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संवाद : प्रधानमंत्री जी के आत्मनिर्भर मिशन का स्वागत

 

डॉक्टर धर्मेंद्र कुमार : इटावा उत्तर प्रदेश 

भारतीय तो पहले से ही आत्मनिर्भर हैं l सरकार का भय और खौफ ना के बराबर है l प्रधानमंत्री जी के आत्मनिर्भर मिशन का हम स्वागत करते हैं ।भारत के अधिकतर व्यापारी, राजनेता, जालसाज पहले से ही आत्मनिर्भर हैं इसकी मिसाल अनामिका शुक्ला के कागजों पर 25 जगह फर्जी लोग नौकरी करते रहे जबकि विदेशों में एक आदमी एक जगह ही नौकरी कर पाएगा यदि पार्ट टाइम नहीं है तो, यहां तो पूर्णकालिक सेवा वह भी 25 स्थान पर l

आत्मनिर्भरता की दूसरी मिसाल लोग बैंक से कर्ज/ लोन लेते हैं हर जगह कर्ज चुकाना पड़ता है किंतु भारत में लोग कर्ज लेते हैं, दिवालिया बनते हैं, बजाय वसूली के बैंक को बंद होना पड़ता है बैंक दिवालिया हो जाते हैंl
आत्मनिर्भरता की अन्य मिसाल पुलवामा हमले जैसे घृणित कार्य को अंजाम देने बालों का संसद एसटीएफ, सीबीआई या अन्य गुप्तचर संस्थाएं पता नहीं लगा सकती कि आरडीएक्स कहां ,कब, कैसे, किसने पहुंचाया?
आत्मनिर्भर देवेंद्र सिंह का पता नहीं चला कि वह किन किन गतिविधियों में संलिप्त था ?

आत्मनिर्भर भारत की एक मिसाल यह है कि कोविड-19 वाला राशन उत्तर प्रदेश से मध्य प्रदेश सागर सीहोर में बिकने पहुंच जाता है यह कार्य हमेशा निर्बाध गति से चल रहा है किंतु कोई अपराधी होता ही नहीं l

आत्मनिर्भरता यहां भी दिखती है के लोग कोरोना में बिना किसी के सहारे पैदल सड़कों पर रेलवे लाइन पर चलते हैं /मरते हैं l प्रशासन की लाठियों के सामने भी नहीं रुकते क्योंकि उन्हें अपना गंतव्य स्थान प्राप्त करना है l
आत्मनिर्भर भारत के सही दर्शन उच्च शिक्षा के निजी महाविद्यालयों में एक एक शिक्षक 10, 20 ,30 ,40, 50 जगह पढ़ा रहा हैं l विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, विश्वविद्यालय, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, केंद्र/ राज्य शिक्षा मंत्रालय ,राज्यपाल जो स्वयं कुलाधिपति होते हैं जिनके अधीन लाखों कर्मचारी करोड़ों वेतन ले रहे होते हैं इन शिक्षकों का पता नहीं लगा सकते l लोग आत्मनिर्भर बनकर कितने ही महाविद्यालयों में पढ़ाएं l किंतु दूसरी तरफ लाखों लोग ऐसे आत्मनिर्भर भी हैं जिन्हें एक भी कॉलेज में स्थान नहीं मिलता डिग्रियां लिए भूखे मर रहे हैं, किंतु सरकार से उम्मीद नहीं करते l

माननीय प्रधानमंत्री जी की पहल का हम स्वागत करते हैं कि आत्मनिर्भर भारत का निर्माण उनका लक्ष्य है l तो दूसरी तरफ हम उनका भी स्वागत करते हैं जिन्होंने 69000 शिक्षकों की भर्ती में गोलमाल किया, जिस का पर्दाफाश करने वाले एसएसपी को तुरंत हटना पड़ा l सही मायने में गोलमाल करने वाले आत्मनिर्भर बन चुके हैं l
बैंक से लोन लेने वाले, बलात्कार करने वाले ,हत्या करने वाले ,आरडीएक्स पहुंचाने वाले, मौका -ए -वारदात देवेंद्र सिंह जैसे लोग पकड़े जाने वाले ,भर्ती के पेपर लीक कर पेपर सॉल्व करने वाले लोग, पूर्णतया आत्मनिर्भर हैं जिनकी जांच करने वाले अधिकारी पदों से हाथ धो बैठते हैं l वहीं उच्च शिक्षा के निजी महाविद्यालयों के क्षेत्र में वर्षों से आत्मनिर्भर शिक्षक कितने ही स्थान पर पड़ा लें किसी संस्था की हिम्मत नहीं है कि उन पर हाथ डाल पाए या कोई एक पोर्टल बनाकर उनके अप्रूवल को सार्वजनिक इकट्ठा कर पाए l ऐसे आत्मनिर्भर भारत का हम दिल से स्वागत करते हैं वह इसी प्रकार दिनों दिन तरक्की करें l

 

जनवाद टाइम्स

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