बॉलीवुड : जाने कहां गए सिनेमा के दो अनमोल रतन

जया मोहन प्रयागराज
जाने कहाँ गए।
संसार एक नाट्यशाला है।जिसे चलाने वाला ईश्वर है।वह अपनी बनाई कठपुतलियों को तरह तरह के संवेगों के रंगों से रंगता है और उसे मन चाहा नचाता है।जब तक चाहता है अभिनय करता है जब जी चाहा डोरी खींच कर अपने पास बुला लेता है। उसी बाज़ीगर नेदो दिन के अंतराल में हमारे भूलोक के दो लोकप्रिय मंझे कलाकारों की ज़िंदगी का पटाक्षेप कर दिया।अजीब इत्तेफाक दोनों कैंसर से गोलोकवासी हुए।।
इरफान खान के व्यक्तित्व में सबसे सशक्त थी उनकी आँखें ।हर भाव को बिना बोले संप्रेषित कर जाती थी।मुस्लिम होने के बाद भी वो शाकाहारी थे।किसी जानवर को मारना उन्हें नापसंद था।।मूक पशु प्रेम की अद्भुत मिसाल। धीर गंभीर अभिनेता बनना चाहता था क्रिकेटर पर बन गया अभिनेता।अपनी सहपाठी सुतापा को जीवन संगनी बनाया। टी वी के कई लोकप्रिय धारावाहिक में अभिनय का परचम फहराया चंद्रकांता,श्रीकांत,चाणक्य आदि।पद्मश्री की खिताब से भी नवाज़े गए।अल्प आयु में ही दुनियॉ से रुखसत हो गए।
प्रसंशको के अभी आँशु सूख भी नही पाये थे कि एक गाज और गिरी उनके बीच से उनका हंसमुख चॉकलेटी हिरोभी अलविदा कह गया। ऋषि कपूर एक जिंदादिल इंसान थे। उनके अंदर मानवता व राष्ट्र प्रेम भरा था।अपनी रील लाइफ की हिरोइन नीतू सिंहको पांच वर्ष डेटिंग करने के बाद रियल लाइफ हीरोइन बना लिया पिता की फ़िल्म मेरा नाम जोकर में बाल कलाकार रहे। बॉबी ने सफलता के झंडे गाड़े। एक फ़िल्म भी बनाई आ अब लौट चले। वर्तमान समय मे आये कॅरोना के प्रति वे काफी चिंतित थे।उन्होंने आखिरी टिवट किया हमे धर्य से काम लेना चाहिये जो इस लड़ाई में अहम भूमिका निभा रहे हैं उनके साथ दुर्व्यवहार नही करना चाहिए।यह उनके कोमल मानवीय पक्ष को दर्शाता है बीमार होने के बाद भी सबकी इतनी चिंता।
हमने असमय ही दो अनमोल हीरे खो दिए।
बस कानो में एक धुन गूजती है
है कौन सा वो देश जहां तुम
चले गए
जाने चले जाते है कहाँ
दुनियॉ से जाने वाले
ढूढे कोई उनको कहाँ
नही कदमो के है निशा
शत शत नमन इरफान व ऋषि जी को वो कहीं भी जाये पर उनके प्रसंशक उन्हें कभी नही भुला पाएंगे।