अम्फान तूफ़ान से गई 72 की जान, लाखों सहमे हुए हैं

मनोज कुमार राजौरिया : बंगाल में अम्फान तूफ़ान के कारण 72 लोगों की जान चली गई और 1 लाख करोड़ का नुकसान हो गया। प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मिलकर राज्य का हवाई दौरा किया, प्रेस कांफ्रेंस भी की। प्रधानमंत्री ने घोषणा की है कि बंगाल की 1 हज़ार करोड़ की आर्थिक मदद की जाएगी। इसके साथ ही मृतकों के परिवारों को 2 लाख रूपए और गंभीर रूप से घायल लोगों को 50 हज़ार रूपए की मदद दी जाएगी।
सवाल है कि अगर इस तूफ़ान के आने का अनुमान पहले ही लगाया जा चूका था, तो क्या इन 72 जानों को बचाया नहीं जा सकता था?
सवाल है कि क्या जान-माल का नुकसान होने के बाद एक रहत पैकेज घोषित कर देना ही काफी है? सवाल है कि जब पता था कि इतना बड़ा तूफ़ान आने वाला है, तो सरकार और मीडिया की प्राथमिकता में क्या था?
इन सभी सवालों के जवाब हताश करने वाले हैं।
यक़ीनन तूफ़ान एक प्राकृतिक आपदा है, ठीक वैसे ही जैसे कोरोना महामारी। लेकिन किसी भी आपदा में सरकार कितनी मुस्तैदी से फैसले लेती है, क्या फैसले लेती है, मायने रखता है। जिस तरह से कोरोना वायरस का देश में आने का अनुमान पहले से ही था, वैसे ही अम्फान तूफ़ान के आने का पहले से ही अंदेशा था।
जिस तरह से सरकार ने विदेश से आ रहे लोगों की समय रहते ठीक से स्क्रीनिंग नहीं की, उसी तरह सरकार ने तूफ़ान से बचने के लिए बंगाल की समय रहते मदद नहीं की। 19 मई को ही असम सरकार ने हाई अलर्ट जारी कर दिया था। ये पता था कि 21 मई को अम्फान तूफ़ान तबाही लेकर आएगा। पश्चिम बंगाल और ओड़िसा में भी अलर्ट जारी हुआ था। ये सोचने वाली बात है कि पहले से जानकारी होने के बाद भी, 72 ज़िन्दगियों को बचाया ना जा सका। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री इन ज़िन्दगियों के जाने के बाद बैठक कर रहे हैं।