सोमवती अमावस्या का पर्व 12 अप्रैल2021 को मनाया जाएगा – आचार्य राकेश पांडेय

संवाददाता पंकज कुमार : सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है। यह संयोग साल में दो या तीन बार बनता है। इस दिन की जाने वाली पूजा, स्नान और दान आदि का पुण्य जीवन में विशेष रुप से प्राप्त होता है।बता दें कि इस व्रत को महिलाएं संतान एवं पति की लंबी उम्र की कामना के लिए करती हैं। साथ ही इस दिन स्नान-ध्यान एवं दान-पुण्य का विशेष महत्व है। वहीं इस व्रत को करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
जनपद अंबेडकरनगर जहांगीरगंज , ग्राम खिज्जिपुर (छोटू) के निवासी जो कि विदेशी सरजमीं मॉरिशस में धर्म ध्वजा फहरा रहे आचार्य राकेश पांडेय के अनुसार इस दिन किया गया दान खासकर पितृकर्म के निमित्त किया गया दान विशेष फल प्रदान करता है। तुलसी की 108 परिक्रमा करने से दरिद्रता का नाश होता है और पवित्र नदी, सरोवर और जलाशयों में स्नान करने से भी उत्तम फल की प्राप्ति होती है।
मान्यता है कि सोमवती अमावस्या के दिन मौन रहने के साथ ही स्नान और दान करने से हजार गायों के दान करने के समान फल मिलता है। साथ ही पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर शनि मंत्र का जाप करने से शनि पीड़ा से मुक्ति मिलती है।
आचार्य राकेश पांडेय ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार के अनुसार पीपल के वृक्ष के मूल भाग में भगवान विष्णु, अग्रभाग में ब्रह्मा और तने में भगवान शिव का वास माना जाता है, इसलिए सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करें। विवाहित स्त्रियां पीपल के वृक्ष में दूध, जल, पुष्प, अक्षत और चंदन से पूजा करें। पीपल के वृक्ष में 108 बार धागा लपेट कर परिक्रमा करते हुए संतान एवं पति की दीर्घायु की कामना करें।