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Mahakumbha Nagar Prayagraj: महाकुंभ 2025: सनातन संस्कृति का महापर्व, प्रयागराज पूरी तरह तैयार

रिपोर्ट विजय कुमार

प्रयागराज, जिसे सभी तीर्थों का राजा कहा जाता है, महाकुंभ 2025 के प्रथम स्नान पर्व पौष पूर्णिमा (13 जनवरी 2025) के लिए साधु-संतों, श्रद्धालुओं, स्नानार्थियों और कल्पवासियों का आगमन शुरू हो चुका है। भारतीय संस्कृति की गौरवशाली परंपरा और विकास को समेटे नई प्रयाग नगरी सभी आगंतुकों के स्वागत के लिए पूर्णतः तैयार है। यह महापर्व विविधता में एकता का अनुपम उदाहरण है, जो भारतीय आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और धार्मिक चेतना को जागृत करता है।Mahakumbha Nagar Prayagraj: महाकुंभ 2025: सनातन संस्कृति का महापर्व, प्रयागराज पूरी तरह तैयार

वेद-पुराणों में वर्णित है कि संगम में स्नान से मोक्ष की प्राप्ति होती है और दान, यज्ञ, व्रत आदि करने से अमोघ फल की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि हर बार की तरह इस बार भी महाकुंभ में आस्था का विशाल सैलाब उमड़ रहा है।

महाकुंभ: मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर

यूनेस्को द्वारा “मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर” के रूप में मान्यता प्राप्त महाकुंभ, विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक समागम है। प्रयागराज में त्रिवेणी संगम के किनारे 4000 हेक्टेयर में विस्तारित मेला क्षेत्र 2019 की तुलना में 800 हेक्टेयर अधिक क्षेत्र में विकसित किया गया है। यह क्षेत्र 25 सेक्टरों में विभाजित है, जहां संगम की रेत पर बसी टेंट सिटी सनातन संस्कृति और आध्यात्मिक गौरव की झलक प्रस्तुत कर रही है।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रशासनिक व्यवस्थाएं सुदृढ़ की गई हैं। राज्य सरकार ने महाकुंभनगर जनपद का गठन करके मेले को सुव्यवस्थित और सुचारु बनाने का महत्वपूर्ण कदम उठाया है।

पौष पूर्णिमा और मकर संक्रांति स्नान

पौष पूर्णिमा और मकर संक्रांति के स्नान पर्व के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं, स्नानार्थियों और कल्पवासियों का आगमन हो रहा है। युवाओं, बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों में संगम स्नान को लेकर अद्भुत उत्साह देखा जा रहा है। लाखों श्रद्धालुओं की उपस्थिति सनातन संस्कृति के गौरव का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत कर रही है।

सरकार की विशेष व्यवस्थाएंMahakumbha Nagar Prayagraj: महाकुंभ 2025: सनातन संस्कृति का महापर्व, प्रयागराज पूरी तरह तैयार

राज्य सरकार ने श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा है। कल्पवासियों के लिए टेंट, बिजली, पानी, शौचालय और अन्य आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। पौष पूर्णिमा पर गंगा स्नान के बाद कल्पवास आरंभ होगा, जिसमें श्रद्धालु संगम तट पर धर्म, साधना और तपस्या में लीन रहेंगे।

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जनवाद टाइम्स