ए! चांद सुहागिनों के सुहाग को अमरता प्रदान करना

लेखक: डॉ धर्मेंद्र कुमार
पति के दीर्घायु की कामना करना भारतीय नारी ही नहीं संपूर्ण विश्व की महिलाएं पति सहित संपूर्ण परिवार की सुख ,समृद्धि ,दीर्घायु की दुआ करती है l महिलाओं का स्वभाव ही उन्हें पूज्य होने का दर्जा प्रदान करता है l सुख दुख में साथ खड़ी अर्धांगिनी ही तो है, जो पति को विवशता का एहसास नहीं होने देती l यह भी सत्य है कि बिना पत्नी के यज्ञ की आहुतियां पूर्णता प्राप्त नहीं कर सकती l
पुरुष प्रधान भारतीय समाज में नारियों ने सदैव मुसीबतों का सामना कर धार्मिकता व नैतिकता को जीवंतता प्रदान की है l असमानता के भाव को समाप्त करने के लिए संविधान के भाग 3 में महिलाओं को बराबरी का दर्जा प्रदान कर पुरुष प्रधान समाज पर लगाम लगाने का कार्य किया है l

समानता के बावजूद आज भी आर्थिक असमानता ने भारतीय समाज में खाई पैदा की है l धनवान समाज की महिलाएं जहां बड़े-बड़े शोरूम तथा मॉल से साड़ी व सुहाग का सामान खरीद कर करवा चौथ का व्रत रखती हैं तो वहीं निर्धन वर्ग की महिलाएं भी फुटपाथ से साड़ियां श्रंगार खरीद कर व्रत रखकर पति के साथ सपरिवार दीर्घायु व सुख-समृद्धि की दुआ अनंत दूरी पर स्थित चांद से दुआ करती हैं l किंतु पतिदेव को एहसास नहीं होने देती l
जहां अमीरों के घर पकवानों /व्यंजनों का ढेर होता है वही निर्धन महिलाएं भी अपने अभाव में उनकी बराबरी करती दिखाई देती हैं l स्वयं व्रत का पालन कर रही निर्धन महिला ने जब शाम को विशेष इंतजाम कर 5 पुड़िया बनाई तो बच्चों ने जिद की की कि मां आप पापा के लिए पूड़ी बना रही हो हमें क्यों नहीं मिलेगी ? मां ने बच्चों की भावनाओं को देखकर समझाया कि बेटा पूरी साल जब पूड़ी बनती है तब तुम्हारे पिता तुम्हें /हमें पुड़िया खिलाकर बचे हुए रोटी के टुकड़े खाकर कमरतोड़ मेहनत करते हैं l आज हम सब का फर्ज है कि परंपरा अनुसार तुम्हारे पिता का पूजन होना है यह पूरियां हमें /हम सबको उन्हें खिलाना चाहिए l मेरा तो व्रत है पति की दीर्घायु ही तो हम सब के लिए सुरक्षा कवच है l मां ने आंसू छुपाते हुए बच्चों को समझाया l पति करवा चौथ के दिन पत्नी को जल्दी आकर खुश करना चाहता था l आज हाथ में खोना जिसमें परिवार के लिए पांच लड्डू थे ,सोचा था कि एक-एक सब जनों को हो जाएगा l पत्नी को व्रत तोड़ने के लिए मीठा भी आवश्यक है ,किंतु पत्नी का बच्चों को समझाना जब पति ने सुना तो द्रवित होकर पत्नी से लिपट कर रोने लगा , पत्नी ने साहस बधायां कि यह व्यर्थ का दिखावा है प्रिय! मेरा तो सुहाग ही मेरा संसार तथा संसार की तमाम खुशियां है l आप और हमारा परिवार ही तो हमारे जीवन का मकसद है lचलो चांद आ गया है lअब आप का पूजन कर हमें अपना अपना व्रत पूर्ण करने दोl बच्चों ने भी पिता तथा मां के समर्पण का पूर्ण सहयोग किया और पांच पुड़िया तथा पांच लड्डू आपस में बांट कर खुश हो गए l
ए !चांद तेरा दीदार हो गया l हर गरीब के सुहाग की रक्षा करना l पति का साथ पत्नी को आत्मबल प्रदान करता है l ऐसी सुहागिनों की हर मुराद पूरी करना l ए !चांद उन गरीबों के हौसले को कम मत होने देना जिन्हें धन वालों के समक्ष जिंदगी बसर करनी है l