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फूलन देवी: सामंती सोच ने फूलन देवी को किया मजबूर ,जंगलों की राह चलकर बन गई -बैंडिट क्वीन।

लेखक धर्मेंद्र कुमार

सामंती सोच ने फूलन देवी को किया मजबूर,

जंगलों की राह चलकर बन गई -बैंडिट क्वीन।

अन्याय को सहन करना सबसे बड़ा गुनाह है,

फूलन देवी ने इस कथन का पालन कर गुनाहगारों को सिखाया सबक l

 

वहशीपन का परिणाम था वहमई कांड ,कोई क्यों बनना चाहेगी बैंडिट क्वीन ?

आजादी के बाद भी संवैधानिक युग में महिलाओं को भोग की वस्तु समझकर उसकी अस्मत से खेलना, शीलभंग करना, रेप तथा गैंग रेप करना सामंती युग की कहानी दोहराता है l ऐसी विषम परिस्थितियों में से गुजरी हुई महिला प्रतिशोध की आग में यदि बैंडिट क्वीन बनती है तो इसमें पीड़ित महिला का कोई दोष नहीं है l

माला सेन द्वारा लिखित पुस्तक ‘बैंडिट क्वीन ‘में फूलन देवी के ऊपर हुए अमानवीय कृत्यों को संसार के समक्ष लाकर बौद्धिक वर्ग में एक बहस शुरू कर दी कि क्या भारतीय व्यवस्था उसी मानकानुसार चल रही है जिसका स्वप्न आजादी के आंदोलन में देखा गया था ? क्या भारतीय संविधान में मिले समानता के अधिकार का जिसमें रंग ,धर्म ,नस्ल ,जाति तथा लिंग के आधार पर किसी से भेद नहीं होगा ? क्या न्याय के मंदिर पीड़ितों को न्याय देने में सक्षम हैं ? क्या संभ्रांत जनों की सरकार न्याय स्थिति में काम कर रही हैं ? महिलाओं की अनिच्छा के बावजूद उसे रेप और गैंगरेप का क्यों शिकार होना पड़ रहा है ? क्या अपराधियों को अपराध के अनुपात में दंड मिल रहा है फिर क्यों हो रही है रोज बलात्कारों की पुनरावृत्ति ? अपराध रोकने में क्यों नहीं सफल है कार्यपालिका व्यवस्थापिका एवं न्यायपालिका ? क्या आज भी वर्ण के आधार पर न्याय का प्रावधान है ? यदि निर्धारित सरकार के तीनों अंग कुछ कह पाने की हैसियत में नहीं है तो हम प्रजातंत्र को सामंती युग दास युग राजतंत्र युग में रखना उचित समझेंगे ? शायद बौद्धिक वर्ग इसका समर्थन करें l

त्रेता युग में सूपनखा के नाक कान काटना ,सीता का हरण होना ,द्वापर में चक्रधारी सम्राटों की सभा में द्रोपदी का चीर हरण अर्थात निर्वस्त्र करना पुरुष वर्ग का अमानवीय चेहरा प्रदर्शित करता रहा तथा नारियों को अबला श्रेणी में रख उपभोग की वस्तु समझता रहा l

आजादी के पूर्व राष्ट्र में ऐसे अनेकों उदाहरण रहे किंतु आजादी के बाद संवैधानिक युग में कानून का शासन स्थापित कर महिलाओं को बराबरी का दर्जा दिला कर सबला की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया किंतु सरकारी अधिकारी तथा न्यायपालिका की उदासीनता के कारण हर रोज प्रिंट मीडिया, दृश्य मीडिया बलात्कार गैंग रेप रेप दहेज लोभ मैं महिलाओं को जलाने की खबर से भरे रहते हैं l आज तो चलन बन गया है कि बहुसंख्यक महामहिम देश के कर्णधार इस नारी शोषण के बदनुमा हस्ताक्षर हैं l यह भारतीय परिप्रेक्ष्य में व्यवस्था पर बदनुमा थप्पड़ है l

