
लॉकडाउन लगाना समय एवं परिस्थिति की मांग है
सुनील पांडेय : कार्यकारी संपादक
भारत जिस तरह दिन – प्रतिदिन कोरोना संक्रमण से संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ रही है। उसको देखते हुए अब लॉकडाउन लगाना ही एकमात्र विकल्प बचा है। संपूर्ण भारत में अब तक संक्रमित लोगों की संख्या 12,87,945 से ऊपर पहुंच चुकी है। संतोष की बात यह है कि इसमें लगभग 8,17,209लोग स्वस्थ भी हुए हैं। जहां तक इस संक्रमण से अब तक हुए मौतों का आंकड़ा है वह 30,601 पहुंच गया है। यदि हम भारत के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की बात करें तो इस प्रदेश में आज तक 58,104 लोग कोरोना संक्रमण का शिकार हुए हैं। इसमें से 35,803 लोग स्वस्थ भी हुए हैं। जहां तक इस प्रदेश में हुई मौत का सवाल है अब तक 1,289 लोगों की जान जा चुकी है । उत्तर प्रदेशके प्रत्येक जिले में संक्रमितों की संख्या में तीव्र गति से वृद्धि हो रही है। इसी के चलते उत्तर प्रदेश सरकार इस संक्रमण पर काबू पाने हेतु बीते दो हफ्तों से शुक्रवार की रात्रि से लेकर सोमवार सुबह तक हफ्ते में 2 दिन एवं तीन रात्रि लॉक डाउन की प्रक्रिया लागू कर दी है।आवश्यक आवश्यकता को छोड़कर लगभग सभी विभागों में बंदी का आदेश जारी कर दिया गया है। कोरोना संक्रमण में वृद्धि को देखते हुए प्रदेश सरकार द्वारा उठाया गया यह कदम भी नाकाफी साबित हो रहा है। संक्रमण जिस रफ्तार से बढ़ रहा है उसे देखते हुए तो यही अनुमान व्यक्त किया जा सकता है कि आने वाले दिनों में पूर्ण लॉकडाउन लागू हो सकता है । इसके लिए अभी से ही भारत के सभी प्रदेशों की जनता को मानसिक रूप से स्वयं को तैयार रखना चाहिए। कोरोना संक्रमण की बढ़ती हुई संख्या को देखते हुए भी आम आदमी लापरवाही बरत रहा है। बाजार माल एवं सरकारी एवं गैर सरकारी दफ्तरों में लॉकडाउन के बाद भी जारी गाइडलाइन का मजाक उड़ाया जा रहा है। इसी का परिणाम है कि इस संक्रमण से संक्रमित लोगों की संख्या में कमी आने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं । जब तक भारत में उत्तर प्रदेश सहित विभिन्न राज्यों में निवास करने वाले पूरे ईमानदारी एवं शिद्दत के साथ इस संक्रमण से बचने का प्रयास नहीं करेंगे तब तक इस संक्रमण पर काबू नहीं पाया जा सकता है ।आज समय की मांग है कि इस देश में निवास करने वाले प्रत्येक नागरिक ईमानदारी एवं पूर्ण निष्ठा से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें तथा साथ ही साथ इस वैश्विक महामारी पर काबू पाने के लिए सच्चे मन से प्रयास करें। तभी इस पर अंकुश लगाया जा सकता है । बहुत से लोग अब भी इस महामारी को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं और पूर्णता लापरवाही बरत रहे हैं। दुनिया के कई देश संक्रमण की वजह से तबाह हो चुके हैं और जो बचे हैं वह तबाही के कगार पर खड़े हैं। भारत भी इससे अछूता नहीं है। इसी का खामियाजा है कि संक्रमितों एवं मृतकों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। क्या यह सत्य है कि भारत के अधिकांश जनसंख्या को डंडे के बल पर ही काबू पाया जा सकता है। जब तक पुलिस प्रशासन द्वारा कड़ाई पूर्वक जनता को सबक नहीं सिखाया जाएगा लगता है तब तक ऐसी लापरवाही होती ही रहेगी। हाल ही में भारत सहित कई अन्य राज्य भी पहले की अपेक्षा कोरोना मरीजों की जांच एवं उनके संपर्क में आए लोगों की जांच में उतनी सजगता नहीं दिखा रहे हैं जितनी इस संक्रमण के प्रारंभिक दौर में दिखाई जा रही थी। यदि संक्रमण पर सचमुच काबू पाना है तो सरकार सहित विभिन्न राज्यों के नागरिकों को सजगता दिखानी होगी जो आज समय एवं परिस्थिति दोनों की मांग है।