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ताजमहल देखने आये पर्यटकों पर बंदरों ने करा हमला

आगरा में दो महिलाएं हुई मंकी बाइट का शिकार

संवाददाता मुस्कान सिंह आजाद की रिपोर्ट

दुनिया के सातवें अजूबे ताजमहल पर बंदरों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है। रविवार को ताजमहल देखने आए एक ग्रुप की दो महिलाओं को बंदर ने काट लिया। हादसे के बाद परिवार बुझे मन से वापस चला गया।इस दौरान महिला पर्यटक काफी दहशत में आ गयी।

आगरा में दो महिलाएं हुई मंकी बाइट का शिकार,

जानकारी के अनुसार रविवार शाम के समय दिल्ली से तीन महिलाओं व तीन पुरुष का ग्रुप ताजमहल देखने पश्चिमी गेट पर पहुंचा था। ताजमहल देखकर वापस आते समय उन पर बंदरों ने हमला कर दिया। बंदरों ने दो महिलाओं को काट लिया। अचानक हुए हादसे से एक महिला काफी दहशत में आ गयी।

बंदरों द्वारा काटे जाने पर पर्यटकों ने ताजमहल पर व्यवस्थाएं न होने की बात कही है। स्थानीय दुकानदार ने उनका वीडियो बनाकर मीडिया से साझा किया है। हालांकि पर्यटकों के नाम की दुकानदार जानकारी नहीं कर पाया है।

ताजमहल पर बंदरों के आतंक

बता दें कि ताजमहल पर बंदरों का आतंक काफी समय से है। यहां मुख्य गुम्बद पर यमुना की तरफ से, दशहरा घाट की साइड से और पीछे शमशानघाट की तरफ से भारी संख्या में बंदर आ जाते हैं। पूर्व में कई बार पर्यटकों को बंदर नुकसान भी पहुंचा चुके हैं।

आगरा में लगभग हर अपराध कर चुके हैं बंदर

आगरा के इरादतनगर में अभी बीते सप्ताह बंदरों ने एक छात्रा को बुरी तरह घायल कर दिया था। बीते वर्ष घटिया माइथान क्षेत्र में प्लाट की खुदाई के दौरान बंदरों की कूद-फांद से दीवार गिर गयी थी और दो मजदूरों की मौत हो गयी थी। बंदर चेन स्नेचिंग, लूट और हत्या का प्रयास जैसी कई घटनाओं को भी अंजाम दे चुके हैं।

बचाव का नहीं कोई इंतजाम

बंदरों से बचाव का नगर निगम और वन विभाग के पास कोई इंतजाम नहीं है। पशुप्रेमी संस्थाओं के हस्तक्षेप के कारण सख्ती नहीं कि जा सकती है और बंदरों को पकड़ कर अन्य क्षेत्रों में छोड़ने पर भी मनाही है। पूर्व में रुनकता गांव में एक मासूम बच्चे पर बंदरों का हमला होने के बाद लोगों ने काफी हंगामा किया था और बंदरों को वहां छोड़ने पर प्रदर्शन की धमकी दी थी।

एकमात्र सहारा लंगूर, वो भी नहीं रख सकते

बंदरों से बचाव का एकमात्र सहारा लंगूर है। लंगूर को देखकर बंदर भाग जाते हैं। आगरा में बड़ी संख्या में मदारी मासिक पैसा लेकर लंगूर को होटल, स्कूल और प्राइवेट संस्थानों में ले जाते हैं। सरकारी स्तर पर लंगूर रखने पर पशु प्रेमी संस्थाओं द्वारा विरोध कर दिया जाता है और पशु रक्षा अधिनियम के कारण लंगूर नहीं रखा जा सकता है।

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