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Bihar News शहीद–ए–आजम भगत सिंह के शहादत दिवस पर इनौस- आइसा ने किया रोजगार मार्च

शहीद–ए–आजम भगत सिंह राजगुरु, सुखदेव को दिया हार्दिक श्रद्धांजलि

संवाददाता मोहन सिंह बेतिया 

23 मार्च शहीदों के सरताज शहीद भगत सिंह का शहादत दिवस पर इनौस- आइसा ने बेतिया में शहीद पार्क से कविवर नेपाली चौक जनता सिनेमा मोड़ होतें तीन लालटेन चौक तक रोजगार मार्च किया तथा तीन लालटेन चौक स्थित भगत सिंह के मुर्ति पर माल्यार्पण किया

 

इनौस जिला अध्यक्ष फरहान राजा ने कहा कि शहीदे ऐ आजम भगत सिंह को हम सब प्रति वर्ष उन्हे स्मरण करके उनके विचारों को आत्मसात करने का संकल्प लेते हैं।हमें आज वर्तमान में देश की राष्ट्रीय राजनीतिक में विभाजन कारी सांप्रदायिक फासिस्ट बीजेपी को सत्ता से बेदखल करने के लिए संकल्प लेना होगा तभी संविधान और लोकतंत्र बच सकेगा।

शहीद–ए–आजम भगत सिंह राजगुरु, सुखदेव को दिया हार्दिक श्रद्धांजलि
संविधान और लोकतंत्र की बात आने पर हमें इस अवसर पर शहीद भगत सिंह के विचारों के समर्थक डॉक्टर भीम राव अंबेडकर भी याद आते हैं। कुछ बिंदुओं को छोड़कर शहीद भगत सिंह और डॉ.अंबेडकर दोनों राष्ट्र निर्माण के लिए एक जगह मिलते हैं।भगत सिंह के शहीद होने के बाद डॉ.अंबेडकर संपादकीय लिखे थे।उस संपादकीय को पढ़ने पर पता चलता है कि अंबेडकर भगत सिंह के बहुत करीब थे।भगत सिंह क्रांतिकारी कम्युनिस्ट थे।कम्युनिस्ट में एक प्रमुख गुण होता है–वह है अपनी गलतियों को कम्युनिस्ट बेहिचक ईमानदारी पूर्वक स्वीकार करते हैं और उससे सबक लेकर आगे पढ़ते हैं।भगत सिंह में यह प्रमुख गुण मौजूद है।वे खुद स्वीकार करते हैं कि पहले एक रोमांटिक नौजवान थे,अराजकतावादी थे।लेकिन मार्क्स और लेनिन के पढ़ने के बाद भगत सिंह अराजकतावादी से क्रांतिकारी कम्युनिस्ट बन गए।उन्होंने अपनी प्रसिद्ध रचना “मैं नास्तिक क्यों हूं?”में बहुत कुछ लिखा है।वे साफ लिखते हैं कि दुनिया के सभी क्रांतिकारी कम्युनिस्ट नास्तिक थे।

शहीद–ए–आजम भगत सिंह राजगुरु, सुखदेव को दिया हार्दिक श्रद्धांजलि
इनौस नेता संजय मुखिया ने कहा कि भगत सिंह केवल मौखिक नहीं,सिद्धांत में नहीं बल्कि खुद जाति–धर्म के दिखावे के सारे प्रतीक चिन्हों को सामाजिक व्यवहार में लागू करके देश दुनिया के क्रांतिकारियों को दिखा दिया।
आइसा नेता अफाक अहमद ने कहा कि भगत सिंह पहला क्रांतिकारी कम्युनिस्ट हैं जिन्होंने जीते जी कम्युनिस्ट पार्टी का निर्माण तो नहीं किया लेकिन काम्यूनिस्ट पार्टी के राजनीतिक कार्यभार को तय कर दिया।
कहा जाता है कि आजाद भारत का संविधान डॉ.अंबेडकर बनाए हैं। लेकिन वास्तविकता तो यह है कि संविधान सभा की कमेटी में अधिकांश संभ्रांत परिवार के और परंपरागत रूढ़ियों से ग्रस्त थे।इनके विचारों के साथ प्रथम प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू थे।न चाहने के बावजूद कुछ सुधार के साथ संविधान को स्वीकार करना अंबेडकर की मजबूरी थी।चूंकि अंबेडकर ड्राफ्टिंग कमिटी के चेयरमैन थे।इसी लिए यह कहना स्वभाविक है कि संविधान अंबेडकर का देन है।लेकिन यह सच्चाई हैं कि अंबेडकर इससे बेहतर,भगत सिंह के समाजवादी कार्यनीति के तहत संविधान बनाना चाहते थे।
इनौस नेता शंकर उरांव ने कहा कि भगत सिंह शोषणकारी,ऊंच–नीच पर आधारित वर्ण व्यवस्था,जाति प्रथा का उन्मूलन चाहते थे और अंबेडकर भी यही चाहते थे।अंबेडकर की प्रसिद्ध रचना जाति प्रथा उन्मूलन(Annihilation of caste)है।Bihar News शहीद–ए–आजम भगत सिंह के शहादत दिवस पर इनौस- आइसा ने किया रोजगार मार्च

आइसा नेता ने कहा कि शहीद भगत सिंह और दिवंगत डॉक्टर भीम राव अंबेडकर के सच्चे अनुयायियों को एक मंच पर आकर संविधान और लोकतंत्र को बचाना पहला कार्यभार बन जाता है।इसी संकल्प के साथ– राष्ट्र नायक शहीद–ए–आजम भगत सिंह को क्रांतिकारी लाल सलाम! इनके अलावा सुरेन्द्र चौधरी, नवीन कुमार, सलामत, शारूख खान, आइसा नेता सह एमजेके कालेज के पुर्व छात्रसंघ महासचिव निकिता कुमारी आदि सैकड़ों छात्र नौजवान शामिल हुए,
* शहीद भगत सिंह अमर रहें!
* शहीदों के सपनों का भारत बनाओ!
* तमाम शहीद अमर रहें!

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जनवाद टाइम्स