Etawah News: कायकल्पी संत श्री 1011 बर्फानी दादाजी महाराज बीती रात ब्रह्मलीन

संवाददाता आशीष कुमार
इटावा: जसवंतनगर हिमालय पर्वत की चोटियों पर वर्षों तक तापस्यालीन रहे कायकल्पी संत श्री 1011 बर्फानी दादाजी महाराज बीती रात ब्रह्मलीन हो गए। उनके स्वर्गारोहण की खबर से उनके इटावा और आसपास जिलों में बसे शिष्यों और भक्तों में गम की लहर फैल गयी। हनुमान जी की सिद्धि प्राप्त और भक्तों में पवन सुत बजरंगबली के अवतार माने जाने वाले बर्फ़ानी दादा दर्जनों वर्षों से अमरकंटक में अपने आश्रम में वास कर रहे थे। एक दशक पूर्व हनुमंत लाल की आराधना और उपासना में नितलीन रहने और अपने शिष्यों को सहज दर्शन और आशीर्वाद देने के उद्देश्य से उन्होंने राजस्थान के मेंहदीपुर बाला जी मे अपना आश्रम स्थापित किया और वर्ष में अक्सर अमरकंटक, और मेंहदीपुर बाला जी मे वास करते थे। वह अक्सर भ्रमण पर निकलते थे तो जसवंतनगर, इटावा, नगला भगवंत, फीरोजावाद, आगरा आदि स्थानों पर रुकते थे। देश भर में उनके लाखों शिष्य है। उनकी उम्र का भी किसी को पता नही बताते हैं कि दर्जनों वर्ष उन्होंने हिमालय पर तपस्या की और अपनी शतायु वहीं पूरी कर शिद्धि प्राप्त कर वह जनकल्याण को निकले और गुरु शिष्य परंपरा को जीवंत करते लोगों का सत्पथ प्रशस्त किया। उनकी उम्र कोई कोई तो 200 के ऊपर बताता। वह कुम्भ में इलाहाबाद में कल्पवास करने इलाहाबाद उज्जैन, हरिद्वार कई बार गए। कल्पवास में उनके दर्शनों को भारी भीड़ और भारी भंडारे निरंतर चलते थे। वह कुछ दिनों से अन्तर्मनस्थ हो गए थे , बाला जी आश्रम में तबियत खराब हुई फिर भक्त उन्हें जयपुर ले गये ,जहां से फिर बाला जी आए। उसके बाद मंगलवार को भक्त एयर एंबुलेंस सेअहमदाबाद ले गए बुधवार रात्रि 9:45 बजे उन्होंने अपने प्राण विसर्जित करते हुए अपने को ब्रह्मलीन कर लिया। उनके अनन्य भक्त वरिष्ठ पत्रकार रामवीर सिंह यादव ने देर रात दादाजी के ब्रह्मलीन होने की खबर मेहंदीपुर बाला जी से प्रेषित की तो उनके हजारों शिष्य अपने को अनाथ समझ बिलख पड़े। जसवंतनगर से भक्त बालाजी के लिए दादाजी के अंतिम दर्शनों को रवाना हुए है। कल दिनांक 25 दिसम्बर दिन शुक्रवार दोपहर 2 बजे मेंहदीपुर बालाजी में। स्थिति उनके आश्रम में समाधि होगी , जिसमे लाखों भक्तों के जुटने की संभावना है।