बिहार विधानसभा के चुनावी घोषणा के बाद सियासी राजनीति में सरगरगर्मियां बढ़ी

बिहार विधानसभा के चुनावी घोषणा के बाद सियासी राजनीति में सरगरगर्मियां बढ़ी
सुनील पाण्डेय – कार्यकारी संपादक
दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के चर्चित राज्य बिहार विधान सभा के चुनाव के घोषणा कल यानि शुुक्रवार को भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने की। बिहार विधानसभा चुनाव तीन चरणों में सम्पन्न होगा।प्रथम चरण 28 अक्टूबर , द्वितीय चरण 3 नवंबर एवं तृतीय चरण 7 नवंबर को सम्पन्न होगा।चुनाव परिणाम की घोषणा 10 नवंबर को होगी।यदि बिहार की राजनीति के सियासी समीकरण की बात करें तो एनडीए के नेतृत्व में नीतीश कुमार का पलड़ा भारी नजर आ रहा है।पिछले लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में एनडीए को 40 में 39 सीटों पर विजय हासिल हुई थी।
महागठबंधन को केवल एक सीट पर संतोष करना पड़ा था जो कांग्रेस के खाते में गई थी। इससे नीतीश कुमार की लोकप्रियता का अंदाजा सहर्ष ही लगाया जा सकता है । बिहार में विपक्ष पुरी तरह बंटा हुआ दिखाई दे रहा है। आरजेडी(राजद) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के जेल में होने के कारण आरजेडी की कमान तेजस्वी यादव के हाथों में है ।जो कहने के लिए महागठबंधन में स्थिरता होने की बात कह रहे हैं ; लेकिन घटक दल में आपसी खीचतान स्पस्ट दिखाई दे रहा है ।वरिष्ठ नेता जीतनराम मांझी पहले पार्टी छोड़ चुके हैं, उपेन्द्र कुशवाहा के भी पार्टी छोड़ जाने की अटकलें तेज हो गई हैं। महागठबंधन की प्रमुख सहयोगी दल कांग्रेस बिहार में अपना जनाधार तलाश रही है।उससे कोई बहुत करिश्मा करने की उम्मीद कम ही दिखाई दे रही है।महागठबंधन तो केवल नाम का रह गया है।
वास्तव में वह सामान्य गठबंधन सा दिखाई दे रहा है।बिहार में विपक्ष के पास कोई ढंग का नेता ही नहीं दिखाई दे रहा है जो नितीस कुमार के नेतृत्व को टक्कर दे सके।हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा बिहार को दिया गया आर्थिक पैकेज नीतीश कुमार के लिए विकास की गाड़ी को आगे बढ़ाने के लिए ट्रम्प कार्ड सावित होगा। यदि बिहार की समस्या की बात करें तो इस राज्य में निर्धनता एवं बेरोजगारी कमोवेश पहले जैसे ही है उसमें कोई विशेष सुधार नज़र नही आ रहा है।जहां तक नशे की लत की बात करें तो बिहार में हुई शराब बंदी का फायदा नीतीश कुमार को अवश्य मिलेगा।
इसमें में कोइ दो रॉय नहीं है।हाल ही में बिहार के चर्चित आईपीएस अधिकारी डीजीपी गुप्तेश्वर पाण्डेय का स्वेछिक सेवा निवृत्ति लेना बिहार की राजनीति में एक नए चेहरे का पदार्पण होगा ।अटकल लगाई जा रही हैं कि बिहार विधानसभा के बक्सर सीट से एनडीए के नेतृत्व में वो अपनी राजनितिक किस्मत आजमा सकते हैं।
अबतक बनें चुनावी राजनीतिक समीकरण एवं गुणा भाग के आधार पर यही कहा जा सकता नीतीश कुमार का पलड़ा भारी दिखाई दे रहा है। यदि सबकुछ सही रहा तो बिहार की मुख्यमंत्री के कुर्सी पर चौथी बार नीतीश कुमार की ताजपोशी हो सकती है।फिर भी चुनाव मुद्दों एवं रुझानों का खेल है कौन सा मुद्दा किस पर भारी पड़ जाय, यह कहना अभी जल्दबाजी होगी ।