Etawah News: सरसों के तेल के ऊँचे भाव ने मिट्टी के दीपकों की बिक्री घटाई

ब्यूरो संवाददाता
इटावा: अपीलों और गरीब कुम्हारों के प्रति संवेदनशीलता के भाव के बाद भी दीपावली पर मिट्टी के दीपकों की बिक्री होती नही दिखी। इसका कारण है कि सरसों के तेल का भाव आसमान छू रहा है। सरसों का तेल 180 से 190 रुपये किलो बाजारों में है।
अमूमन दिवाली पर दिए सरसों के तेल के ही जलते है। 100 दीपक कोई अपनी मुंडेर या द्वार पर जलाना चाहे तो उसके लिये कम से कम एक लीटर सरसों का तेल और 20 रुपयों की रुई की बाती चाहिए। मिट्टी के 100 दीपक जो कुम्हारों के हाथों बनते हैं उनका भाव सस्ते से सस्ता 1 रुपया प्रति दिवालिया बाजार में हे। सांचे या मशीनों से बने सजावटी दीपक 150 से 250 रुपये सैकड़ा बिक रहे हैं।
बाजारों में दोनों तरह के दीपकों की दुकानें सड़क किनारे दर्जनों की संख्या में सजी देखी गईं। मगर इनके यहां भीड़ कम ही थी। शगुन के लिए 10-15 ही दिए खरीद रहे थे। मिट्टी के दीपकों की तुलना में मोम बत्ती 150 से 200 रुपये किलो तक भाव पर होने से लोग मोमबत्ती खरीदना ज्यादा मुनासिब मान रहे हैं। बाजारों में भीड़ तो दो दिनों से काफी देखी गयी मगर बिक्री हर चीज की हल्की ही थी। दीपक बनाने वाले एक कुम्भकार ने बताया कि उसकी बनाई दिवलियाँ अभी तक आधी भी नही बिकी हैं।