मजदूर दिवस विशेषांक : एक मेहनतकश मुझे स्वाभिमान सीखा गया

जया मोहन : प्रयागराज
1मई मज़दूर दिवस पर
श्रम देवता
श्रमिक श्रम का देवता हैं
अपने वरद हस्त से हमे
अनुग्रहित करता है
बड़ी बड़ी अट्टालिकाओं का
निर्माण करता है
देवताओ के धाम उनके विग्रहों को बनाता है
बन जाने पर इस देवता को
यह समाज क्या देता है
बनी हुई छत से निकाल दिया जाता है
मंदिर प्रवेश पर भी रोक दिया जाता है
कोई उसके उपकार को नही चुकाता है
उसे मजदूर मजदूर पुकारता है हेय दृष्टि से देखता है
सोचो अगर उसने अपना श्रम दान नही किया होता तो ये मका मंदिर बना होता
काम कोई छोटा हो या बड़ा
उसके बिना पूरा नही होता
उसके बिना जीवन अधूरा होता
मज़दूर दिवस के अवसर पर
आज हम संकल्प करें
श्रम देवता को मन से नमन
करे
2. सभी को चाहिए रोटी
बगीचे की सफाई करने को
मैंने मज़दूर बुलवाया
वो एक व्रद्ध मज़दूर को पकड़ लाया
उसे देखते ही मुझे गुस्सा आया
मैने डांटते हुए कहा
तू ये किसे पकड़ लाया
अरे ये ठीक से खड़ा तो हो नही सकता
काम क्या कर पायेगा
बिना काम के ही पूरी मज़दूरी बनाएगा
मज़दूर हाथ जोड़ बोला
मुझे मना करोगी
तो क्या कमाऊँगा
भूखे पेट की आग कैसे बुझाऊगा
तन बूढा हो या जवान बेटी
सभी को चाहिए रोटी
बाबा तुम्हे खाली हाथ न जाने दूगीं
बिना काम के ही पूरी
मजूरी दूगीं
आप दान दे कर दानवीर
कहलाएगी
एक मेहनतकश को
भिखमंगा बनाएगी
यह कह वह चला गया
मेरे अहम को थप्पड़ जड़ गया
मेरा मन श्रद्धा से उसके
आगे झुक गया
एक मेहनतकश मुझे
स्वाभिमान सीखा गया।
जया मोहन: प्रयागराज