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बिहार न्यूज़ : मछुआरों पर ज़ुल्म के खिलाफ आंदोलन का शंखनाद, भाकपा-माले ने किया ऐलान

वन विभाग की कार्रवाई से आक्रोशित मछुआरों ने 25 अगस्त को पुतला दहन और 11 सितंबर को बेतिया में D.F.O. घेराव का किया ऐलान

संवाददाता – मोहन सिंह

बेतिया/पश्चिम चम्पारण – सरेया मन क्षेत्र में मछुआरों पर वन विभाग द्वारा की जा रही कथित प्रताड़ना के खिलाफ भाकपा-माले ने आंदोलन का बिगुल फूंक दिया है। माले नेताओं ने कहा कि भाजपा-जद (यू) की नीतीश सरकार मछुआरों के परंपरागत अधिकारों को बहाल करे और वन विभाग के अधिकारियों की मनमानी रोकी जाए।

बिहार न्यूज़ : मछुआरों पर ज़ुल्म के खिलाफ आंदोलन का शंखनाद, भाकपा-माले ने किया ऐलान

आरोप : नाव-जाल जब्ती और झूठे मुकदमे

माले नेता सुनील कुमार राव ने जानकारी दी कि वन विभाग के अधिकारी, विशेषकर D.F.O. और रेंजर, सरेया मन के आसपास मछली पकड़ने वाले मछुआरों को रोक रहे हैं। उनके नाव, जाल, डेली और मोटरसाइकिल जब्त किए जा रहे हैं तथा बेवजह झूठे मुकदमे दर्ज कर जेल भेजा जा रहा है।

उन्होंने बताया कि इस दमनात्मक कार्रवाई के खिलाफ मछुआरों की बैठक में निर्णय लिया गया है कि 25 अगस्त को सांसद, विधायक और D.F.O. का पुतला दहन किया जाएगा तथा 11 सितंबर को बेतिया में D.F.O. का घेराव किया जाएगा।

माले नेताओं का आक्रोश

बैठक में माले नेताओं ने वन अधिकारियों पर अधिकारों के दुरुपयोग का आरोप लगाया।

नवीन कुमार (मुखिया महासंघ के प्रखंड अध्यक्ष) ने कहा कि वर्तमान D.F.O. के दौर में अवैध लकड़ी कटान को छिपाने के लिए मछुआरों को प्रताड़ित किया जा रहा है।

सुरेंद्र चौधरी ने इसे पद का दुरुपयोग करार देते हुए कहा कि अब यह दमन सभी सीमाओं को पार कर चुका है।

बाली चौधरी (संयोजक, सरेया मन बचाओ संघर्ष समिति) ने कहा कि वन अधिकारी यहां अंग्रेजी हुकूमत जैसा व्यवहार कर रहे हैं, जबकि यह भूमि क्रांतिकारियों की है।

अशोक मुखिया ने चेतावनी दी कि अगर मछुआरों के परंपरागत अधिकार बहाल नहीं हुए तो संघर्ष तेज होगा।

जोखू चौधरी ने कहा कि मछली पकड़ने से पक्षी विहार को नुकसान नहीं है, बल्कि मछलियों की मौजूदगी प्रवासी पक्षियों के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करती है।

अशोक प्रसाद ने कहा कि पटना से दिल्ली तक भाजपा की सरकार होते हुए भी सांसद, विधायक और मंत्री इस मुद्दे पर चुप हैं।

आंदोलन की तैयारी

माले नेताओं ने ऐलान किया कि अब संघर्ष ही एकमात्र रास्ता है। मछुआरों की आज़ादी, रोज़गार और परंपरागत अधिकार की बहाली के लिए अंतिम मुकाम तक लड़ाई लड़ी जाएगी। इसके लिए किसी भी कीमत चुकाने की तैयारी शुरू कर दी गई है।

बैठक में वीरेन मुखिया, तुफानी चौधरी, श्रवण चौधरी, वीर मुखिया, परदेशी मुखिया, शुभ लाल मुखिया, वासुदेव मुखिया, चुभन चौधरी, महावीर मुखिया और संजय मुखिया समेत कई लोग मौजूद रहे।

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