Bihar News आदिवासी महिलाएं प्राकृतिक संसाधनों से बना रही हैं स्नान करने का साबुन

संवाददाता मोहन सिंह बेतिया
बगहा में तकरीबन 200 आदिवासी महिलाएं साबुन बनाने के रोजगार से जुड़ी हैं। बकरी के दूध और ग्लिसरीन में घरेलू सामग्री और अपने आसपास के वनस्पतियों का उपयोग कर महिलाएं केमिकल फ्री साबुन बना रहीं हैं जिसका उपयोग करने से लोगों को कोई नुकसान नहीं होगा।
वाल्मीकीनगर थाना क्षेत्र के कदमहिया गांव की महिलाएं स्वावलंबी बनने की राह पर चल रही हैं और इसके लिए वे दिन रात मेहनत कर रहीं हैं। लेकिन उनके मेहनत का सार्थक परिणाम नहीं मिल रहा है। दरअसल साबुन बनाने के बाद उसकी ब्रांडिंग, पैकेजिंग और मार्केटिंग सही ढंग से नहीं होने के कारण बिक्री प्रभावित हो रहा है। लिहाजा महिलाएं सरकार से मदद की आस लगाए बैठी हैं।
महिलाओं के समूह का नेतृत्व कर रहीं सुमन देवी बताती हैं की साबुन बनाने के कार्य में उनके साथ 200 आदिवासी महिलाएं जुड़ी हैं और इको फ्रेंडली साबुन बना रहीं हैं। जिससे ना तो पर्यावरण को नुकसान पहुंचेगा और ना हीं इसका उपयोग करने वाले लोगों के शरीर पर कोई बुरा असर डालेगा। सुमन देवी का कहना है की नीम, मसूर, एलोवेरा, कोयला , हल्दी चन्दन इत्यादि सामग्रियों का उपयोग कर वे ऑर्गेनिक साबुन बनवा रहीं हैं जिससे ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को रोजगार मिल सके। लेकिन उनके प्रोडक्ट्स को अभी बाजार नहीं मिल पा रहा है।
साबुन बनाने के काम से जुड़ी सुनीता देवी बताती हैं की वे लोग साबुन बना तो रहे हैं लेकिन उसकी पैकेजिंग और मार्केटिंग सही से नही हो पा रहा है। सरकार या प्रशासन यदि आर्थिक या किसी भी तरह से मदद पहुंचाता तो उनके भी उत्पाद को बाजार में जगह मिलती और बड़े पैमाने पर इस रोजगार को बढ़ावा मिलता।
वहीं संगीता देवी बताती हैं की आसपास के गांव के जिन लोगों ने साबुन का उपयोग किया है वे दुबारा साबुन लेने जरूर आ रहे हैं। लेकिन नए ग्राहकों के बीच इसका प्रचार प्रसार नहीं हो पा रहा है। सरकार इसके पैकेजिंग और मार्केटिंग या ब्रांडिंग में सहायता करती तो रोजगार का बड़े पैमाने पर सृजन होता।
बता दें की साबुन निर्माण से जुड़ी महिलाएं ग्राहकों के स्वास्थ्य का ख्याल रखते हुए विभिन्न प्रकार के अलग अलग फ्लेवर के साबुन बना रहीं हैं। जिसमें मसूर दाल का साबुन, चारकोल से बना साबुन, एलोवेरा और नीम से बना हुआ उत्पाद शामिल है। विगत 5 माह में इन्होंने अच्छे तादाद में साबुन बनाएं हैं लेकिन बिक्री नहीं होने से अब इनका हौसला भी जवाब देने लगा है।