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Bihar News-देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों के लिए नए घर ढूंढना भी एक अत्यंत चुनौती पूर्ण कार्य है

संवाददाता-राजेन्द्र कुमार

वैशाली /हाजीपुर। और इस कार्य को वैशाली जिले में जिला बाल संरक्षण इकाई की टीम पूरी तन्मयता से कर रही है। समाज कल्याण विभाग बिहार सरकार के द्वारा देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों के लिए विभिन्न प्रकार के गृह संचालित हैं जिसमें 0 से छः वर्ष तक के छोटे बच्चों के लिए विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान एवं 6 साल से बड़े बच्चों के लिए बाल गृह एवं बालिका गृह संचालित है। जब भी कोई देखरेख और संरक्षण वाला बालक प्राप्त होता है तो चाइल्ड हेल्पलाइन की टीम सर्वप्रथम उसे बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत करती है।

Bihar News- Finding new homes for children in need of care and protection is also an extremely challenging task

बाल कल्याण समिति के आदेश से बच्चों को उनके उम्र के सापेक्ष संबंधित गृह में आवासित कराया जाता है जहां उनके रहने, खाने-पीने, मनोरंजन एवं शिक्षा दीक्षा की उचित व्यवस्था की गई है।
अब शुरू होती है बच्चों के जैविक माता-पिता की खोज, जिसमें जिला बाल संरक्षण इकाई की महत्वपूर्ण भूमिका है। बाल संरक्षण पदाधिकारी (संस्थागत) के नेतृत्व में सामाजिक कार्यकर्ता, काउंसलर एवं बाल गृह के अधीक्षक अथवा समन्वयक हर बच्चे से बातचीत कर,
हर वह संभव निशान ढूंढते हैं जिसके आधार पर उसके जैविक माता-पिता का पता चल सके। कई बार बहुत सारे प्रयासों के बाद बच्चे अपने जैविक माता-पिता के पास पहुंचा दिए जाते हैं, परंतु कई बार उनके जैविक माता-पिता का पता लगा पाना कठिन हो जाता है और एक निर्धारित अवधि तक उसके माता-पिता का पता नहीं चलता तो बालक के लिए नए परिवार की खोज शुरू की जाती है। इसके लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा जारी दत्तक ग्रहण विनियम 2022 में उल्लेखित प्रावधानों का अनुपालन करते हुए बच्चों को दत्तक ग्रहण में भेज दिया जाता है।
ऐसा ही एक वाकया 2023 में प्राप्त 5 वर्षीय बालक के साथ हुआ।

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बालक अपने घर एवं माता-पिता का पता बताने में असमर्थ था। फिर भी उसके द्वारा बताए गए छोटी से छोटी बातों को गौर करते हुए उसके जैविक माता-पिता का पता लगाने का भरपूर प्रयास किया गया। आधार पंजीकरण भी बच्चों के माता-पिता की खोज में महत्वपूर्ण योगदान देता है। अतः उस बालक का आधार पंजीकरण कराया गया परंतु उसका पूर्व से कोई आधार नहीं बना था, अतः यह युक्ति भी असफल हो गई। तब महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा जारी दत्तक ग्रहण विनियमन के विभिन्न कंडिकाओं का अनुपालन करते हुए उसे बाल कल्याण समिति द्वारा दत्तक ग्रहण में देने हेतु विधि विमुक्त कर दिया गया।
उक्त बालक उत्तर प्रदेश के एक दंपत्ति के हिस्से आया। दंपति ने जून 2018 में एक बालक की चाह में विहित पोर्टल पर अपना पंजीकरण कराया था। मई 2024 में जब इस बालक की मैचिंग उनके साथ की गई तो उनके खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उनके पास पर्याप्त दस्तावेज बना हुआ नहीं था लेकिन उन्हें बालक को लेने की इच्छा थी। इस कारण उन्होंने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को पत्र लिखकर आवश्यक दस्तावेज बनवाने के लिए अतिरिक्त एक माह का समय मांगा। दस्तावेज तैयार करवाने के पश्चात उन लोगों ने अगस्त 2024 में हाजीपुर आकर उक्त बालक को दत्तक ग्रहण हेतु प्राप्त करने की प्रक्रिया पूर्ण की। उनके सभी दस्तावेजों की जांच के पश्चात जिला बाल संरक्षण इकाई एवं दत्तक ग्रहण समिति ने बालक को दत्तक ग्रहण में देने का फैसला किया और जिलाधिकारी महोदय के द्वारा बालक को दत्तक माता पिता के सुपुर्द किया गया। आज वह बालक अपने परिवार में बिल्कुल खुश है। अच्छी तरह पढ़ाई कर रहा है। उसके माता-पिता भी उसे अपने बच्चों की तरह स्नेह दे रहे हैं। इस प्रकार उनका यह परिवार पूर्ण हो गया है।

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जनवाद टाइम्स