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प्रणब दा एक विराट व्यक्तित्व

सुनील पांडेय : कार्यकारी संपादक

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अग्रणी पंक्ति के वरिष्ठ राजनेताओं में प्रणब दा का नाम आता है ।इनका पूरा नाम प्रणब कुमार मुखर्जी था। इन्होंने अपने समग्र राजनीतिक जीवन में सुचिता के साथ ईमानदारी पूर्ण कार्य किया। इनका राजनीतिक जीवन पूरी तरह से स्वच्छ एवं वेदाग था। इनका जन्म 11 दिसंबर 1935 को पश्चिम बंगाल के बीरभूमि जनपद के किरणहार के सन्निकट मीटरी गांव में एक बंगाली ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम कामदा किंकर मुखर्जी एवं माता का नाम राजलक्ष्मी मुखर्जी था। इनके पिता एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे जो बाद में बीरभूमि जिला कांग्रेस कमेटी के सदस्य भी रहे ।

श्री मुखर्जी ने प्रारंभिक शिक्षा बीरभूमि में सूरी विद्यासागर कालेज से और बाद में कोलकाता विश्वविद्यालय से इतिहास व राजनीतिशास्त्र में स्नातकोत्तर एवं विधि की डिग्री हासिल की थी ।आज 84 वर्ष की आयु में दिल्ली में सेना की रिसर्च एवं रेफरल अस्पताल में इनका निधन हो गया। इन्हें बीते सोमवार 10 आगस्त को दिल्ली के छावनी स्तिथि सेना के रिसर्च एवं रेफ़रल अस्पताल में मस्तिष्क की सर्जरी के लिए भर्ती कराया गया था। मस्तिष्क की सर्जरी करने से पूर्व इनकी कोरोना वायरस से पॉजिटिव होने की पुष्टि हुई थी। मस्तिष्क सर्जरी कराने के बाद से इनकी हालत नाजुक बनी हुई थी और इन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था। बाद में वह कोमा में भी चले गए थे। उस दिन से लेकर आज तक प्रतिदिन डॉक्टरों की एक विशेषज्ञ टीम उनकी निगरानी कर रही थी तथा साथ ही साथ अस्पताल द्वारा प्रतिदिन हेल्थ बुलेटिन भी जारी की जाती रही है।

राजनीति में आने से पूर्व श्री मुखर्जी ने एक शिक्षक के रूप में में अपने कैरियर की शुरुआत की थी। इसके पश्चात एक पत्रकार तथा वकील के रूप में भी इन्होंने कार्य किया था। इनके राजनीतिक कैरियर की शुरुआत वर्ष 1969 में कांग्रेस पार्टी में राज्यसभा के सदस्य के रूप में हुई। इसके पश्चात वर्ष 1975, 1981 , 1993 एवं 1999 में भी कांग्रेस के टिकट पर राज्यसभा के लिए चुने गए थे। 1973 में कांग्रेस सरकार में औद्योगिक विकास विभाग में केंद्रीय उप मंत्री नियुक्त किए गए। इनके वेदाग राजनीतिक जीवन को देखते हुए वर्ष 1997 में इन्हें सर्वश्रेष्ठ सांसद के रूप में चुना गया था। वर्ष 2004 में पश्चिम बंगाल के जंगीपुर लोकसभा सीट से प्रथम बार सांसद चुने गए। अपने सुदीर्घ जीवन काल में इन्होने कई राजनीतिक पदों को सुशोभित किया जिनमें कुछ प्रमुख पदों का आगे जिक्र किया जा रहा है। इंदिरा सरकार में जनवरी 1982 से लेकर दिसंबर 1984 तक वित्त मंत्री रहे। पी ०वी० नरसिम्हाराव सरकार में जून 1991 से लेकर मई 1996 तक योजना आयोग के उपाध्यक्ष रहे तथा बाद में फरवरी 1995 से लेकर मई 1996 तक विदेश मंत्री रहे। डॉ० मनमोहन सिंह सरकार में मई 2004 से अक्टूबर 2006 तक रक्षा मंत्री रहे। मनमोहन सिंह सरकार के दूसरे कार्यकाल में जनवरी 2009 से लेकर जून 2012 तक वित्त मंत्री के रूप में कार्य किया। इसके बाद जुलाई 2012 से लेकर जुलाई 2017 तक भारत के13वें राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया। इनके शानदार राजनीतिक जीवन को देखते हुए वर्ष 2008 में उन्हें पद्म विभूषण तथा वर्ष 2019 में भारत रत्न जैसे सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया गया।

प्रणब दा का भारतीय राजनीति में एक लंबा कार्यकाल रहा है ।वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे ।उनके राजनीतिक चातुर्य एवं बौद्धिक कौशल को देखते हुए इन्हें कांग्रेस का संकटमोचक भी कहा जाता था।

प्रणब दा एक कुशल शिक्षक ,सुयोग्य पत्रकार ,चतुर राजनीतिज्ञ एवं विद्वान लेखक के साथ-साथ एक सुलझे हुए व्यक्ति भी थे। कांग्रेश की धुर विरोधी भारतीय जनता पार्टी के नरेंद्र मोदी सरकार के साथ प्रणब दा ने बेहतर तालमेल के साथ कार्य किया। भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी राष्ट्रपति के रूप में उनके कार्यों की भूरि भूरि प्रशंसा की और कहा प्रणव मुखर्जी के साथ उनका बेहतर तालमेल था।

राष्ट्रपति रूप में प्रधानमंत्री मोदी प्रणब दा का और एक प्रधानमंत्री के रूप में प्रणब दा नरेंद्र मोदी का सम्मान करते थे। दो अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों से अपना राजनीतिक ताल्लुक रखने के बाद भी कभी दोनों नेताओं में राजनीतिक मतभेद नहीं हुआ। यह एक स्वच्छ लोकतंत्र की सबसे बड़ी मिसाल है। अंत में जनवाद टाइम्स परिवार की ओर से स्वर्गीय प्रणब दा को विनम्र श्रद्धांजलि ।

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