दरअसल 10 अगस्त 1963 जालौन जनपद के गोरहा गांव में दिन मल्लाह तथा मूला देवी के घर जन्मी फूलन देवी बैंडिट क्वीन क्यों और कैसे बनी ? का जिक्र अगली पंक्तियों में करूंगा मल्हा जाति की फूलन देवी के चाचा ने उसके पिता की जमीन हड़प ली 10 साल की उम्र में फूलन ने चाचा का प्रतिरोध किया मुख्यालय पर धरना दिया किंतु न्याय पाने में असफल रही l तभी 10 साल की उम्र में फूलन को अपनी सखी सहेलियां तथा पिता के आंगन को छोड़ने का दिन आ गया l पिता ने 35 -40 वर्षीय उम्मेद सिंह के साथ विवाह कर दिया l फूलन देवी ने इस बेमेलता को कैसे स्वीकार किया होगा ? यह तो फूलन हीं जानती होगी l जब 40 वर्षीय उम्मेद सिंह ने फूलन का शीलभंग किया होगा तब फूलन की व्यथित वेदना उसकी आंखों से छलके आंसू ही बयां कर रहे होंगे l यह विवाह नहीं मानो अत्याचार की पराकाष्ठा थी l रोज-रोज की असहज स्थिति ने फूलन को ससुराल से भागने पर मजबूर किया और फूलन अपने मायके खराब स्वास्थ्य लेकर आई किंतु बाह ! री नियत फूलन को उसके मायके वालों ने संरक्षण प्रदान नहीं किया मानो परिवार की लोक लाज फूलन ने छीन ली हो l अब तो गगन और धरा उसका साथ देने को तैयार नहीं थे तभी 15 वर्ष की उम्र में फूलन पर एक ह्रदय विदारक परेशानी का पहाड़ टूटा l फूलन का अपहरण हुआ और ठाकुर जाति के लोगों ने बंधक बनाकर उसका गैंगरेप किया l यह घटना 1 दिन की नहीं बल्कि पूरे 3 सप्ताह तक चली l

अरे निर्लोज्जो ! एक नारी की पीड़ा तुम क्या समझोगे? क्या समझोगे तुम महिला नर की खान होती है ? नारी! तेरा तो सर्वस्व लुट गया l तेरी वेदना भारतीय नारी ही नहीं प्रत्येक मानवीय संवेदनशील व्यक्ति की आंखों में आंसू नहीं शोले पैदा कर गई l नाश हो ! तुम्हारा नर पिशाचो जिस नारी ने तुम्हें पैदा किया वह सोच रही होगी कि तुम्हें पैदा करने से पहले वह मर क्यों नहीं गई ? सोच रही होगी कि तुम्हारे पैदा होते ही गला क्यों न दबा दिया ?

कैसे संभाला होगा फूलन ने खुद को ? अरे ! वीरांगनाओं की धरती दूध लजाने वाली नहीं फूलन ने बाबू गुर्जर गैंग में प्रवेश किया l विक्रम मल्लाह गैंग का दूसरा अत्यंत सक्रिय सदस्य था फूलन से उसका प्रेम संबंध हो गया l किंतु बाबू गुर्जर की नियत फूलन को लेकर ठीक नहीं थी l विक्रम मल्लाह ने बाबू गुर्जर को मौत की नींद सुला दिया l फूलन देवी डकैत बनकर बेहमई गांव आई और 1981 में वहां के 22 ठाकुर जाति के लोगों को घरों से निकाल कर गोलियों से भून डाला l प्रतिशोध की आग तथा बलात्कार दर बलात्कार को जो फूलन ने सहन किया था आज उस कहानी का पटाक्षेप कर दिया l यह सबक सिखा दिया कि गुनाहगारो तुम्हारी बदनियति का यही हश्र होगा और फूलन आज जंगलों की महारानी, न्याय की देवी बन गई थी किंतु देश की मीडिया के लिए वह बैंडिट क्वीन बन गई थी l

