मेरठ न्यूज: जाति ही पूछो साधु की नाटक का किया आयोजन।

संवाददाता: मनीष गुप्ता
सी सी एस यूनिवर्सिटी के नेताजी सुभाषचंद्र बोस प्रेक्षाग्रह में नाटक “जाति ही पूछो साधु की” का मंचन शहर की प्रसिद्ध रंगमंचीय संस्था लहर नाट्य मंच,मेरठ के द्वारा किया गया। विजय तेंदुलकर द्वारा लिखे इस प्रसिद्ध नाटक का निर्देशन अनुज शर्मा ने किया। कार्यक्रम की शुरुआत कार्यक्रम अध्य्क्ष लाला लाजपतराय स्मारक मेडिकल कॉलेज, मेरठ के आचार्य डॉ ए. के. तिवारी एवंम मुख्य अतिथि आई आई एम टी, विश्वविद्यालय, मेरठ के वाईस चांसलर डॉ एच.एस. सिंह ने दीप प्रज्ज्वलन करके की। नाटक में हास्य व्यंग्य के साथ व्यवस्थाओं पर करारा प्रहार किया गया। शिक्षा व जाति व्यवस्था पर प्रहार करता नाटक भारतीय शिक्षा व्यवस्था में जातिवाद को व्यंग्यात्मक तरीके से पेश करता है। व्यंग्य और हास्य नाटक नायक महिपत की कहानी है, जो अपने जीवन में साधारण से छोटी पहचान और प्रशंसा पाने के लिए संघर्ष करता है।
नाटक की शुरुआत महिपत के एक लंबे वर्णन से होती है, जो उसके जीवन का एक मनोरंजक जीवनी रेखाचित्र देता है। जो एक छोटी जाति का एक बेरोजगार युवक है, वो हर हाल में एमए करना चाहता है अंत में वो थर्ड डिवीजन एमए पास कर लेता है। जब खुद के लिए कमाई की बात आती है, तो उसे नौकरी नहीं मिल पाती है और इसलिए, सभी बाधाओं और कठिनाइयों से थककर, वह ‘सिफारिश’ की ओर रुख करता है लेकिन हिंदी लेक्चरर पद के लिए अनेक जगह आवेदन करने के बाद भी उसे इंटरव्यू का बुलावा नहीं जाता। इसी बीच उसे अचानक एक ग्रामीण कॉलेज में नौकरी मिल जाती है क्योंकि उस पद के लिए वही अकेला उम्मीदवार था। कॉलेज के चेयरमैन की भांजी नलिनी को भी कुछ दिन बाद हिंदी लेक्चरर के रूप में नियुक्त कर लिया जाता है, अपनी नौकरी बचाने के लिए महीपत चेयरमैन की भांजी नलिनी से इश्क लड़ाने और विवाह रचाने की योजना बनाता है। इश्क तो परवान चढ़ता है, पर अपने ऊंचे खानदान की इज्जत की खातिर नलिनी मां-बाप के दबाव में महीपत को ठेंगा दिखा देती है। उच्च जाति की लड़की के साथ उसके रिश्ते का न केवल स्टाफ बल्कि कॉलेज के छात्रों के द्वारा भी विरोध किया जाता है। अंत में महीपत एक बार फिर पढ़े-लिखे बेरोजगार की पोजीशन में पहुंच जाता है।
नाटक में मख्य भूमिका में महिपत बने अनुज शर्मा ने अपनी अदाकारी से दर्शकों को अंत तक बांधे रखा और महिपत के किरदार को जीवंत कर दिया। अन्य कलाकारों में बबना बने क्षितिज तिवारी, नलिनी बनी साक्षी लाकरा ने दर्शको को अपनी अदायगी से दर्शकों को हँसने पर मजबूर कर दिया। बाकी कलाकारों में मनमोहन भल्ला, वसीम खान, वुकास राज, आशीष तोमर, शक्ति कुमार गर्ग, सीमा समर, हर्ष भीड़वाल, संभव, हनी रस्तोगी, राहुल शर्मा, अकरम अली, महबूब अली और स्पर्श शर्मा ने अपना किरदार बहुत अच्छा निभया। मंच संचालन अनिका शर्मा ने किया। पार्श्व संगीत विकास राज का और प्रकाश व्यवस्था आशीष तोमर की रही। रूप सज्जा मो. आबिद का रहा।
कार्यक्रम में डॉ स्नेहवीर पुंडीर, अनिरुद्ध गोयल, आलोक अग्रवाल, हरिओम शर्मा, दीपक मित्तल, राजेश शर्मा,अनिल शर्मा, भारत भूषण शर्मा, हेमंत गोयल, विनोद कुमार बेचैन,ओ डी राजपूत, कुसुम तिवारी, ममता दीक्षित, वीना अरोड़ा, विदुषी शर्मा आदि मौजूद रहे।