Bihar News बकरी स्वास्थ्य एवं प्रबन्धन” विषय पर पाँच दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण संपन्न

संवाददाता मोहन सिंह बेतिया
“बकरी स्वास्थ्य एवं प्रबन्धन फेज-2” विषय पर जीविका पशु सखियों का पाँच दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण फ़क़ीराना सिस्टर सोसाइटी बेतिया में आज संपन्न हो गया। इस प्रशिक्षण में बैरिया, सिकटा, ठकराहा, नरकटियागंज, मधुबनी और बगहा प्रखंड की कुल 26 पशु सखी शामिल हुई।
आगा खाँ फाउंडेशन के अंकित कुमार और जीविका के जीविकोपार्जन विशेषज्ञ दिलीप राजहंस ने इस प्रशिक्षण बकरियों के स्वास्थ्य, बीमारियों, बीमारियों के लक्षण एवं उनके पहचान, टीकाकरण एवं बकरियों का हर्बल दवाइयों से उपचार पर विस्तृत जानकारी दी। पशु सखियों को इन विषयों पर बेहतर समझ के लिए प्रायोगिक प्रशिक्षण भी दिया गया। इसके अतिरिक्त मेमनों के बधियाकरण एवं टीकाकरण करने के तरीके को विस्तार से प्रायोगिक तरीके से बताया गया।
आगा खां फाउंडेशन के डॉक्टर अंकित कुमार ने बताया कि दीदियों ने ख़ुद कास्ट्रेशन एवं टीकाकरण किया जिससे उनका आत्मविश्वास और भी बढ़ा है। उन्होंने बताया की प्रशिक्षण के पशु सखी अपने पंचायत के ग्राम संगठन और समूह की बैठक में पशुपालक जीविका दीदियों को बकरी पालन को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करेंगी और उन्हें आश्वस्त करेंगी की बकरियों के स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं और ससमय टीकाकरण पशु सखी करेंगी। उन्होंने बताया की पी.पी.आर. रोग से बकरी पालक दीदियों को काफ़ी नुक़सान होता है। यह बीमारी महामारी का रूप ले लेती हैं और बकरियों की मृत्यु का कारण बनती हैं।
जीविकोपार्जन विशेषज्ञ दिलीप राजहंस ने जानकारी दी की पशु सखी अपने अपने पोषक क्षेत्र में बकरियों और मेमनों पीपीआर और ईटी का टीका लगायेंगी जिससे बकरियों को संक्रामक रोगों से बचाया जा सके।
जिला परियोजना प्रबंधक आर. के निखिल ने जानकारी दी की पूरे जिले में 315 पशु सखी बकरीपालक जीविका दीदियों के घर घर जा कर बकरीपालन के गुर सीखा रही हैं और बकरियों का टीकाकरण पशुपालन विभाग से समन्वय स्थापित कर रही हैं और साथ ही साथ बकरियों का उपचार कर ख़ुद भी आत्मनिर्भर बन रही हैं।
बगहा प्रखण्ड की जैबून नेसा जो शबनम जीविका स्वयं सहायता समूह की सदस्य है ने बताया कि इस प्रशिक्षण से उन्हें हर्बल दवाओं से बकरियों के उपचार की समझ बढ़ी है। दीदी पिछले 2 वर्षों से पशु सखी के रूप में काम कर रही हैं और दीदी कृमि की दवा, वैक्सीनेशन और मेमनों का कैस्ट्रेशन करने में निपुण हो गई हैं। इस पेशे को अपना कर दीदी 8-10 हज़ार रुपया प्रति माह कमा रही है। उन्होंने इस कमाई से स्कूटी ख़रीद लिया है और दीदी घर घर जा बकरियों का उपचार कर रही हैं ।