Bihar news बिहार सरकार ईंख का दाम 5 सौ रूपये क्विंटल दे

संवाददाता मोहन सिंह
बेतिया: बिहार राज्य ईंख उत्पादक संघ के महासचिव प्रभुराज नारायण राव ने बिहार सरकार से मांग किया है कि बिहार में गन्ना की खेती को बढ़ावा देने के लिए और किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी के लिए 5 सौ रूपये प्रति क्विंटल गन्ना का दाम निर्धारित करे । उन्होंने कहा कि गन्ना की खेती पूरे 1 साल के लिए होता है । इसमें कई बार खाद देने पड़ते हैं । पानी देने पड़ते हैं । गन्ना सबसे ज्यादा पानी खाने वाला फसल है और इसमें लागत ज्यादा पड़ता है । ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार और बिहार सरकार सिर्फ चीनी मिलो के मालिकों की बातों को सुनकर उन्हें लाभ पहुंचाने का एकमात्र काम को छोड़ कर लगातार घाटे में जा रहे किसानो को स्वामीनाथन कमीशन की अनुशंसाओ के आलोक में फसल में लागत का डेढ़ गुना दाम किसानों को दे । तो निश्चय लाभकारी खेती गन्ना का होगा और इसकी खेती का विकास भी होगा ।
उन्होंने बिहार सरकार से मांग किया है कि बिहार के अंदर रोजगार मुलक उद्योग के लिए बंद पड़े सभी 19 चीनी मिलों को चालू किया जाए । इससे गन्ना की खेती का विकास पूरे बिहार में होगा । मिल चालू होने से रोजगार बढ़ेंगे । जो बिहार की जरूरत है और कृषि आधारित उद्योग जो बिहार सरकार के सुगर कॉरपोरेशन के अधीन बंद पड़ा है और आज उसे चालू करने के बजाए अन्य कार्यों के लिए चीनी मिल के जमीन को देना चाह रही है । अभी पिछले दिनों बिहार सरकार ने इथनॉल प्लांट लगाने का निर्णय लिया है जो बिहार में पांच जगह लगना हैं । इथनौल प्लांट चलाने के लिए चीनी मिल से निकलने वाले रॉ मैटेरियल की जरूरत है । इसलिए बड़े पैमाने पर बिहार में चीनी मिलों को चलाकर इथनौल पैदा किया जा सकता है ।
लेकिन बिहार सरकार की मंशा चीनी मिलों को चालू करने के बदले चीनी मिलों के जमीनों को इस इथनॉल प्लांट बैठाने के लिए देने की मंशा है । जिससे बिहार जैसे पिछड़े राज्यों को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। क्योंकि इथनॉल बनाने के लिए गन्ना या खाद्य पदार्थों की जरूरत है । चीनी मिल के बगैर इथनॉल प्लांट बैठाने का मतलब बिहार के अंदर पैदा हो रहे अनाज से इथेनॉल बनाया होगा । जिससे बिहार के लोगों को खाने की किल्लत होगी। इसलिए बिहार सरकार अपनी इस नासमझ नीतियों में बदलाव कर बंद पड़े सभी चीनी मिलों को चालू करावे और गन्ने की खेती को व्यापक रूप से बढ़ाने के लिए गन्ने की कीमत 5 सौ रूपये प्रति क्विंटल करे , बकाए पैसे को ब्याज सहित भुगतान करावे , चीनी के अलावे ईंख के बाय प्रोडक्ट उत्पादों में से मुनाफे का आधा पैसे किसानों को दे । इससे किसानों को लाभ मिलेगा । अन्यथा मिल मालिकों द्वारा किसानों के शोषण की प्रक्रिया जारी रहेगा ।