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Bihar. News नीतीश कुमार के हर जवाब में “हमको पता नहीं है” पर प्रशांत किशोर का तंज, बोले -अगले चुनाव में जनता कहेगी हमको नहीं पता कौन हैं नीतीश कुमार

संवाददाता मोहन सिंह बेतिया

जन सुराज पदयात्रा के 111वें दिन की शुरुआत गोपालगंज के बरौली प्रखंड के बिहार ब्राइट करियर स्कूल स्थित जन सुराज पदयात्रा शिविर में सर्वधर्म प्रार्थना सभा से हुई। इसके बाद प्रशांत किशोर ने स्थानीय मीडिया से संवाद किया। गोपालगंज प्रशांत किशोर की पदयात्रा का चौथा जिला है। 2 अक्तूबर 2022 को पश्चिम चंपारण के भितिहरवा गांधी आश्रम से शुरू हुई पदयात्रा पश्चिम चंपारण, शिवहर और पूर्वी चंपारण होते हुए गोपालगंज पहुंची है। आज गोपालगंज में पदयात्रा का 6वां दिन है। आज प्रशांत किशोर सैकड़ों पदयात्रियों के साथ बरौली से चलकर सरेया नरेंद्र, कल्याणपुर, जलपुरवा होते हुए मांझा प्रखंड के धरम परसा गांव स्थित हाई स्कूल में रात्रि विश्राम के लिए पहुंचे।Bihar. News नीतीश कुमार के हर जवाब में "हमको पता नहीं है" पर प्रशांत किशोर का तंज, बोले -अगले चुनाव में जनता कहेगी हमको नहीं पता कौन हैं नीतीश कुमार

*पदयात्रा के दौरान किसी गांव और पंचायत में मुझे चलता हुआ अस्पताल अबतक नहीं दिखा है: प्रशांत किशोर*

जन सुराज पदयात्रा का अनुभव साझा करते हुए प्रशांत किशोर ने बताया कि बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था इतनी खराब है कि पदयात्रा के दौरान जिन पंचायतों, कस्बों से वे गुजरे, वहां अब तक कोई भी सुचारू रूप से चलने वाला अस्पताल नहीं दिखा। बिहार की पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था ग्रामीण चिकित्सकों और सर्विस प्रोवाइडर पर ही निर्भर है। आगे प्रशांत ने कहा कि सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरीके से कहीं भी सुचारू देखने को नहीं मिल रही है। प्रशांत किशोर ने कहा कि अनुमंडल और जिला स्तर के अस्पतालों में वे नहीं गये हैं इसलिए उन पर टिप्पणी नहीं कर रहे हैं।Bihar. News नीतीश कुमार के हर जवाब में "हमको पता नहीं है" पर प्रशांत किशोर का तंज, बोले -अगले चुनाव में जनता कहेगी हमको नहीं पता कौन हैं नीतीश कुमार

*नीतीश कुमार कभी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में शामिल क्यों नहीं हुए? उनको सिर्फ खुद के मुख्यमंत्री बने रहने से मतलब: प्रशांत किशोर*

प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार पर तंज कसते हुए कहा कि भाजपा के विरोध में कांग्रेस पार्टी भारत जोड़ो यात्रा कर रही है और हम देख रहे हैं उसमें कई राज्यों के विपक्ष के नेता उसमें शामिल हो रहे हैं। लेकिन नीतीश कुमार उस यात्रा में शामिल भी नहीं हुए। इसलिए यह व्यवस्था (महागठबंधन) नीतीश कुमार द्वारा बनाई गई है, इससे उन्हें अपनी कुर्सी पर बने रहने में मदद मिल रही है। नीतीश कुमार के जीवन में बस एक ही प्राथमिकता रह गई कि वह किसी भी तरह से मुख्यमंत्री बने रहे। चाहे वह भाजपा के साथ रहकर बने या लालटेन के साथ उन्हें उससे कोई फर्क नहीं पड़ता। प्रशांत ने कहा कि के कई लोगों ने हल्ला मचाया कि नीतीश कुमार देश के स्तर पर महागठबंधन बना रहे हैं, मैंने उस दिन ही कहा था बिहार के बाहर इस महागठबंधन का कुछ नहीं होने वाला है।

*चार अफसरों को और अपने चाटुकार मंत्रियों को अगल-बगल परिसदन में बैठाकर समाधान यात्रा कर रहे नीतीश कुमार: प्रशांत किशोर*

नीतीश कुमार की समाधान यात्रा पर हमला करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि 17 साल मुख्यमंत्री रहने के बाद उन्हें एहसास हुआ है कि कुछ समाधान करने की जरूरत है तो ये अच्छी बात है। लेकिन अपने बंगले से निकलकर परिसदन सर्किट हाउस में बैठकर अफसरों के साथ बैठकर परिचर्चा करना यात्रा कैसे हो गया। नीतीश कुमार पहले भी ऐसी 14 यात्राएं कर चुके हैं। समाधान यात्रा के तहत का नीतीश कुमार ने पश्चिम चंपारण की सभी समस्याओं का समाधान उन्होंने 4 घंटे में कर दिया। 15 मिनट में उन्होंने पूर्वी चंपारण के सभी मसलों का इसका समाधान कर दिया। गोपालगंज जिले में तो वे आये तक नहीं। प्रशांत किशोर ने कहा कि यह किस तरह की यात्रा है कि आप हेलीकॉप्टर से आए परिसदन में बैठे अपने चार अफसरों और तीन चाटुकार मंत्री अगल-बगल बैठाया और आपकी यात्रा पूरी हो गई। दो चार लोगों से मिले और हो गई यात्रा, हो गया उनकी समस्याओं का समाधान।

*सिर्फ वोट लेने के लिए और समाज को बांटने के लिए कराई जा रही जातीय जनगणना: प्रशांत किशोर*Bihar. News नीतीश कुमार के हर जवाब में "हमको पता नहीं है" पर प्रशांत किशोर का तंज, बोले -अगले चुनाव में जनता कहेगी हमको नहीं पता कौन हैं नीतीश कुमार

जातीय जनगणना के सवाल प्रशांत किशोर ने मीडिया को बताया कि ऐसी कोई भी जानकारी जिससे सरकार के पास समाज के बारे में बेहतर जानकारियां आएं उसका स्वागत होना चाहिए। लेकिन सभी पक्षधरों का सवाल है कि जातीय जनगणना का वैधानिक आधार क्या है। राज्य सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए इसका कोई वैधानिक आधार नहीं है ,बल्कि ये सर्वे है। इसके साथ ही प्रशांत ने कहा कि जाति जनगणना समाज को बेवकूफ बनाने का तरीका है। केवल जनगणना या सर्वे करा लेने से लोगों की स्थिति नहीं सुधरेगी बल्कि इन लोगों की स्थिति तब सुधरेगी जब उन जानकारियों पर आप इमानदारी से कुछ बेहतर प्रयास करेंगे। जाति जनगणना समाज को बांटने के लिए, अगड़ा-पिछड़ा कर, जाति के आधार पर उन्माद खड़ा कर वोट लेने की तैयारी है।

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जनवाद टाइम्स