Etawah News : इटावा में कोरोना मरीजों की संख्या 24 पर आज प्रशासन की लगी मुहर, जनवाद टाइम्स ने तो 20 मई को ही लगाई थी खबर- आपके हित में मेरी कुछ सलाह

मनोज कुमार राजौरिया : आपको जानकारी मिल ही गयी होगी कि अपने इटावा जिले में एक साथ कोरोना का कहर जबरदस्त ढंग से टूटा है। (1+13)=14 लोग इटावा के के साथ कोरोना पॉजिटिव निकले हैं। कोरोना संकृमितों की गिनती 24 (जिस पर आज प्रशासन ने अपनी चुप्पी भी तोड़ ही ली) तक पहुंच गई है शासन प्रशासन की चूक कहें या मजबूरी कि उसे दूसरे प्रबल संक्रमित राज्यों से प्रवासी मजदूरों को उनके गांव आने की इजाजत देनी पड़ी। यही बड़ी वजह है कि अब इटावा जिला रेडजोन की तरफ बढ़ चला है। लॉक डाउन के तीसरे चरण में जिला ऑरेंज से ग्रीन जोन में तब्दील हुआ था।
दुर्भाग्यपूर्ण है कि इटावा में मरीजों की संख्या 24 को पार कर गयी। जसवंतनगर इलाके में मरीजों की संख्या पूरे इटावा की संख्या की आधी है। यह जसवंतनगर निवासियों के लिए ‘खतरनाक’ खतरे की घंटी है। यहां बाजार खुल रहे। भले ही साइड बाई साइड व्यवस्था लागू है। मगर सोशल/फिजिकल डिस्टेंसिंग नाम के लिए भी लागू नही है। प्रतिष्ठानों में भीड़ उमड़ रही, सड़कें ,चौराहे जाम हो रहे, कहीं भी ग्राहकों के खड़े होने के लिए गोले नही बने हैं। मोबाइल, जनरल मर्चेंट , पंसारी, डॉक्टर्स आदि की दुकानों पर भीड़ थामे थमती नजर नही आती बाजारों में वाहनों की भीड़ के साथ साथ उनमे अनापशनाप सवारियां भरी जा रहीं। पुलिस भी कितना आप पर नियंत्रण करे। प्रशासनिक अफसरों के हाथपांव जैसे फूल गए हैं, उन्हें बाहरी आने वालों की सूचनाएं खूब आप दो, वे कुछ भी एक्सन लेते नही दिखते। ऐसे में जिले के प्रशासनिक अधिकारियों का अभी तक जिले की स्थिति को लेकर कोई नई और तत्कालीन व्यवस्था अभी तक लागू नही की गई है, कोरोना कुआरन्टीन के चस्पा किये पोस्टरों को फाड़कर लोग मनमानी कर रहे।
ऐसे में आप अब अपने को रामभरोसे रख भीड़ का हिस्सा बन अपनी जानजोखिम में डालना क्या उचित समझते? ..यदि नहीं तो अपने परिवार की चिंता कीजिये। बेहद जरूरी हो तो बाजार में जाइये। आपको ध्यान रखना चाहिए, जिस नगरियाभाट में 7 कोरोना पॉजिटिव निकले हैं, उस गांव के लोग जसवंतनगर में ही बाजार करते, सब्जी, अनाज बेचते हैं। यदि उस गांव में अहमदाबाद से आई महिला की वजह के लोग कोरोना पॉजिटिव हो जाते, तो कल्पना कीजिये उस गांव से बाजार करने आने वालों से हम आप संक्रांमित नही होंगे।
भले ही लॉक डाउन में ढिलाई दे दी गयी हो , मगर इटावा खतरे के जोन में इस ढिलाई के बाद ही आया है। मेरा साफ मानना है कि आज जिले में उतपन्न स्थिति के बाद हम लोगों को लॉकडाउन -1 में जिस तरह घरों में कैद रहे थे, उसी तरह अब घरों में कैद हो जाना चाहिए।
सरकार की नीति अभी तक समझ से परे।
600 मरीज थे तो लॉक डाउन में कडाई, औऱ जब 1 लाख से ज्यादा मरीज तब लोक डाउन में ढील
हमे सुरक्षात्मक उपायों मास्क, सेनिटाइजर, हैंडवाश, दो गज का फांसला, को अपनी जीवनशैली का हिस्सा कड़ाई से बना लेना चाहिए। धन , दौलत, संबंध, ये तभी तो हमारे रहेंगे , जब हम कोरोना से बचेंगे। मैं अपने नगर और नगरवासियों की सलामती देखना चाहता, महामारी का विनाश नही, इसलिए आप से हाथ जोड़ते हुए यही कहूंगा कि
!! सोचिए कम मानिए ज्यादा !!
आपका अपना हितैषी
मनोज कुमार राजौरिया
ब्यूरो चीफ
जनवाद टाइम्स इटावा