कुपोषित बच्चों के चिन्हीकरण में न बरती जाये लापरवाही – डॉ. अनुपमा

संवाददाता भूपेंद्र सिंह : मुरादाबाद बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग तथा यूनिसेफ के संयुक्त तत्वाधान में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन विकास भवन सभागार में किया गया। जिसमें बाल विकास परियोजना अधिकारियों एवं मुख्य सेविकाओं को बच्चों की ग्रोथ मॉनिटरिंग, सैम बच्चो की पहचान तथा उनका प्रबंधन, एमसीपी कार्ड तथा बच्चों की वीएचएसएनडी सत्र पर प्लॉटिंग के विषय में विस्तार से समझाया गया।
यूनीसेफ के मंडलीय समन्वयक रविप्रकाश श्रीवास्तव द्वारा कुपोषण को विभिन्न प्रकार से समुदायिक प्रबंधन इसके अतिरिक्त एनआरसी में प्रबंधन के प्रावधानों के विषय में विस्तार से जानकारी दी गई। जिला कार्यक्रम अधिकारी डॉ. अनुपमा शांडिल्य द्वारा मुख्य सेविका बाल विकास परियोजना अधिकारी द्वारा बच्चों का चिन्हाकन नियमित रूप से हो इस विषय में प्रेरित किया गया ।
मासिक प्रगति रिपोर्ट के विभिन्न बिंदुओं पर व मुख्यमंत्री जी की प्राथमिकताओं के बिंदुओं पर सभी का अभिमुखीकरण किया गया। आशा, एएनएम व आंगनवाड़ी के परस्पर समन्वय पर बल देते हुए जिला कार्यक्रम अधिकारी द्वारा मुख्य सेविंग अकाउंट वीएचएसएनडी सत्र पर सम्मानित इंटरव्यू कराने व बच्चों को उस समय पर स्क्रीनिंग कराने हेतु निर्देशित किया गया। उन्होंने कहा कि कुपोषित बच्चों के चिन्हीकरण में किसी प्रकार की कोताही न बरती जाए,जिससे उपचार में किसी प्रकार का विलंब न हो ।
रवि प्रकाश द्वारा बच्चों को एनआरसी में एडमिट किए जाने की समस्त प्रक्रिया को विस्तार से बताया गया और बच्चों को जिन्हें पीएचसी सीएचसी से एनआरसी संदर्भित किया है , काउंसलिंग कर एनआरसी भर्ती कराए जाने के लिए प्रेरित किया गया। उन्होंने बताया कि एनीमिया मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत आयरन की सप्लीमेंटेशन को बढ़ावा देना व उसके मॉनिटरिंग के लिए ध्यान देने की आवश्यकता है।
बिलारी को बेबी फ्रेंडली हेल्थ इनीशिएटिव के अंतर्गत लिए जाने के विषय में बताते हुए खुशी जाहिर की। बैठक में उपस्थित सभी को प्रसव पश्चात एक घंटे के अंदर ब्रेस्टफीडिंग का संदेश दिए जाने के लिए प्रेरित किया गया।