने वाले पुलिस की लाठियां खाकर अपने गंतव्य पर न पहुंच कर कुछ लोग सीधे स्वर्ग की ओर हमसे दूर चले गए l  अस्पतालों में पीपीई  किट ,ऑक्सीजन ,बेड की किल्लत  एक अकुशल प्रबंधकीय दृष्टिकोण को ही प्रदर्शित करता है lदूसरी ओर सत्तासीन ,आम नागरिक से लेकर खास व विशिष्ट नागरिकों से ताली ताली बजाते रहे और उनके प्रशंसक सत्ता की प्रशंसा करने में व्यस्त दिखे l मसाला गाय का हो, अयोध्या का हो ,बनारस की गंगा आरती का हो ,घर-घर रसोई गैस का वितरण ,खाद्यान्न वितरण की वाहवाही लूटते रहे l धरातल पर कभी नहीं देखा कि सच्चाई क्या है ? किंतु इतना अवश्य है कि यूक्रेन संकट से जूझ रहा तथा अपने नागरिकों तथा प्रवासी नागरिकों की हिफाजत कर रहा है l यदि संकट में हमारे संसाधन जन उपयोग पर खरे उतरते हैं तो हमारा प्रबंधकि दृष्टिकोण उचित है, अन्यथा गैर जिम्मेदार रवैया ही कहा जाएगा l  यूक्रेन संकट भारत के उड्डयन विभाग की ही नहीं संपूर्ण भारतीय प्रशासनिक व्यवस्था की पोल खोल रहा है l

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