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डॉ अंबेडकर जयंती पर मेरी काव्य रचना

नन्ही कलम से -श्वेतांक कृष्णा

दलित ,वंचितों को राह दिखाने।

एक मसीहा आया था।।

नाम था उसका भीमराव ।

वह अपमानों को झेला था।।

छुआछूत और ऊँच-नीच का ।

डंस झेला था वह बचपन में।।

इससे छुटकारा पाने को ।

शिक्षा को हथियार बनाया।।

दलित, वंचित और शोषितों को।

हकके लिए लड़ना सिखालाया।।

यदि बच्चों तुमको आगे बढ़ाना है।

तो तुमको पढ़ना ही होगा ।।

चाहे जितनी मुश्किलें आयें।

तुमको उससेे लड़ना ही होगा।।

डॉ अंबेडकर जयंती पर मेरी काव्य रचना

संविधान में दलित -वंचितों के लिए।

उसने ऐसा पुनीत कार्य किया ।।

एक वाक्य में कहूं अगर तो ।

दलितों का उद्धार किया ।।

आज उस महान् विभूति की।

जयंती का है यह शुभ दिन।।

श्रद्धा सुमन अर्पित करके ।

अंतर्मन से करते हम नमन ।।

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जनवाद टाइम्स