Prayaagraj News :नव दिवसीय विराट किसान मेला 2023 के तृतीय दिवस का सफल आयोजन

रिपोर्ट विजय कुमार
अखिल भारतीय सरदार पटेल सेवा संस्थान आलोपीबांग परिसर में शुक्रवार को 09 दिवसीय विराट किसान मेला 2023 के तृतीय दिवस का आयोजन किया गया। कार्यक्रम कीं अध्यक्षता डा0 आर0 के0 मौर्य, संयुक्त कृषि निदेशक, प्रयागराज मण्डल, प्रयागराज द्वारा की गयी तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रो0 आलोक मिल्टन लाल, संयुक्त निदेशक, प्रसार शुआट्स नैनी, श्री विनोद कुमार, उप कृषि निदेशक प्रयागराज एवं डा0 शैलेन्द्र कुमार सिंह, कृषि वैज्ञानिक शुआट्स नैनी, डा0 शैलेन्द्र कुमार सिंह, कृषि वैज्ञानिक शुआट्स नैनी, डा0 शिशिर कुमार द्विवेदी, डा0 डी0एस0 चैहान, अजय कुमार, कृषि वैज्ञानिक के0वी0के0 नैनी, उपस्थित रहे।
उप कृषि निदेशक, प्रयागराज द्वारा सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए दलहन एवं तिलहन केे फायदे के बारे में विस्तृत चर्चा की गयी। दलहन की खेती करने से इनकी जड़ें बहुत गहराई से जाकर करके पोषक तत्वों एवं जल को ग्रहण करती हैं यह सबसे कम पानी वाली फसल होती है इनके जड़ों में राइजोबियम नाम का जीवाणु होता है जो वातावरण से नाईट्रोजन जमीन में स्थिर करता है, जिससे उर्वरकों की बचत होती है। दालों से तमाम प्रकार के इन्जाइम्स व अन्य प्रकार के पौष्टिक तत्व प्राप्त होते हैं जो स्वास्थ्यवर्द्धक है।

तकनीकी सत्र में डा0 शिशिर कुमार द्विवेदी, कृषि वैज्ञानिक के0वी0के0 नैनी प्रयागराज द्वारा तिलहन की खेती पर विस्तुत चर्चा करते हुए बताया गया कि तिलहनी फसलों में किसान भाई जिप्सम का प्रयोग कर तिलहन फसल में सल्फर की आवश्यकता की पूर्ति कर सकते हैं जिससे तेल की पर्याप्त मात्रा प्राप्त होगी। इस प्रकार रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता किसानों की कम होगी जिससे उत्पादन लागत भी कम होगी तथा अधिक मात्रा में तेल प्राप्त होने से आय में वृद्धि होगी। डा0 डी0एस0 चैहान, कृषि वैज्ञानिक के0वी0के0 नैनी प्रयागराज द्वारा दलहन महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया गया कि बुवाई से पूर्व बीज शोधन, भूमि शोधन करके समय से बुवाई करने से तमाम प्रकार के फॅफूदीजनक रोगों से बचाव होता है। दलहनी फसलों से मृदा उर्वरता में वृद्धि होती है। इस विधि से पैदावार में 15 से 20 फीसदी की बढ़ोत्तरी होती है। किसानों को पंक्तिबद्ध बुवाई करने से फसलों के हवा से गिरने की सम्भावना कम हो जाती है और कृषक गुणवत्तापूर्ण उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। डा0 शैलेन्द्र कुमार सिंह, कृषि वैज्ञानिक शुआट्स नैनी प्रयागराज द्वारा फलों की जैविक बागवानी की खेती पर विस्तुत चर्चा करते हुए समतल भूमि का चयन, उच्च क्वालिटी के प्रजातियों के पौंध चयन एवं पौध रोपण हेतु गड्ढ़ों की खुदाई करने के बारे में बताया गया। बागवानी हेतु गड्ढ़ों की खुदाई किसान भाई माह मई, जून के महीने में करें जिससे मृदा के हानिकारक कीट नष्ट हो सके। बागवानी में सहफसली खेती पर प्रकाश डालते हुए बताया गया कि यदि पौध की पंक्तियों की दूरी 2 मीटर बढ़ा दी जाय तो बागवानी के साथ-साथ सब्जियों का उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है जिससे अतिरिक्त आमदनी प्राप्त होगी। पौधों को कीट रोग से बचाने हेतु ट्राइकोडरमा, नीम की खली के प्रयोग के बारे में बताया गया।
श्री संजय अग्रवाल एम0डी0 द्वारा मेरा गांव ऐप की जानकारी देते हुए बताया गया कि इस ऐप के माध्यम से कम समय में अधिक से अधिक कृषकों को सूचनाओं का आदान प्रदान किया जा सकता है। महिला सशक्तीकरण की दिशा में यह ऐप सहायक है। सशक्त स्त्री समूह ऐप महिलाओं के लिये बनाया गया है। इस ऐप पर यदि गांव की कोई महिला अपनी सूचना गांव की महिलाओं को देना चाहती है तो इस ऐप का प्रयोग करें इनकी सूचना सिर्फ महिलाओं को प्राप्त होगी। एफ0पी0ओ0 के लिये ऐप की उपयोगिता के बारे में जानकारी दी गयीं।