श्री राम ठाकुर तथा लाला ठाकुर गैंग बाबू गुर्जर की मौत का जिम्मेदार फूलन को मानते थे उन्होंने विक्रम मल्लाह को मार दिया अब फूलन देवी को अधिक कष्ट हुआ l

1983 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की पहल पर फूलन देवी ने सशर्त समर्पण किया कि उसकी गैंग के सदस्यों को मृत्युदंड न दिया जाए l गैंग के सदस्यों की कारावास अवधि 8 वर्ष से अधिक ना हो l शर्तें मंजूर होने के बाद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के समक्ष फूलन देवी ने अपनी गैंग के साथ आत्मसमर्पण कर दिया l 1993 में मुलायम सिंह सरकार ने उनके ऊपर लगे सारे आरोप वापस ले लिए l1994 में फूलन देवी जेल से रिहा हो गई l यह अच्छे दिनों की आहट थी कि फूलन देवी संभ्रांत जमात में कदम रखेगी l हुआ भी यही 1996 में फूलन देवी मिर्जापुर सीट से सांसद बनकर देश की महापंचायत में पहुंची उनकी जीत समाजवादी पार्टी के सांसद के रूप में हुई l 1998 में वह मिर्जापुर से चुनाव हार गई 1999 में वहां से पुनः जीती और दिल्ली अशोका रोड स्थित सरकारी आवास में रह रही थी l उन्होंने एकलव्य सेना का गठन किया l 25 जुलाई 2001 को शेर सिंह राणा एकलव्य सेना की बात कर उनसे मिलने आया l फूलन देवी ने उसे गेट तक बिदा किया तभी शेर सिंह राणा ने फूलन देवी को गोली मार दी l

25 जुलाई फूलन देवी की पुण्यतिथि है भदोही के मल्लाह समाज के लोगों ने फूलन देवी की प्रतिमा लगाने की सोची l प्रतिमा का अनावरण विकासशील इंसान पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी द्वारा होना तय था किंतु भारतीय शासन या प्रशासन ने मुकेश सहनी को वाराणसी हवाई अड्डे से वापस कर दिया l पुलिस प्रशासन ने भदोही में फूलन देवी की प्रतिमा अपने कब्जे में ले ली यह उत्तर प्रदेश प्रशासन का क्रूर एवं घृणित चेहरा है l उन्हें क्या आपत्ति रही होगी? कि क्या फूलन देवी की प्रतिमा फिर से गोली चलाने लगेगी ? क्या अन्याय का बदला देना गलत है यदि गलत है तो तब प्रशासन फूलन को न्याय दिलाने में क्यों सक्षम साबित नहीं हुआ ? या जातिवादी मानसिकता कि फूलन ने ठाकुर जाति के लोगों की हत्या की थी तो क्या बलात्कार, गैंगरेप पुरस्कार की श्रेणी में आता है ?

जब फूलन जेल में थी तब उसे बिना बताए उसका गर्भाशय निकाला गया था डॉक्टर ने पूछने पर कहा था कि अब कोई फूलन देवी पैदा नहीं होगी यह घृणित और निंदनीय मानसिकता का परिचायक है l अरुंधति राय ने लिखा है “जेल में फूलन के बिना पूछे ऑपरेशन कर उसका यूट्रस निकाल दिया यह बड़ा सवाल है कि एक औरत से उसके शरीर का अंग निकाल दिया जाता है और उससे पूछा भी नहीं जाता है यह है समाज की प्रॉब्लम l

प्रशासन प्रतिमा लगाने से रोक सकता है किंतु क्या रेप गैंगरेप या नारियों का अपमान भी रोक सकता है ? यह बौद्धिक वर्ग के लिए एक विचारणीय प्रश्न है l

डॉ धर्मेंद्र कुमार

जनवाद टाइम्स इटावा

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