Etawah News: धर्मेन्द्र यादव के काफिले में पुलिस ने साख बचाने को उठाई बेकसूर की गाड़ी

ब्यूरो संवाददाता
इटावा: पुलिस ने अपनी साख बचाने को धर्मेंद्र यादव सपा जिला अध्यक्ष की जमानत पर छूटने के बाद 200 गाड़ियों के काफिले में 29 गाड़ियां उठाई थी जिनमें कुछ गाड़ियां फर्जी तरीके से जबरन मुकदमा बनाकर धर्मेंद्र यादव के काफिले में दिखाई गई, ऐसा ही एक वाकया सामने आया है जिसमें प्रमोद कुमार निवासी ग्राम हरदोई सैफई से जो पुलिस लाइन मथुरा में तैनात हें, जिनकी गाड़ी संख्या UP15AR7670 SX 4 उठा ली गई, गाड़ी को पुलिस ने भर्थना के समीप खितौरा ग्राम से उनके मित्र के घर से उठाई, मौके पर आए पुलिस चौकी मनियामऊ इंचार्ज दर्शन सिंह सोलंकी और अन्य ने जब गाड़ी उठाने चाहिए तो चौकी इंचार्ज दर्शन सिंह सोलंकी ने बताया की आपकी गाड़ी धर्मेन्द्र यादव के काफिले में शामिल हुई थी, उन गाड़ी मालिक के दोस्त ने बताया कि में भी विभाग से हु यह गाड़ी ऐसे किसी काफिले में नहीं गई थी परंतु चौकी इंचार्ज सोलंकी जी ने उनकी एक न मानी और जबरदस्ती गाड़ी मालिक के मित्र के घर से कार उठा ले गए। पीड़ित कर मालिक और उनके मित्र ने जब जांच पड़ताल कराई तो तो पता चला कि की वह गाड़ी जबरदस्ती चौकी इंचार्ज दर्शन सिंह सोलंकी ने धर्मेंद्र यादव के काफिले वाले केस में उठाई है, जबकि पुलिस को उक्त गाड़ी के काफिले में मौजूद होने की कोई सीसीटीवी फुटेज नहीं प्राप्त हुई परंतु क्षेत्रीय इंचार्ज सोलंकी ने जिले के एसएसपी और जिले पर अपनी साख दिखाने के लिए उस गाड़ी को जबरन धर्मेंद्र यादव के काफिले में दिखाया जब कोई सीसीटीवी फुटेज और अन्य किसी भी प्रकार के कोई साक्ष्य प्राप्त नहीं हुए तो चौकी इंचार्ज ने कहा कि उनकी गाड़ी दो-चार दिनों के बाद सीओ साहब के छुट्टी से आने के पश्चात छोड़ दी जाएगी परंतु जब दो चार दिनों के बाद गाड़ी मालिक के मित्र दिनांक 14/06/2021 को चौकी इंचार्ज ने बुलाया तो चौकी इंचार्ज का कारनामा यहां भी नहीं रुका और दर्शन सिंह सोलंकी ने गाड़ी मालिक के मित्र को बताया कि उसके द्वारा गाड़ी सीज कर दी गई है, पुलिस के इस अमानवीय रवैया से आहत होकर पीड़ित कार मालिक ने दिनांक 17/06/2021 कोर्ट का सहारा लिया, मानवीय रवैया के अनुसार गाड़ी मालिक ने लगभग दो दिनों के बाद जब सिविल लाईन थाने प्रभारी निरीक्षक अनिल कुमार से बात की तो निरीक्षक साहब ने गाड़ी मालिक को संतोषजनक उत्तर नही दिया.
जिसपर न्यायलय पैरवी में जबाबी कहा गया कि जल्द ही उनकी गाड़ी ढूंढ़ कर मालिक के सुपुर्द कर दी जाए, न्यायालय ने कहा कि जब जांच पड़ताल में पता चला कि उक्त गाड़ी धर्मेंद्र यादव के काफिले में नहीं थी जिसके कोई साक्ष्य पुलिस के द्वारा जमा भी नहीं किए गए तो किस एवज में पुलिस अधिकारियों ने वह गाड़ी अब तक थाने में रखी इस संबंध में एसएसपी से जब संज्ञान लिया गया तो उन्होंने बताया कि यदि गाड़ी उक्त काफिले में शामिल नहीं थी तो प्रभारी इंचार्ज अनिल कुमार को तुरंत इसका जवाब देना होगा। आज दिनाँक 30 जून 2021 को जैसे तैसे न्यायालय के सहारे से पीड़ित कार मालिक और उनके मित्र को 26 दिनों की जद्दोजहद के बाद गाड़ी प्राप्त हुई।
पुलिस को अपनी साख बचाने के लिए क्या एक सामान्य पुलिस कर्मचारी को इस तरह परेशान करना उचित है यहां पर गाड़ी मालिक प्रमोद कुमार आर्थिक, मानसिक और शारिरिक रूप से 26 दिनों तक इटावा पुलिस महकमे के द्वारा प्रताड़ित किए गए हैं एक साफ-सुथरी छवि रखने वाले गाड़ी मालिक को यदि पुलिस ऐसे जबरन केस में डालेगी तो आम जनमानस का क्या होगा।