कृषक श्री चन्द्र प्रकाश कुशवाहा द्वारा वर्मी कम्पोस्ट का निर्माण कर खेती के साथ-साथ आय में वृद्धि के तरीके के अनुभव को साझा करते हुए किसानों को बताया गया कि वर्मी कम्पोस्ट बनाने में घर के अपशिष्ट पदार्थ (वेस्ट मेटेरियल) का प्रयोग किया जाता है जिससे अपशिष्ट पदार्थों का निदान भी हो जाता है और वर्मी कम्पोस्ट के रूप में हमें खाद भी प्राप्त होता है जिससे हमारे भूमि की उर्वरा शक्ति में भी वृद्धि होती है तथा इसका विक्रय कर अतिरिक्त आय अर्जित की जा सकती हैं।श्री सुभाष मौर्य, जिला कृषि अधिकारी, प्रयागराज द्वारा श्री अन्न मोटे अनाज की खेती एवं इसके महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया गया कि कृषक भाई मोटे अनाज की खेती अवश्य करें, क्योकि मोटे अनाज में प्रचुर मात्रा में नोड्यूल्स पाये जाते हैं जो स्वाथ्यवर्द्धक है। मोटे अनाज की फसल उगाने में कम पानी एवं उर्वरकों का प्रयोग कम होता है जिससे उत्पादन लागत कम आती है। मोटे अनाज का बाजार भाव अच्छा है इस प्रकार कम लागत में अच्छा मूल्य प्राप्त कर किसान अपनी आमदनी में वृद्धि कर सकते हैं।
डा0ॅ अजय कुमार कृषि वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केन्द्र नैनी द्वारा कृषकों को उत्पादन लागत कम करने हेतु प्राकृतिक खेती अपनाने पर जोर दिया गया। आज रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग के कारण जमीन की उर्वरा शक्ति निरन्तर घट रही है। मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने के लिये जैविक खेती को करना चाहिए। एक गांय के गोबर से 30 एकड़ खेत के लिये देशी खाद तैयार कर सकते हैं। बीजामृत, जीवामृत, घनजीवामृत के प्रयोग से सूक्ष्म जीवों की संख्या आसानी से बढ़ाया जा सकता है। गौमूत्र, गुड़, गोबर, बेसन, पीपल व बरगद के बृक्ष के नीचे की मिट्टी लेकर जैविक खाद बनायी जा सकती है।
संयुक्त कृषि निदेशक प्रयागराज मण्डल, प्रयागराज के द्वारा कृषकों को उर्वरकों की उपलब्धता की जानकारी देते हुए बताया गया कि विभाग की तत्परता की वजह से समय से कृषकों को उर्वरक उपलब्ध होता रहा है तथा कृषकों से आह्वान किया गया कि जनपद के समस्त विकासखण्डों से अधिक से अधिक कृषक इस मेले में प्रतिभाग करें जिससे कृषकों के कृषि के तकनीकी ज्ञान में वृद्धि हो सके।

आज के कार्यक्रम में कृषि से संबंधित विभिन्न विभागों एवं संस्थाओं द्वारा कृषकों की जानकारी के लिये 60 स्टाल लगाये गये तथा लगभग 1500 कृषकों द्वारा कार्यक्रम में प्रतिभाग किया गया।जिला कृषि अधिकारी, प्रयागराज द्वारा संयुक्त कृषि निदेशक, प्रयागराज मण्डल, प्रयागराज की अनुमति से कृषकों, अधिकारियों एवं मीडिया सेल को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कार्यक्रम समाप्ति की घोषणा की गयी।




