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Bihar News निर्वाचन आयोग के नई गाइड लाइन से गरीब एवं कमजोर वर्ग के मतदाता मतदान करने से रह जाएंगे वंचित- सुनील राव

संवाददाता मोहन सिंह

बेतिया/ पश्चिम चंपारण।

भाकपा माले नेता सुनील कुमार राव ने जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह जिला पदाधिकारी पश्चिम चंपारण द्वारा चुनाव संबंधित विमर्श के लिए मान्यता प्राप्त राजनैतिक दलों की बुलाई गई बैठक में बुधवार को कहा कि चुनाव आयोग द्वारा चुनाव से पहले गहन पुनरीक्षण कार्यक्रम के तहत नए सिरे से मतदाताओं को नाम जोड़ने के लिए दिए गए सुझावों में कहा गया कि भारत निर्वाचन आयोग के नए गाइडलाइंस से गरीब और कमजोर वर्गों के मतदाता मतदाता सूची में नाम जोड़ने से वंचित रह जाएंगे।

Bihar News Due to the new guidelines of the Election Commission, voters from poor and weaker sections will be deprived of voting - Sunil Rao

इस वजह से आसन्न विधानसभा चुनाव में उन्हें लोकतंत्र के महापर्व में अपने बड़े लोकतांत्रिक अधिकार मतदान के अधिकार से वंचित रह जाना होगा।
उन्होंने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से ठीक पहले भारत निर्वाचन आयोग ने अचानक बिहार में मतदाता सूची को लेकर बड़े पैमाने पर “विशेष गहन पुनरीक्षण” अभियान चलाने का आदेश दिया है. इस आदेश के तहत एक महीने के भीतर बिहार के 7.8 करोड़ से अधिक मतदाताओं का घर-घर सर्वेक्षण करने और सभी से भरे हुए फॉर्म इकट्ठा करने का लक्ष्य तय किया है. चुनाव आयोग 2003 की मतदाता सूची को आधार बनाना चाहता है, जिसमें करीब 5 करोड़ मतदाता थे। उसके बाद जो मतदाता जोड़े गए हैं, उन्हें अब पहचान से जुड़े कई अनिवार्य दस्तावेज देने होंगे. जो मतदाता किसी कारणवश समय पर ये दस्तावेज नहीं दे पाएंगे, उनका नाम मतदाता सूची से काटा जा सकता है, जिससे वे अपने वोट के अधिकार से वंचित हो जाएंगे.

इस विशेष गहन पुनरीक्षण का पैमाना और तरीका असम में हुए एनआरसी (नागरिक रजिस्टर) अभियान जैसा है. असम में इस प्रकिया को पूरे करने में छह साल लगे, फिर भी वहां की सरकार ने एनआरसी को अंतिम सूची के रूप में स्वीकार नहीं किया. असम में 3.3 करोड़ लोग शामिल थे, जबकि बिहार में लगभग 8 करोड़ मतदाताओं को एक ही महीने में कवर करने की बात हो रही है—वह भी जुलाई के महीने में जब बिहार में मानसून और खेती-बाड़ी का व्यस्त समय होता है. यह भी सभी जानते हैं कि बिहार के लाखों मतदाता राज्य से बाहर काम करते हैं।

Bihar News Due to the new guidelines of the Election Commission, voters from poor and weaker sections will be deprived of voting - Sunil Rao

बिहार में पिछली बार ऐसा विशेष गहन पुनरीक्षण 2003 में हुआ था, जब कोई चुनाव नजदीक नहीं था और मतदाताओं की संख्या लगभग 5 करोड़ थी. हमारी पार्टी लंबे समय से बिहार में भूमिहीन गरीबों के वोट के अधिकार के आंदोलन से जुड़ी रही है, और हमें चिंता है कि चुनाव से ठीक पहले इतने कम समय में यह विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान भारी अव्यवस्था, बड़े पैमाने पर गलतियों व नाम काटे जाने का कारण बनेगा.ऐसे में इस समय विशेष सघन पुनरीक्षण जैसी अव्यवहारिक योजना को स्थगित किया जाए और मतदाता सूची का नियमित अद्यतन कार्य ही किया जाए. माले नेता ने कहा कि चुनाव आयोग के इस अव्यवहारिक फैसले का हम विरोध करते हैं और इसकी शिक़ायत भारत निर्वाचन आयोग को भी किया जाएगा।

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जनवाद टाइम्स