कोरोना : समता मूलक नियम का पक्का

लेखक- डॉ धर्मेंद्र कुमार
समता मूलक नियम के पक्के कोविड-19 अर्थात कोरोना ने ऊंच-नीच छोटा बड़ा धनवान का बिना फर्क किए सब को अपने आगोश में समेट लिया l दूसरे को स्वर्ग दिलाने वाले, यज्ञ होम कराने वाले कोरोना ने कब किसे कहां पहुंचा दिया पता ही नहीं l नर्क और स्वर्ग दोनों स्थान पर कहीं भी नहीं मिले हैं l नेता, अभिनेता, राजा, उद्योगपति, साहूकार, सूदकार ,कलेक्टर ,एसपी, न्यायाधीश, अधिवक्ता ,प्रवक्ता ,डॉक्टर, नर्स ,किसान, जवान ,राजरानी ,समाज की बहिष्कृत महिलाएं लगभग सभी को एक घाट उतार दिया l जिनका शत-प्रतिशत ठीक से अंतिम संस्कार भी नहीं हो पाया l कहीं तैरती लाशें ,तो कहीं रेती में गढे शब, कहीं 10 लोगों ने तो कहीं मुक्तिधाम के रखवाले ने अंतिम संस्कार के नाम पर सिर्फ जला दिया l जीवन भर दूसरों को मूर्ख बनाने वाले तिलकधारी आज खुद का वैक्सीनेशन करवा रहे हैं l
एक बात और है जबसे कोरोना आया सारी बीमारी हार्ट अटैक ,ब्रेन अटैक, बुखार, लीवर व किडनी फेल, शुगर, बीपी ,डायरिया, तेज बुखार से कोई मर ही नहीं रहा lअब सब कोरोना सिर्फ कोरोना से मर रहे हैं l मास्क लगाते- लगाते 40% कार्बन डाइऑक्साइड तथा मुंह की निकली गंदी गैस हम स्वसन क्रिया द्वारा फेफड़ों में पिछले 1 वर्षों से पहुंचा रहे हैं l 90% लोग इंफेक्शन या ऑक्सीजन शॉर्ट होने से बीमार हुए l विपक्ष सत्ता पक्ष के सुर में सुर मिला रहा है कि कोरोना जानलेवा हैl अत्यधिक मौतें कोरोना से हो रही हैं l
क्या? विपक्ष की हैसियत है यह कह पाए कि मरने वालों में 90 फ़ीसदी वे लोग हैं जो अन्य छोटी बीमारियों में उपचार न मिलने के कारण मर गए l या मास्क लगाते लगाते मर गए l यह भी कहने की हिम्मत नहीं है कि मास्क सिर्फ भीड़ में या बीमार लोगों से बातें करते समय लगाएं l सत्ता पक्ष और विपक्ष मिलकर दोनों देश को हाशिए पर ले जाकर छोड़ेंगे l जो बचेंगे उन्हें भुखमरी और गरीबी से मरना पड़ेगा या आत्महत्या करनी पड़ेगी कोरोना वैज्ञानिक वैचारिक दृष्टिकोण से ही खत्म किया जा सकता है और यह संभव भी है अन्यथा देश का सूपड़ा साफ होना निश्चित है l