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Lucknow News : गो आधारित उत्पादों का ग्रामीण अर्थव्यवस्था में योगदान बढ़ाने एवं गोशालाओं को स्वावलंबी बनाने हेतु बैठक सम्पन्न

रिपोर्ट विजय कुमार

गो सेवा आयोग के तत्वावधान में आज गो सेवा आयोग सभागार में एक महत्त्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी की अध्यक्षता गो सेवा आयोग के अध्यक्ष श्री श्याम बिहारी गुप्त जी ने की, जिसमें उपाध्यक्ष श्री महेश शुक्ल एवं सदस्यों श्री राजेश सिंह सेंगर एवं श्री रमाकांत उपाध्याय जी भी उपस्थित रहे। संगोष्ठी का विषय “गो आधारित उत्पादों का ग्रामीण अर्थव्यवस्था में योगदान अवसर एवं चुनौतियां” था।

कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य गोवंश आधारित उत्पादों एवं पंचगव्य के महत्व को समझना तथा इन उत्पादों की उपयोगिता को जनसाधारण तक पहुंचाना और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में इनकी भूमिका को मजबूत करनाथा।
कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुये अध्यक्ष, गो सेवा आयोग श्री श्याम बिहारी गुप्त जी ने अपने उदबोधन में कहा कि गोवंश हमारी संस्कृति और अर्थव्यवस्था का अभिन्न अंग है। गो उत्पाद जैसे पंचगव्य, जैविक खाद, औषधियां, और स्वदेशी उत्पाद न केवल ग्रामीण क्षेत्र के लिए रोजगार के नए अवसर सृजित कर सकते हैं बल्कि हमारी अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर बनाने में भी सहायक हो सकते हैं। यह संगोष्ठी इस दिशा में सार्थक कदम साबित होगी। अध्यक्ष श्री श्याम बिहारी गुप्त जी ने कार्यक्रम के अंत में सभी अतिथियों और प्रतिभागियों को धन्यवाद दिया और कहा कि पंचगव्य आधारित उत्पाद गो आधारित प्राकृतिक कृषि के प्रशिक्षण केंद्र से समस्त गोशालाओं को बनाया जाएगा और उनको किसानों से जोड़ा जाएगा और युवाओं एवं एनआरएलएम की महिलाओं को स्किल डेवलपमेंट और स्टार्ट-अप से जोड़ा जाएगा। प्रदेश के 75 जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के अंतर्गत गोशालाओं को आयोग द्वारा चिन्हित कर लिया गया है जहां पर प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया जाएगा। प्रशिक्षण के पश्चात उन व्यक्तियों द्वारा गो आधारित उत्पादों एवं पंचगव्य औषधियों के उत्पादन हेतु जगह जगह जाकर प्रशिक्षण दिया जाएगा। श्याम बिहारी जी ने बताया की जल्द ही प्रति 100 गोवंशों पर 15 एकड़ गोचर भूमि उपलब्ध कराकर उस पर एक दलीय एवं दो दलीय हरा चारा पैदा किया जाएगा।

Lucknow News: Meeting concluded to increase the contribution of cow-based products in the rural economy and to make the cow shelters self-reliant

 
डॉ. कमल टावरी (पूर्व आईएएस अधिकारी) ने कहा कि गो आधारित उत्पादों का सही तरीके से प्रचार और प्रसार होने से ग्रामीण विकास के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा। यह समय की मांग है कि हम गो आधारित उत्पादों के व्यापक उत्पादन और उपभोग को प्रोत्साहित करें। जिससे गोशालाएँ स्वावलंबी हो सकेंगी एवं अनुदान पर आश्रित नहीं रहेंगी। श्री निरंजन गुरु जी (कुलपति, पंचगव्य विद्यापीठम विश्वविद्यालय, चेन्नई) ने पंचगव्य के औषधीय गुणों और इसके आर्थिक महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि गो आधारित उत्पाद केवल धार्मिक या सांस्कृतिक दृष्टिकोण तक सीमित नहीं हैं अपितु ये हमारे स्वास्थ्य और कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकते हैं। पंचगव्य चिकित्सा पद्धति आने वाले समय में प्रदेश के स्वास्थ्य सेक्टर के बजट को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। उन्होंने पंचगव्य चिकित्सा के माध्यम से अत्यंत जटिल बीमारियों के इलाज पर भी प्रकाश डाला। पंचगव्य चिकित्सा, जो गाय के पांच उत्पादों दूध, दही, घी, गोमूत्र और गोबर से तैयार औषधियों पर आधारित है, आयुर्वेद का एक महत्वपूर्ण भाग है। इस पद्धति का उपयोग प्राचीन काल से विभिन्न शारीरिक और मानसिक रोगों के उपचार में किया जा रहा है।

