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बेरोजगारी की मार: लाकडाउन में बेरोजगार हुए लोगों के सामने नहीं है कोई रोजगार के अवसर

मनोज कुमार राजौरिया । शहरों में रहने वाले तमाम लोग बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं। अब महानगरों में रोजगार पहले से बड़ी समस्या बन चुकी है और ग्रामीण पलायन से यह और बढ़ जाएगी। वैसे सरकार रोजगार के क्षेत्र में कई काम करने का दावा कर रही हैं, लेकिन बेरोजगारी की रफ्तार जिस तरह बढ़ रही है, उसके भयावह नतीजे हो सकते हैं।

करीब पांच महीने पहले भारत में लगी पूर्णबंदी से बेरोजगारी में भारी इजाफा हो गया है। यों भारत में कोरोना वायरस के आगमन से पहले ही अर्थव्यवस्था बहुत मंदी चल रही थी। पूर्णबंदी लागू होने के बाद देश और दुनिया ने पलायन की जो तस्वीरें देखीं, वे अभी तक लोगों के जेहन में हैं।

एक बात सच यह कि यह पलायन कोरोना के डर से जितना नहीं हुआ, उससे ज्यादा मजदूरों की खाली जेब की वजह से हुआ। करोड़ों की तादाद में जो पलायन हुआ था, वह सिर्फ बाजारों, उद्योगों और लोगों के काम बंद होने के कारण ही हुआ। जब इतनी संख्या में लोग ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंचे तो वहां अलग से रोजगार का संकट बढ़ गया, जो पहले से मौजूद था। यों भी ग्रामीण क्षेत्रों में प्रच्छन्न बेरोजगारी देखने को मिलती है, जहां खेतों में दो लोगों की जगह पूरा परिवार खेती में लगा होता है।ऐसे में दोबारा गांव से शहरों को पलायन होना निश्चित है, जो अब फिर शुरू भी हो रहा हैं।

यह समझा जा सकता है कि लोग किन मुश्किलों से दो-चार हो रहे हैं। भूख से तड़प कर और सम्मान पर चोट सह कर कोई कितने दिन जी लेगा! लेकिन एक चिंता यह भी हैं कि अब शहरों में भी पहले जितना रोजगार नहीं रहा। शहरों में रहने वाले तमाम लोग बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं। अब महानगरों में रोजगार पहले से बड़ी समस्या बन चुकी है और ग्रामीण पलायन से यह और बढ़ जाएगी।

वैसे सरकार रोजगार के क्षेत्र में कई काम करने का दावा कर रही हैं, लेकिन बेरोजगारी की रफ्तार जिस तरह बढ़ रही है, उसके भयावह नतीजे हो सकते हैं।

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