Lucknow News: Meeting concluded to increase the contribution of cow-based products in the rural economy and to make the cow shelters self-reliant

 
श्री पी. एस. ओझा (पूर्व सलाहकार, कृषि विभाग, उत्तर प्रदेश एवं पूर्व मेम्बर, उत्तर प्रदेश जैव ऊर्जा विकास बोर्ड) ने किसानों के लिए जैविक खेती में गो आधारित खाद और कीटनाशकों की भूमिका पर जोर दिया तथा अध्यक्ष, गो सेवा आयोग से मनरेगा वित्त सहायित बायोगैस गोशाला परियोजना का प्रस्ताव बनाकर उनसे जल्द से जल्द पूरे प्रदेश में क्रियान्वित किये जाने की अपेक्षा की। डॉ. एस. के. सिंह (पूर्व निदेशक, फिशरीज विभाग) ने कृषि, पशुपालन एवं मत्स्य आधारित योजनाओं में गो आधारित पंचगव्य उत्पादों के उपयोग की अपार संभावनाओं को रेखांकित किया। डॉ. राधेकान्त चतुर्वेदी (निदेशक, आयुर्वेद निदेशालय) ने गो उत्पादों के आयुर्वेद में उपयोग और उनकी वैज्ञानिक महत्व पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि गोमूत्र और गोबर से प्राप्त पंचगव्य उत्पाद, जो आयुर्वेद में प्राचीन काल से प्रयोग में हैं, आधुनिक चिकित्सा में भी कारगर साबित हो सकते हैं। श्री बृज बिहारी शुक्ल (लखनऊ फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज) ने भी गो उत्पाद आधारित उद्यमिता के व्यावसायिक पहलुओं पर चर्चा की। श्री मुकेश पांडे (डायरेक्टर, एफ.पी.ओ.) ने गो उत्पादों के व्यापार और उनके मार्केटिंग के संभावित मॉडल पर अपना विचार साझा किया एवं बताया की उनके यहाँ गोवंश के गोबर से बनाए हुये वर्मी-कमपोस्ट का विदेशों में एक्सपर्ट होता है एवं उनकी संस्था नवचेतना द्वारा 35 बायोगैस संयत्र लगाए गए हैं जो अभी भी बायोगैस बना रहे हैं।
संगोष्ठी में गोवंश संरक्षण का आर्थिक और पर्यावरणीय महत्व, गो उत्पाद आधारित व्यवसायों में रोजगार की संभावनाएं, ग्रामीण क्षेत्रों में गो आधारित कुटीर उद्योगों को स्थापित करने में आने वाली चुनौतियां, पंचगव्य/गो उत्पादों के वैश्विक स्तर पर प्रचार-प्रसार के लिये रणनीतियां तथा प्राकृतिक खेती में गो आधारित जैविक खाद और कीटनाशकों की भूमिका पर चर्चा की गई।
बैठक में निर्णय लिया गया कि जागरूकता अभियान-पंचगव्य/गो उत्पादों के महत्व पर जागरूकता बढ़ाने के लिए नियमित प्रशिक्षण और कार्यशालाओं का आयोजन किया जाएगा। ग्रामीण स्तर पर गो उत्पाद आधारित उद्योगों के लिए वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करने हेतु राज्य सरकार के सहयोग से योजनाएं शुरू की जाएंगी। गो उत्पादों के वैज्ञानिक और व्यावसायिक अध्ययन को बढ़ावा देने के लिए शोध संस्थानों के साथ भागीदारी की जाएगी। स्थानीय और वैश्विक बाजारों में गो आधारित उत्पादों को पहुंचाने के लिए मजबूत वितरण नेटवर्क विकसित किया जाएगा।

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जनवाद टाइम्स